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- The Stature Of The ‘Maharaj’ Of Gwalior Chambal Will Increase In The State; Pressure Will Increase On Shivraj Government
भोपाल7 घंटे पहलेलेखक: राजेश शर्मा
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के केंद्र में मंत्री बनने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में और भी बदलाव आने से इनकार नहीं किया जा सकता है। पिछले कई सालों से भले ही BJP की सरकार रही हो, लेकिन ग्वालियर चंबल-अंचल में सिंधिया का दबदबा ‘महाराज’ की तरह ही बरकरार रहा है। मोदी की टीम में शामिल होने के बाद उनका प्रभाव प्रदेश के अन्य अंचलों के साथ-साथ BJP में दिखाई देगा।
ग्वालियर-चंबल से BJP के कई कद्दावर नेता आते हैं। इनमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा हैं। मगर चंबल के इलाके में ‘महाराज’ के बराबर इनकी ऊंचाई नहीं है। इसकी झलक में हाल ही में देखने को मिली है। ग्वालियर-चंबल के इलाके में सिंधिया के हिसाब से जिलों के प्रभारी मंत्री बनाए गए और इनके हिसाब से ही इलाके में अफसरों की पोस्टिंग भी होगी।
जानकार कहते हैं कि BJP हाईकमान से सीधे संवाद की वजह से मध्य प्रदेश में संगठन और सरकार दोनों पर सिंधिया का दबाव ज्यादा रहेगा। इसके साथ ही ग्वालियर-चंबल के साथ-साथ प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी उनकी पकड़ काफी मजबूत होगी। वैसे भी 15 साल से BJP की सरकार के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर जनता के बीच पार्टी का अन्य कोई नेता ज्यादा लोकप्रिय नहीं हुआ। यही वजह है कि जनता के बीच लाने के लिए BJP के पास कोई नया चेहरा भी नहीं था लेकिन अब सिंधिया को आगे ला सकती है।
शिवराज मंत्रिमंडल में 28 में से 9 मंत्री सिंधिया खेमे के
मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट के विस्तार के बाद से कांग्रेस छोड़कर BJP में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों का अच्छा खासा दबदबा है। शिवराज मंत्रिमंडल में 28 मंत्रियों में सिंधिया खेमे के 9 विधायक शामिल हैं। जबकि कांग्रेस के 3 ऐसे बागियों को मंत्री बनाया गया, जिन्होंने कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते बगावत कर BJP का दामन थामा था। हालांकि, ये तीनों भी सिंधिया की अगुवाई में ही BJP में शामिल हुए थे।
जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तब BJP के साथ-साथ उनकी अपनी ही कांग्रेस पार्टी में उनके विरोधियों की कमी नहीं थी। दिग्विजय सिंह के खेमे से जुड़े लोग पार्टी में रहते हुए सिंधिया के लिए परेशानी खड़ी करने की कोशिश करते रहे लेकिन सिंधिया पर कभी इसका असर नहीं हुआ बल्कि विरोधियों को ही समय-समय पर मुंह की खानी पड़ी।
राज्य में पिछले कुछ दिनों से असंतुष्ट नेताओं के बीच मेल मुलाकातों का दौर चल रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विरोधी लामबंद होने की कोशिश में लगे हुए हैं। राज्य के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा विरोध के केंद्र में दिखाई दे रहे हैं। राज्य मंत्रिमंडल की बैठकों में भी मंत्रियों के बीच कतिपय मुद्दों पर टकराव की स्थिति बनी हुई है।
ऐसा माना जाता है कि प्रधानमंत्री राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का समर्थन कर रहे हैं। इस कारण असंतुष्टों की मुहिम परवान नहीं चढ़ पाई है। यह संभावना जरूर प्रकट की जा रही है कि पार्टी में संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ बड़े बदलाव आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं।
सांसद बनने के बाद सक्रिय हो गए थे सिंधिया
राज्यसभा सदस्य बनने के बाद से ज्याेतिरादित्य सिंधिया की ग्वालियर-चंबल अंचल में सक्रियता काफी बढ़ गई थी। स्मार्ट सिटी, अमृत की याेजनाओं के साथ ही क्षेत्र विकास की अन्य याेजनाओं पर भी उनका काफी फाेकस था। फाइलाें में दफन मेट्राे के प्राेजेक्ट काे भी सिंधिया ने बाहर निकलवाया था। साथ ही मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद जिला प्रशासन ने ग्वालियर के विकास का एक ब्लू प्रिंट भी तैयार किया था। ऐसे में आमजन व व्यापारियाें का भी मानना हैै कि सिंधिया के मंत्री बनने से विकास याेजनाओं काे रफ्तार मिलेगी।
2019 में हार गए थे लोकसभा चुनाव
साल 2014 में भी मोदी लहर के बावजूद सिंधिया ने आम चुनाव में जीत हासिल की। लेकिन 2019 के आम चुनाव में पार्टी में गुटबाजी के कारण सिंधिया अपने ही सहयोगी रहे केपी यादव से चुनाव हार गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी में ही एक गुट लगातार साइन लाइन करने की साजिश रचते रहा। आखिरकार उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा जॉइन कर ली और अब करीब डेढ़ साल के इंतजार के बाद सिंधिया को केंद्र में एक बार फिर मंत्री बनाया जा रहा है।