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चीन बना रहा सुपर ह्यूमन:जेनेटिक इंजीनियरिंग से सैनिकों के जीन में बदलाव की तैयारी, 52 देशों की 80 लाख गर्भवती महिलाओं के डेटा पर रिसर्च कर रहा चीन

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बीजिंग3 घंटे पहले

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जांच के बहाने बीजीआई ग्रुप ने बड़ी संख्या में गर्भवतियों का जीन डेटा एकत्र कर लिया है। - Dainik Bhaskar

जांच के बहाने बीजीआई ग्रुप ने बड़ी संख्या में गर्भवतियों का जीन डेटा एकत्र कर लिया है।

दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए चीन खतरनाक प्रयोगों में जुटा रहता है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दुनिया भर की जांच एजेंसियों की निगाह में आ चुका चीन अब सुपरह्यूमन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसके लिए वह 52 देशों की 80 लाख से ज्यादा गर्भवती महिलाओं के जेनेटिक डेटा का चोरी-छिपे अध्ययन कर रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन की सेना (पीएलए) ने इस काम में चीनी कंपनी बीजीआई की मदद ली है। यह कंपनी दुनियाभर में गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्ण जांच से जुड़ी हुई है। इस जांच के बहाने बीजीआई ग्रुप ने बड़ी संख्या में गर्भवतियों का जीन डेटा एकत्र कर लिया है।

इसे निफ्टी (नॉन इन्वेसिव फैटल ट्रिजोमी) डेटा के तौर पर जाना जाता है। इसमें महिला की उम्र, वजन, लंबाई व जन्म स्थान की जानकारी होती है। ऐसे ही कुछ तथ्यों के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ऐसे गुणों का पता लगाया जा रहा है, जिनसे भविष्य में पैदा होने वाली आबादी के शारीरिक गुणों में बदलाव किया जा सके।

बाइडेन प्रशासन के सलाहकारों ने मार्च में चीन की इस तैयारी की चेतावनी दी थी। अमेरिकी विशेषज्ञ चिंतित हैं कि यह प्रयोग सफल रहा तो दुनिया भर की फॉर्मा कंपनियां चीन से जुड़ेंगी। इससे बाद चीन इन कंपनियों पर हावी होकर षड्यंत्र कर सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि इससे चीन आनुवंशिक रूप से उन्नत महाबली सैनिक तैयार करेगा।

अमेरिका को बड़ा डर यह भी है कि चीन इस तकनीक के जरिए रोग पैदा करने वाले जीवाणु, विषाणु विकसित कर गंभीर बीमारियां फैला सकता है। पूर्व अमेरिकी काउंटर इंटेलिजेंस ऑफिसर अन्ना पुगलिसी कहती हैं कि चीन अपने यहां काम करने वाली कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सहयोग के लिए मजबूर कर सकता है।

अहम क्यों: भारत-चीन सीमा पर तैनात सैनिकों को प्रयोग से जोड़ा
इस डीएनए डेटा विश्लेषण के आधार पर चीनी सेना और बीजीआई ग्रुप साथ मिलकर सैनिकों के जीन में बदलाव कर उन्हें गंभीर बीमारियों से सुरक्षित कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इससे सैनिकों को ज्यादा ऊंचाई वाले मोर्चों पर बीमारी और सुनने की क्षमता में कमी संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले सालभर से भारत-चीन सीमा पर तैनात ज्यादातर चीनी सैनिक बीमार पड़े हैं। इसलिए प्रयोग में इन सैनिकों को शामिल किया गया। अगर चीन प्रयोग में सफल हो जाता है तो उसके सैनिक ज्यादा समय तक ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात रह सकेंगे।

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