इंदौरएक घंटा पहलेलेखक: राजीव कुमार तिवारी
कैलोद हाला गांव में बने सेंटर पर व्यवस्था देखने वाले और वैक्सीन लगवाने आए लोगों में जमकर बहस हुई।
15 दिन से फेरी लगा रही हूं, कल आना, आज नहीं लग रही, कल लगेगी। ऐसा कब तक हम आना-जाना करते रहेंगे। सुबह 9 बजे से लाइन में लगे हैं। कब लगेगी हमें वैक्सीन। आप अपने वालों को वैक्सीन लगवा रहे हो। नहीं, ऐसा नहीं है, वैक्सीन के डोज कम आ रहे हैं तो हम क्या करें। जो सुबह पहले आए उन्हें वैक्सीन लग रही है। ये कहना है कि इंदौर के वैक्सीनेशन सेंटरों पर आने वाले लोग और व्यवस्था बनाने वालों का।
वैक्सीनेशन में कई कीर्तिमान अपने नाम कर चुके इंदौर में वैक्सीन की कमी के बाद आए दिन विवाद की स्थिति बन रही है। वैक्सीन का पहला और दूसरा डोज लगवाने के लिए लोग सेंटर पर तो पहुंच रहे हैं, लेकिन जब 5 से 6 घंटे लाइन में लगने के बाद उन्हें पता चलता है कि वैक्सीन खत्म हो गई है तो उनके सब्र का बांध टूट जाता है। कैलोदा हाला गांव में बने सेंटर में तो गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। व्यवस्था देख रहे लोगों का तो कहना था कि दो दिन पहले यहां पर हाथापाई जैसी भी स्थिति बन गई थी। दशहरा मैदान पर भी सुबह से लंबी लाइन में लगे लोग परेशान होते रहे।
दशहरा मैदान पर इस प्रकार से वैक्सीन लगाने वाले लाइन में लगकर परेशान होते रहे।
क्या कहा- वैक्सीन लगवाने आए लोगों ने
वैक्सीन लगवाने आए विनोद कुमार का कहना है कि मैं सुबह 7 बजे से वैक्सीन लगवाने के लिए लाइन में लग गया था। सुबह से ही सैकड़ाें लाेग यहां वैक्सीन लगवाने पहुंच गए थे। यहां पर काेई सही तरीके से जानकारी नहीं दे रहा है। यहां पर सेटिंगबाजी चल रही है। यही कारण है कि विवाद की स्थिति बन रही है।
- युवा राजेंद्र ने बताया कि मैं पिछले चार दिन से वैक्सीन लगवाने के लिए यहां लाइन में लग रहा हूं। इस कारण ऑफिस नहीं जा पा रहा हूं। वहां से कॉल आता है कि ऑफिस क्यों नहीं आ रहे हो। यहां पर प्रतिदिन यही कह दिया जाता है कि वैक्सीन खत्म हो गई है।
- वैक्सीन लगवाने आए अनुराग मिश्रा ने कहा कि मैं पहले टोकन लेने आया तो कहा गया कि आप आज जाएं, वैक्सीन लग जाएगी। जब यहां पहुंचा तो पता चला कि वैक्सीन खत्म हो गई है। ठीक है वैक्सीन नहीं है, लेकिन यहां पर व्यवस्था तो दुरुस्त रहे। यहां बिल्कुल भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। बिना मास्क के ही लोग घूम रहे हैं। ऐसे में वैक्सीनेशन सेंटर पर कोरोना को आमंत्रण दिया जा रहा है।
बाहर भीड़ को देखकर वैक्सीनेशन रूम में बाहर से ताला लगाना पड़ा।
व्यवस्था संभालने वाले बोले- वैक्सीन कम होने से विवाद की बन रही स्थिति
- वैक्सीनेशन सेंटर पर व्यवस्था देख रहे हेमंत गुर्जर का कहना है कि डोज कम आने से विवाद की स्थिति बन रही है। लोगों को लग रहा है कि हम अपने वालों को वैक्सीन लगवा रहे हैं। इस कारण उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा है। हालांकि ऐसा कुछ नहीं है, हम यहां पर सेवाभाव से यह काम कर रहे हैं। जो लोग बाहर लाइन में लगे हैं वे हमारे गांव के नहीं हैं। सभी इंदौर सहित आसपास के गांव से आए हैं। ऐसे में हम किसी ने भेदभाव क्यों करेंगे। हमारे पास आज 200 डोज आए थे, जबकि बाहर 500 लोग खड़े हुए हैं। प्रतिदिन यहां पर विवाद की स्थिति बन रही है। 5 तारीख को तो हाथापाई तक की नौबत बन गई थी।
- नवीन शर्मा का कहना था कि जब हमें ज्यादा डोज मिलते थे तो कोई वैक्सीन लगवाने वाला नहीं था। स्थिति यह थी कि हम घर-घर जाकर लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए सेंटर तक लेकर आते थे। अब जो भीड़ बढ़ रही है, वह आसपास फैक्ट्री में काम करने वाले लोग हैं। कंपनी ने स्पष्ट कह दिया है कि वैक्सीन नहीं लगवाई तो फैक्ट्री में एंट्री नहीं देंगे। इसीलिए गांव में दूर-दूर से लोग वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। अब यहां पर वैक्सीन कम आ रही है तो विवाद की स्थिति बन रही है। लाइन में लगे लोगों को जब कहा जा रहा है कि वैक्सीन खत्म हो गई है तो वे बहस करने लगते हैं।
- कृष्णा सिंह ने बताया कि कैलोद हाला गांव की जनसंख्या साढ़े 6 हजार के करीब है, जबकि कैलोद हाला सेंटर पर 10 हजार से ज्यादा लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं। गांव में तो 90% लोग वैक्सीनेशन वाले हैं। 10% वे बचे हैं जो कोविड संक्रमित रह चुके हैं या फिर अन्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। अब जो लोग आ रहे हैं, वे बाहर से हैं। डोज मिल रहे हैं 200 और टीका लगवाने आने वाले आ रहे हैं 500 से 600 लोग। जब इन्हें मना किया जा रहा है तो विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है।
शिशुकुंज हॉस्पिटल में पदस्थ महेश्वरी नरवरे और अर्चना वाग यहां वैक्सीन लगाने में व्यस्त रहीं।
ऐसा था वैक्सीनेशन सेंटर का हाल- वैक्सीन कम होने पर गेट तक बंद करना पड़ा
भास्कर की टीम जब सुबह करीब साढ़े 11 बजे कैलोद हाला में स्कूल में बने वैक्सीनेशन सेंटर पहुंची तो पाया कि सैकड़ों की संख्या में लोग यहां वैक्सीन लगवाने के लिए खड़े थे। कुछ लोग बाहर लाइन में लगे थे तो करीब 50 लोग कमरे के भीतर एक-दूसरे से सटे हुए थे। इतने ही लोग वैक्सीनेशन रूम के सामने खड़े हुए थे। तीनों ही स्थानों पर जमकर गहमागहमी थी। व्यवस्था करने वाले उन्हें कह रहे थे कि वैक्सीन के डोज ज्यादा नहीं हैं, इसलिए कुछ ही लोगों को वैक्सीन लग पाएगी, जिनके रजिस्ट्रेशन हो गए हैं वे खड़े रहे, बाकी के लोग घर चले जाएं। उधर, लाइन में लगे लोग बस एक ही बात कर रहे थे, सुबह से लाइन में लगे हैं। लाइन बढ़ी नहीं तो फिर वैक्सीन कहां गई। इसी बात को लेकर यहां पर लगातार विवाद हो रहा था। इस पूरे घटनाक्रम में ना किसी को मास्क लगाने की याद थी, ना ही सोशल डिस्टेंसिंग बन पा रही थी।
वैक्सीनेशन सेंटर पर व्यवस्था में लगे युवाओं का कहना है कि डोज कम होने से परेशानी आ रही है।
बुधवार तक 21 लाख 60 हजार 583 लाेगाें काे लग चुका था पहला डाेज
कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत सेकंड डोज के लिए बुधवार को 238 केंद्रों पर टीके लगाए गए थे। कुल 42 हजार 399 लोगों को टीके लगे थे। इनमें से एक हजार 87 लोगों को टीके का पहला डोज लगा था। जानकारी के अनुसार, 18 से 44 साल के 934 को पहला व 11 हजार 611 लोगों को दूसरा डोज लगाया गया था। 45 साल से 60 साल के 121 लोगों को पहला व 20 हजार 772 लोगों को दूसरा डोज लगा था। 60 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों में 60 को पहला व 8 हजार 142 लोगों को दूसरा डोज लगा था। टीकाकरण अभियान के तहत हेल्थ केयर वर्कर्स व फ्रंटलाइन वर्कर्स को अभी भी पहला डोज लगाया जा रहा है। अब तक 21 लाख 60 हजार 583 लाेगाें काे पहला डाेज व 4 लाख 68 हजार 10 लाेगाें काे दूसरा डाेज लगा है। यानी करीब 20 प्रतिशत लोगों को टीके का दूसरा डोज भी लग चुका है।