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क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा:ब्रिटेन में नाश्ते के एक बाउल में 5 बिस्किट जितनी चीनी, रिसर्चर्स बोले- बच्चों को डायबिटीज से बचाना है तो इन पर रोक जरूरी

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  • In Britain, As Much Sugar As 5 Biscuits In A Breakfast Bowl, The Researchers Said – If Children Want To Protect Themselves From Diabetes, Then It Is Necessary To Stop Them

लंदनएक घंटा पहले

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126 उत्पादों में से 2 ही मानकों के अनुसार, 92% उत्पादों में चीनी 9 व 60% में नमक जरूरत से ज्यादा। - Dainik Bhaskar

126 उत्पादों में से 2 ही मानकों के अनुसार, 92% उत्पादों में चीनी 9 व 60% में नमक जरूरत से ज्यादा।

बच्चों को सेहतमंद रखने के लिए रोज सुबह हम कटोरा भरकर दूध के साथ उन्हें सीरियल्स (अनाज से बनी चीजें या फ्लैक्स वगैरह) देते हैं। पर इन चीजों से सेहत को फायदे के बजाय नुकसान पहुंच रहा है। इस नाश्ते के एक बाउल में 5 बिस्किट के बराबर चीनी रहती है। यह दावा लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। उन्होंने बच्चों के लिए बनाए गए 126 उत्पादों का विश्लेषण किया। इनमें दो ही उत्पाद मानकों पर खरे उतरे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के लिए खासतौर पर बनने वाले 92% सीरियल्स में जरूरत से बहुत ज्यादा मात्रा में चीनी पाई जाती है। इनमें आधे से ज्यादा चॉकलेट फ्लेवर वाले हैं। शोधकर्ताओं और बच्चों की सेहत के लिए काम करने वाले संगठनों ने इन उत्पादों पर जल्द प्रतिबंध लगाने की मांग की है, ताकि बच्चों को चीनी की लत, बढ़ते मोटापे और डायबिटीज के जोखिम से बचाया जा सके। स्टडी में बताया गया है कि कई माता-पिता जिन चीजों को पौष्टिक मानते हैं, उनमें माल्ट-ओ-मील का मार्शमैलो मेटीज भी है। इसके 30 ग्राम के बाउल में 12 ग्राम चीनी रहती है। यानी करीब 6 बिस्किट खाने के बराबर।

वहीं प्रतिष्ठित कंपनी के चॉकलेट फ्लेवर सीरियल क्रेव के एक बाउल में 8.7 ग्राम चीनी पाई गई। एक अन्य उत्पाद फ्रॉस्टीज के 30 ग्राम में 11 ग्राम चीनी मिली। चैरिटी संस्था एक्शन ऑन शुगर के डॉ. कॉथर हाशेम कहते हैं कि बच्चों को रिझाने के लिए की गई पैकेजिंग जैसे कार्टून और चटकीले रंगों के चलते अभिभावकों के लिए स्वस्थ विकल्प को चुनना मुश्किल हो जाता है। कंपनियों को इसे आसान बनाना चाहिए। सरकार इन उत्पादों के ऑनलाइन और टीवी विज्ञापनों पर सख्ती करने जा रही है, पर जब तक इस तरह की आकर्षक पैकेजिंग बंद नहीं होगी, तब तक बच्चों को इनसे दूर रख पाना चुनौती ही होगी।

एक्शन ऑन शुगर की कैंपेन डायरेक्टर कैथरीन जेनर कहती हैं प्राइमरी क्लास पढ़ चुके 30 में से 10 बच्चे ज्यादा वजन या मोटापे से परेशान हैं। वहीं मोटापे की इस समस्या से लड़ने पर अनुमानित खर्च करीब 2.79 लाख करोड़ रुपए है। इसलिए फूड कंपनियों को सेहतमंद विकल्प देने के लिए मजबूर करना ही चाहिए।

दिनभर की जरूरत जितना नमक तो बच्चों को नाश्ते में ही मिल रहा: रिसर्च

शोधकर्ताओं ने पाया कि 60% सीरियल्स में नमक की मात्रा ज्यादा या मध्यम स्तर की है। वहीं 50% में फाइबर की मात्रा बहुत कम है। सिर्फ दो उत्पाद ही बच्चों के लिए अनुकूल हैं। ब्रिटेन के एनएचएस के मुताबिक 7 से 10 साल की उम्र के बच्चों को रोजाना 24 ग्राम चीनी (6 शुगर क्यूब) से ज्यादा नहीं दी जानी चाहिए।

वहीं नमक की मात्रा भी 5 ग्राम तक सीमित रखनी चाहिए। जबकि इतना नमक और करीब 50% चीनी तो उन्हें नाश्ते के दौरान ही मिल जा रही है। ऐसे में दिनभर का खानपान शरीर में नमक और चीनी की मात्रा बढ़ाएगा, इससे शुगर और मोटापे की समस्या होगी।

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