May 18, 2024 : 5:47 PM
Breaking News
अन्तर्राष्ट्रीय

अफगानिस्तान में तालिबान का खतरा बढ़ा: 50 इंडियन डिप्लोमेट्स और कर्मचारियों ने कंधार का दूतावास छोड़ा, आतंकी संगठन के प्रवक्ता का दावा- देश के 85% हिस्से पर कब्जा किया

[ad_1]

Hindi NewsInternational50 Indian Diplomats, Officials Evacuated, Afghanistan’s Kandahar Consulate, Taliban Advances

काबुल35 मिनट पहले

अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते वर्चस्व ने अमेरिका, रूस और भारत सहित कई देशों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। सूत्रों से अब जानकारी सामने आ रही है कि भारत के 50 डिप्लोमेट्स और कर्मचारियों ने कंधार का दूतावास खाली कर दिया है। हालांकि, आपातकालीन सेवाएं चालू हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि दूतावास को बंद नहीं किया गया है। कंधार में तालिबान और अफगानिस्तान की आर्मी में चल रही लड़ाई को देखते हुए स्टाफ को कुछ दिनों के लिए बुला लिया गया है।

तालिबान के प्रवक्ता सुशील शाहीन ने चीनी मीडिया साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को दिए इंटरव्यू में दावा किया है कि अफगानिस्तान के 85% हिस्से पर तालिबान कब्जा कर चुका है।

दावा- बंद नहीं होगा दूतावासभारत सरकार की तरफ से कई बार कहा जा चुका है कि कंधार और मजार-ए-शरीफ के दूतावास को बंद नहीं किया जाएगा। यहां पहले की तरह व्यवस्थाएं जारी रहेंगी।

नवंबर 2001: तालिबान विरोधी नॉर्दन अलायंस अफगानिस्तान के कुंदुज के पास तालिबान के गढ़ को घेरकर आगे बढ़ते हुए। फोटो: जेम्स हिल

नवंबर 2001: तालिबान विरोधी नॉर्दन अलायंस अफगानिस्तान के कुंदुज के पास तालिबान के गढ़ को घेरकर आगे बढ़ते हुए। फोटो: जेम्स हिल

रूस से चीन तक आतंक बढ़ने का खतराअफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे का दायरा बढ़ने के साथ ही रूस और चीन सतर्क हो गए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि तालिबान मध्य एशियाई देशों की सीमाओं का सम्मान करे। ये देश कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे।

पिछले हफ्ते चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि अफगानिस्तान में सबसे बड़ी चुनौती युद्ध और अराजकता को रोकने की होगी। शंघाई इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी में मध्य-पूर्व मामलों के विशेषज्ञ फैन होंगडा ने कहा, ‘अफगानिस्तान में अराजकता अन्य देशों में फैल सकती है। इससे क्षेत्रीय अशांति पैदा होगी।

रूस में पड़ोसी देशों के लोगों के आने की संभावनासंभावना जताई जा रही है कि तालिबान के मजबूत होने पर कई लोग पड़ोसी मध्य एशियाई देशों जैसे ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में शरण ले सकते हैं। ये देश रूस के पड़ोसी हैं। रूस को चिंता है कि यहां सुरक्षा का संकट खड़ा हो सकता है।

तालिबान को लेकर भारत की नीति अब तक क्या रही है?भारत ने तालिबान को कभी आधिकारिक मान्यता नहीं दी। उसने जब बातचीत की पेशकश की तो उसे भी स्वीकार नहीं किया गया। दरअसल, भारत सरकार ने कभी तालिबान को पक्ष माना ही नहीं, लेकिन इन बातों को गुजरे जमाना हो चुका है। हालात अब वैसे नहीं रहे, जैसे कंधार विमान अपहरण कांड के वक्त थे। लिहाजा, किसी भी स्तर पर सही, सरकार तालिबान के संपर्क में तो है। विदेश मंत्रालय ने पिछले दिनों कहा था- हमने हमेशा अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने की कोशिश की है। इसके लिए हम कई पक्षों से संपर्क में हैं।

क्या और कैसा है तालिबान? कंधार विमान अपहरण में क्या रोल था?

1979 से 1989 तक अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का शासन रहा। अमेरिका, पाकिस्तान और अरब देश अफगान लड़ाकों (मुजाहिदीन) को पैसा और हथियार देते रहे। जब सोवियत सेनाओं ने अफगानिस्तान छोड़ा तो मुजाहिदीन गुट एक बैनर तले आ गए। इसको नाम दिया गया तालिबान। हालांकि तालिबान कई गुटों में बंट चुका है।तालिबान में 90% पश्तून कबायली लोग हैं। इनमें से ज्यादातर का ताल्लुक पाकिस्तान के मदरसों से है। पश्तो भाषा में तालिबान का अर्थ होता हैं छात्र या स्टूडेंट।पश्चिमी और उत्तरी पाकिस्तान में भी काफी पश्तून हैं। अमेरिका और पश्चिमी देश इन्हें अफगान तालिबान और तालिबान पाकिस्तान के तौर पर बांटकर देखते हैं।1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत रही। इस दौरान दुनिया के सिर्फ 3 देशों ने इसकी सरकार को मान्यता देने का जोखिम उठाया था। ये तीनों ही देश सुन्नी बहुल इस्लामिक गणराज्य थे। इनके नाम थे- सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और पाकिस्तान।1999 में जब इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 को हाईजैक किया गया था। तब इसका आखिरी ठिकाना अफगानिस्तान का कंधार एयरपोर्ट ही बना था। उस वक्त पाकिस्तान के इशारे पर तालिबान ने भारत सरकार को एक तरह से ब्लैकमेल किया। तीन आतंकियों को रिहा किया गया और तब हमारे यात्री देश लौट सके थे।खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Related posts

एमपी बोर्ड 10वीं के साइंस सब्जेक्ट का कल है एग्जाम, स्टूडेंट यहां पढ़ें लास्ट मिनट टिप्स

News Blast

सख्त नियमों के चलते जीती कोरोना से जंग, मास्क न पहनने पर 60 हजार का जुर्माना; यहां 69% से ज्यादा मरीज ठीक हुए

News Blast

जनरल सुलेमानी की लोकेशन अमेरिका को बताने वाले दोषी को सजा-ए-मौत का ऐलान; जनवरी में मारे गए थे सुलेमानी

News Blast

टिप्पणी दें