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8 घंटे पहले
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कोरोना महामारी पर घिरा चीन तो लिजियान ने दिया जवाब।
चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रही है। इस बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान, हांगकांग को लेकर आक्रामक बयान दिए हैं। इस नई आक्रामक आवाज के पीछे एक नौकरशाह है। नाम है- झाओ लिजियान। लिजियान चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता हैं। खबरों में यह नाम भले ही कम सुनाई देता हो। लेकिन विभिन्न देशों के प्रमुख इस शख्स का नाम और काम अच्छे से जानने लगे है। लिजियान सोशल मीडिया के जारिए विभिन्न देशों की सरकारों को कड़ा जवाब देते हैं।
पिछले साल ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना की उत्पत्ति के लिए चीन को दोषी ठहराया था, इस मामले में जांच की मांग भी की। इससे चीन-ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते खराब होते चले गए। इसके बाद नवंबर 2020 में एक दिन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को उनके सहयोगी ने सोशल मीडिया की एक पोस्ट को लेकर सतर्क किया।
यह पोस्ट लिजियान ने जारी की थी। इसमें लिखा था, ‘ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों ने अफगानी नागरिकों और कैदियों की हत्याएं कीं। मैं इस घटना से स्तब्ध हूं। हम ऐसे कृत्यों की निंदा करते हैं। ऐसी घटनाओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए।’ इस पोस्ट के साथ एक तस्वीर जोड़ी गई थी।
इसमें दिख रहा था कि एक ऑस्ट्रेलियाई सैनिक एक लड़के का गला काटने की तैयारी कर रहा है। इस सैनिक के पास ऑस्ट्रेलिया का झंडा भी था।’ इस तस्वीर के कैप्शन में लिखा था, ‘डरो मत, हम आपके लिए शांति लाने आ रहे हैं।’ इस पोस्ट के कारण ऑस्ट्रेलियाई संसद में खूब हंगामा मचा था।
कोराना के शुरुआती दिनों में लिजियान के सोशल मीडिया पोस्ट सुर्खियां बटोर चुके हैं। कहा जा रहा है कि पोस्ट साजिश के तहत तैयार किए जा रहे थे। इनसे लिजियान यह कहना चाहते थे कि कोरोना की उत्पत्ति अमेरिका में हुई थी। लिजियान ने लिखा था, ‘अमेरिका में कब कोरोना के मरीज नहीं थे। वहां कितने लोग संक्रमित हुए।
इन लोगों को किन अस्पतालों में भर्ती किया गया था। हो सकता है अमेरिकी सेना ही वुहान में महामारी लेकर आई हो। पारदर्शी बनो। अपना डेटा सार्वजनिक करो। अमेरिका अपना स्पष्टीकरण दे।’ तब अमेरिका के विदेश विभाग ने आरोपों पर आपत्ति जताने के लिए चीनी राजदूत को तलब किया था।
लिजियान की शैली कूटनीति के पुराने तरीकों का स्थान ले रही
झाओ लिजियान की शैली चीन की कूटनीति के पुराने तरीकों का स्थान ले रही है। पिछले दो साल से लिजियान के कारण ही चीन का अपने विरोधियों से संवाद करने का तरीका बदला है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग लिजियान की शैली से प्रभावित रहे हैं। जबकि इस शैली को चीन के लोग राष्ट्रवाद का नया रूप बता रहे हैं।