लाल पठार से अनूप दुबे2 घंटे पहले
कुएं में सबसे पहले गिरे रवि के पिता ओमकार अहिरवार ने दर्द बयां किया।
- लड़के के पिता ने सीएम हेल्पलाइन पर फोन कर कहा- पुलिस वाले बहुत भूखे हैं, कुछ नाश्ता-पानी भिजवा दो
‘कल शाम के समय बेटा संजय और रवि कुएं पर पानी भरने गए थे। मैंने कहा कि अंधेरा हो गया है.. बस रहने दो। वो बोले- पापा बस ये ले आते हैं। इसके बाद बड़ा बेटा संजय ने दो ड्रम उठाकर रखे और पलट कर देखा तो रवि नहीं दिखा। कुएं में रस्सी फेंकी पर रवि नहीं पकड़ सका। संजय भागकर आया और बोला- पापा रवि कुएं में गिर गया। वहां पास में बैठे दो लोग दौड़ते हुए आए और बचाने के लिए सीधे कुएं में कूद गए। मैं भी तब तक और लोगों को बुला कर वापस आया तो आधा घंटा हो चुका था। मैंने अंदर तैर रहे दोनों लोगों से कहा कि भाई, आधा घंटा हो गया है। अब मेरा बेटा तो गया। तुम भी बाहर आ जाओ। इतने में बहुत सारे लोग कुएं का पानी भरने के लिए बनी छत पर खड़े हो गए थे। वहां 40 से 50 लोग खड़े थे, जिनके वजन से पूरी छत नीचे गिर गई। हम दूर थे तो बच गए। हम ने पुलिस को फोन लगाया तो 2 घंटे बाद 2 पुलिसकर्मी आए, लेकिन लोगों को देखकर वह भी भाग गए।
यह दर्द बयां किया है विदिशा के गंजबासौदा स्थित लाल पठार इलाके में हुए हादसे में सबसे पहले गिरने वाले 13 साल के रवि के पिता ओमकार अहिरवार ने। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब बेटे के जिंदा होने की उम्मीद तो नहीं है, लेकिन सिस्टम से मिले दर्द से वह बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन और पुलिस पहले हरकत में आ गया होता तो शायद हादसा इतना बड़ा नहीं होता। उन्होंने कुएं के रखरखाव को लेकर भी कई बार प्रशासन को पत्र लिखा, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। आज उनका बच्चा और कई लोग उस कुंए में समा गए।
पुलिस नहीं आई तो डायल100 को फोन किया। पुलिस कर्मियों ने बताया कि वह अभी दूसरी जगह हैं, वहां तक पहुंचने में आधा घंटा लग जाएगा। मैंने कहा तब तक तो कुछ नहीं बचेगा। 181 पर फोन किया तो कहा गया कि एंबुलेंस भेज रहे हैं। मैंने कहा कि पहले सहायता भेजिए, जब लोग निकाले जाएंगे तब ही तो एंबुलेंस की जरूरत पड़ेगी। उसके बाद कुछ पुलिस वाले आए, लेकिन वह नाश्ता करने में लगे हुए थे। मैंने फिर से सीधे मुख्यमंत्री के 181 पर कॉल किया और उनसे कहा- साहब! यह बहुत भूखे हैं, वहां से इन्हें समोसा-पानी भिजवा दीजिए। आप सीएम हैं, कुर्सी पर हैं। हम तो कुछ नहीं कर सकते। मैं बहुत दुखी था। 181 पर कॉल करने के बाद अमला हरकत में आया और उसके बाद जेसीबी मशीन लगाई गई। कुंए में बहुत पानी आता है, ऐसे में एक पंप से पानी निकालना नामुमकिन था, लेकिन प्रशासन उसी से रात भर अभियान चलाता रहा। मुझे पता है कि मेरा बच्चा जिंदा नहीं बचा होगा, लेकिन अगर यह किसी सीएम या अधिकारी का बच्चा होता तो पूरा प्रशासन जुट गया होता। यह एक गरीब का बच्चा है इसलिए हमें तो वहां पास भी नहीं जाने देते हैं और कुछ बताते नहीं हैं। बस कहते हैं- जाओ यहां से।
– ओमकार अहिरवार, कुएं में गिरने वाले पहले बच्चे के पिता
रेस्क्यू में इसलिए आ रही है परेशानी
कुएं में गिरे लोगों को निकालने में काफी परेशानी आ रही है। रात होने की वजह से रेस्क्यू सही तरीके से नहीं चला। जेसीबी मशीन जब खुदाई करने लगी तो भूरभूरी जमीन होने की वजह से ऊपर की मिट्टी धंसक जाती। इसलिए दोबारा खोदकर मिट़्टी हटानी पड़ रही है। भूरभरी मिट्टी होने की वजह से ही रात में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ट्रैक्टर पलट गया। जिसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बचाव दल के 3 लोग मलबे में दब गए थे। इसके अलावा कुएं से निकाला गया पानी झीर से दोबारा आ रहा है, इसलिए पानी कम नहीं हो रहा है।
रेस्क्यू में जुटी एनडीआरएफ और एसडीआरएफ।
रेस्क्यू टीम के पांच सदस्य घायल
भोपाल में NDRF को सवा नौ बजे सूचना मिली थी। इसके बाद टीम गंजबासौदा रवाना हुई। हादसे के दौरान रेस्क्यू कर रहे NDRF और SDRF के 5 सदस्य घायल हुए हैं। ट्रैक्टर के मलबे में दब जाने से दो लोग घायल हो गए हैं। इसके अलावा रेस्क्यू के तीन सदस्य घायल हुए हैं। घायल लक्ष्मी नारायण, रमेश, मोहन, गोलू और शशिधर घायल हो गए। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।