May 19, 2024 : 3:36 AM
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भाजपा को इसलिए सता रही कल्याण सिंह की चिंता:एक तो वे राम मंदिर आंदोलन के नायक हैं, दूसरा UP में 8% लोधी वोटर, जो 25 जिलों की 80 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं

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  • In UP Assembly Elections, Efforts Are Being Made To Cultivate The Lodhi Vote Bank, Hence Kalyan Singh’s Affair Is Taking BJP’s Leadership, The Doctors Of PMO Are Also Taking Updates Of The Moment.

लखनऊ4 घंटे पहलेलेखक: विद्या शंकर राय

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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के नायक कल्याण सिंह की तबीयत ज्यादा खराब है। वह 8 दिनों से लखनऊ के एसजीपीआई के आईसीयू में एडमिट है। कल्याण सिंह जब से अस्पताल में हैं तब से दो बार मुख्यमंत्री योगी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा, बिहार सरकार में मंत्री शहनवाज हुसैन उनका हालचाल लेने पहुंच चुके हैं।

प्रधानमंत्री मोदी कल्याण सिंह के बेटे को बुलाकर उनका हालचाल लिया। इसके अलावा, उनके पोते से फोन पर बात करके हालचाल ले चुके हैं। पीएम ने कल्याण सिंह से जुड़ा भावनात्मक ट्वीट भी किया। इसके अलावा, डिप्टी सीएम केशव मोर्या और दिनेश शर्मा ने भी हॉस्पिटल पहुंचकर कल्याण सिंह का हालचाल जाना।

89 साल के कल्याण सिंह में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लेकर प्रदेश नेतृत्व की इस दिलचस्पी से सियासी गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है। आखिर ऐसी क्या बात है जो कल्याण सिंह की भाजपा को इतनी चिंता सताने लगी है? दरअसल, उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है। भाजपा को कल्याण सिंह की चिंता को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। सियासी जानकार भाजपा को कल्याण सिंह की चिंता सताने के पीछे की दो अहम वजह बताते हैं। पहली- वे राम मंदिर आंदोलन के नायक रहे हैं। दूसरी- वह जिस लोध बिरादरी से आते हैं उसके यूपी में 8 प्रतिशत वोट है।

पार्टी के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान कहा, ”दरअसल अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए BJP कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। कल्याण सिंह हमेशा ही पार्टी के लिए उपयोगी साबित हुए हैं। वह राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े नायक रहे हैं। पार्टी की कोशिश है की कल्याण सिंह के जीवन के अंतिम क्षणों में पार्टी उनके साथ पूरी तरह से खड़ी दिखे। इससे लोधी समुदाय के अलावा समस्त ओबीसी वोट बैंक एवं राम मंदिर आंदोलन से जुड़े एक खास वर्ग के बीच भी अच्छा संदेश जाएगा।”

यह तस्वीर पीजीआई की है जहां जेपी नड्‌डा ने कल्याण सिंह से मुलाकात की थी।

यह तस्वीर पीजीआई की है जहां जेपी नड्‌डा ने कल्याण सिंह से मुलाकात की थी।

PM को है कल्याण सिंह की अहमियत का अंदाजा कल्याण सिंह की अहमियत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि कैबिनेट विस्तार के बाद ही तुरंत उन्होंने कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह को बुलाकर उनसे बातचीत कर सेहत की जानकारी ली थी। इस मुलाकात के बाद ही मोदी के निर्देश पर BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा को कल्याण सिंह की सेहत का हाल जानने के लिए लखनऊ आना पड़ा। BJP सूत्रों का कहना है कि बात सिर्फ हाल जानने की नहीं थी। केवल सेहत की जानकारी लेनी होती तो वो फोन पर भी ले सकते थे लेकिन मोदी का सख्त निर्देश था कि आप लखनऊ जाकर उनसे मुलाकात करिए, क्योंकि मोदी को पता है की चुनावी साल में कल्याण सिंह की क्या अहमियत है। इस बीच, मोदी ने PMO से जुड़े डॉक्टरों को भी उस टीम से संपर्क करने को कहा जो कल्याण की सेहत की मॉनिटरिंग कर रही है। मोदी के निर्देश के बाद पीएमओ की टीम डे टू डे रिर्पोट तैयार कर रही है।

इसके बाद मोदी ने शुक्रवार को भी कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह से फोन पर उनका हाल पूछा था। इस बातचीत के बाद ही मोदी ने एक भावनात्मक ट्वीट किया था। मोदी ने लिखा, में यह सुनकर काफी भावुक हो गया कि नड्डा जी से मुलाकात के दौरान उन्होने मुझे याद किया। उनके साथ मेरी बहुत सी सुनहरी यादें जुड़ी हुईं हैं। उनके साथ बातचीत करना हमेशा एक अच्छा अनुभव रहा। दरअसल मोदी ऐसा कर एक खास वर्ग और हिंदूवादी लोगों को यह बताना चाहते हैं कि पार्टी के लिए आज भी कल्याण सिंह उतने ही खास हैं, जीतने वो राम मंदिर आंदोलन के समय थे।

इसके बाद मोदी ने शुक्रवार को भी कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह से फोन पर उनका हाल पूछा था। इस बातचीत के बाद ही मोदी ने एक भावनात्मक ट्वीट किया था। मोदी ने लिखा, में यह सुनकर काफी भावुक हो गया कि नड्डा जी से मुलाकात के दौरान उन्होने मुझे याद किया। उनके साथ मेरी बहुत सी सुनहरी यादें जुड़ी हुईं हैं। उनके साथ बातचीत करना हमेशा एक अच्छा अनुभव रहा। दरअसल मोदी ऐसा कर एक खास वर्ग और हिंदूवादी लोगों को यह बताना चाहते हैं कि पार्टी के लिए आज भी कल्याण सिंह उतने ही खास हैं, जीतने वो राम मंदिर आंदोलन के समय थे।

योगी आदित्यनाथ पहले लोहिया और पीजीआई जाकर दो बार कल्याण से कर चुके हैं मुलाकात।

योगी आदित्यनाथ पहले लोहिया और पीजीआई जाकर दो बार कल्याण से कर चुके हैं मुलाकात।

राजनाथ सिंह ने लोहिया में मुलाकात की थी, लेकिन घर जाकर किसी ने नहीं पूछा हाल
मोदी की सक्रियता के बाद सीएम योगी भी कल्याण सिंह से दो बार मुलाकात कर चुके हैं। डिप्टी सीएम केशव मौर्य, डाॅक्टर दिनेश शर्मा भी कल्याण से मिल चुके हैं। देश के रक्षा मंत्री और लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह भी उनका हाल पूछने पहुंचे थे। कल्याण सिंह को 21 जून को उन्हें लोहिया संस्थान में भर्ती किया गया था। उनको अनियंत्रित ब्लड शुगर के अलावा बैक्टीरियल पैरोंटिसिस व सेपसिस की शिकायत थी। लोहिया संस्थान में तत्काल उनका इलाज शुरू किया गया और इन्फेक्शन को ट्रेस करने में भी कामयाब हुए। पर इसी बीच 3 जुलाई को उनके ब्रेन के सिटी स्कैन में खून का थक्का पाया गया था। उसी दिन रात में ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण माइनर हार्ट अटैक भी आया था।

इसकी सूचना मिलने पर अगले दिन सबसे पहले यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना लोहिया संस्थान कल्याण सिंह से मिलने पहुंचे,पर वो रिस्पांड नही कर पा रहे थे।यहां तक वे CM को वो पहचान भी नहीं सके थे। थोड़ी देर बाद ही तमाम नेताओ की लोहिया संस्थान में लाइन लग गई। इस बीच कल्याण की तबियत खराब होने की सूचना मिलते ही डिप्टी सीएम केशव मौर्य से लेकर शहर में रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी दोपहर तक लोहिया पहुंच गए थे। तबियत बिगड़ने पर रविवार शाम को ही कल्याण सिंह को SGPGI शिफ्ट कर दिया गया था। हालांकि उनकी बीमारी के दौरान पार्टी का एक भी नेता उनके घर मिलने नहीं गया था।

UP में 70 से अधिक सीटों पर है लोधी समाज का असर
यह जाति सीधे 25 जिलों की 70-80 विधानसभा सीटों पर असर डालती है। यही वजह है कि जब कल्याण सिंह भाजपा से नाराज हुए थे तब उमा भारती और धर्मपाल सिंह जैसे लोधी नेताओं को पार्टी ने आगे बढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन तब पार्टी को बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिली थी। कल्याण सिंह को भी OBC का चेहरा माना जाता रहा है। खासतौर से वो OBC से जुड़ी लोधी बिरादरी से आते हैं। इसी समाज के बीएल बर्मा को केंद्र में मंत्री भी बनाया गया है। उत्तर प्रदेश में आबादी के हिसाब से लोध वोट बैंक लगभग 8 प्रतिशत है , जो यादव समाज के बाद दूसरे नंबर पर है। अभी 15 विधायक इस बिरादरी के हैं जो अलग-अलग पार्टियों में हैं।

पश्चिमी यूपी में एटा, इटावा, कासगंज, बुलंदशहर, आगरा, फर्रुखाबाद, बदायूं, हाथरस, मुरादाबाद, अमरोहा, बरेली समेत लगभग 25 जिलों की 70 से 80 विधानसभा सीटों पर इस बिरादरी के लोगों का वजूद है और वो अहम भूमिका निभाते हैं। यूपी में बुंदेलखंड की लगभग सभी विधानसभा सीटों पर इनका अच्छा खासा प्रभाव है।

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