सैन फ्रांसिस्कोएक घंटा पहलेलेखक: डॉन क्लार्क
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अमेरिका नहीं चाहता कि मैन्युफैक्चरिंग हब कहलाने वाला चीन सेमीकंडक्टर का दुनिया में मुख्य निर्माता बने।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके अधिकारी इन दिनों खासे परेशान हैं। वजह- सेमीकंडक्टर की कमी और उसे बनाने की तकनीक पर कब्जे की कोशिश में लगा चीन। दरअसल, पूरी दुनिया में इन दिनों में सेमी कंडक्टर्स की कमी है। इन्हें बनाने वाली मशीन दुनिया में सिर्फ डेनमार्क की कंपनी एएसएमएल होल्डिंग बनाती है। खास बात यह है कि 1118 करोड़ रुपए की लागत वाली यह मशीन इतनी बड़ी है कि इसे लाने-ले जाने में ही 40 शिपिंग कंटेनर, 20 ट्रक और तीन बोइंग-747 विमान लगते हैं।
2019 में तत्कालीन ट्रम्प प्रशासन ने पूरी कोशिश की थी कि यह मशीन चीन को न मिल पाए और अब, बाइडेन प्रशासन के रुख में भी कोई खास बदलाव नहीं आया है। अमेरिका नहीं चाहता कि मैन्युफैक्चरिंग हब कहलाने वाला चीन सेमीकंडक्टर का दुनिया में मुख्य निर्माता बने।
चीन के लिए निराशाजनक हालात
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिक्योरिटी एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी के रिसर्च एनालिस्ट विल हंट कहते हैं, ‘इस मशीन के बिना कोई भी देश या निर्माता सेमीकंडक्टर्स नहीं बना सकता। चीन के नजरिए से यह निराशाजनक बात है।’ वहीं बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन का अनुमान है कि एक आत्मनिर्भर चिप आपूर्ति श्रृंखला बनाने में कम से 74.5 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे चिप और उससे बने उत्पादों की कीमतों में भी तेजी से बढ़ोतरी होगी।