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काठमांडू42 मिनट पहले
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नेपाल की 275 सदस्यीय संसद में प्रधानमंत्री ओली विश्वास मत पहले ही खो चुके हैं। फिलहाल वे अल्पमत की सरकार चला रहे हैं।
नेपाल में नवंबर में मध्यावधि चुनाव होने हैं। इससे पहले होने वाली पूरी प्रोसेस का शेड्यूल सोमवार को जारी कर दिया गया। राजनीतिक दलों को 15 से 30 जुलाई के बीच चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसकी सूचना 7 अगस्त को गजट में प्रकाशित होगी। यहां 12 नवंबर को पहले चरण के लिए और 17 नवंबर को दूसरे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे।
चुनाव आयोग की ओर से जारी शेड्यूल के मुताबिक, पहले चरण के लिए नॉमिनेशन 6 और 7 अक्टूबर को होगा। दूसरे चरण के लिए नॉमिनेशन की तारीख 16 और 17 अक्टूबर तय की गई है। यहां राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 21 नवंबर को निचले सदन संसद सभा को भंग कर दिया था और दो चरणों में मतदान कराने की घोषणा की थी।
क्यों कराने पड़ रहे मध्यावधि चुनाव?
20 नवंबर 2020 को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद भंग कर दी थी। 23 फरवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने निचले सदन को बहाल कर दिया था और संसद का सत्र बुलाने का आदेश दिया था। बाद में 9 मई को केपी शर्मा ओली और 12 मई को विपक्ष बहुमत साबित नहीं कर सका।
इसके बाद ही प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 21 मई को निचले सदन को भंग कर दिया था। नेपाल की 275 सदस्यीय संसद में प्रधानमंत्री ओली विश्वास मत पहले ही खो चुके हैं। फिलहाल ओली अल्पमत की सरकार चला रहे हैं।
अभी भी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है केस
संसद को भंग करने के खिलाफ कम से कम 30 याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें एक अर्जी नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन की भी है। इन पर फैसला होना अभी बाकी है।
2015 में लागू हुआ नया संविधान, नेपाल बना धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र
नेपाल में 2006 में राजा ज्ञानेंद्र ने सत्ता की सारी शक्तियां निर्वासित प्रतिनिधियों की सौंपने की अनुमति दी थी। इसके बाद सभी दलों ने मिलकर अंतरिम सरकार बना ली। इसी सरकार को यहां के संविधान का निर्माण करना था। इस दौरान नेपाल का अंतरिम संविधान बनाया गया। हालांकि कुछ पहलुओं पर विवाद होने के बाद लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया।
इसके बाद नेपाल में 20 सितंबर 2015 को नया संविधान लागू किया गया। इसे दूसरी संविधान सभा ने तैयार किया था। इससे पहले नेपाल दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र था। वर्तमान में नेपाल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। अब यहां सभी को इच्छा से किसी भी धर्म का पालन करने की आजादी है। सभी को साथ चलने की बात इस संविधान में कही गई है।