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- The Minister Said That The Estimates Of The Councilors Are Ready, Tenders Will Be Held Soon, The Work Will Start, The Councilor Said, When No Work Has Been Done In Four And A Half Years, Then How Will It Be Done In Six Months
फरीदाबाद11 घंटे पहले
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नाराज पार्षदों को मनाने के लिए फंड देने की बात कही गई।
नगर निगम पार्षद फंड को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है। वार्डों में पार्षद फंड से विकास कार्य न होने से उनमें नाराजगी है। इसे लेकर कई बार पार्षद नगर निगम कमिश्नर से मिलकर गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक फंड की व्यवस्था नहीं हो पायी है। पार्षदों से एस्टीमेट तो बनवा लिए गए लेकिन कामों का टेंडर तक नहीं हो पाया। क्योंकि निगम के पास पैसे ही नहीं है। ऐसे में पार्षदों की नाराजगी बढ़ती जा रही है।
इस बात की जानकारी मिलते ही केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने सेक्टर 12 लघु सचिवालय में आनन फानन में निगम सदन की बैठक बुलाई और पार्षदों को हरसंभव मनाने का प्रयास किया। पार्षदों को लालीपॉप देते हुए मंत्री ने कहा कि जल्द ही एक एक करोड़ के कार्याें के टेंडर लग जाएंगे और काम शुरू हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर पार्षदों का कहना है कि जब साढ़े चार साल में एक पैसा भी वार्डों के विकास के लिए नहीं मिला तो छह महीने में एक करोड़ का काम कैसे हो जाएगा। इसलिए झूठे वादे कराना न्याय संगत नहीं है।
फंड दो करोड़ से एक करोड़ पर आया फिर भी नहीं मिला
बता दें कि वर्ष 2017 में नगर निगम सदन का गठन हाेने के बाद 10 मार्च को सदन की पहली बैठक बुलाई गयी थी। इस बैठक में केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर भी शामिल हुए थे। सदन की पहली बैठक में यह तय हुआ था कि शहर के सभी 40 वार्ड में विकास कार्य कराने के लिए पार्षद फंड बनेगा। हर साल दो दो करोड़ के विकास कार्य पार्षद फंड से कराए जाएंगे। लेकिन साढ़े चार साल का समय बीत जाने के बाद भी किसी भी पार्षद को फंड नहीं मिला।
पांच साल में दस करोड़ मिलने थे यहां एक करोड़ भी नहीं
मंत्री की घोषणा के मुताबिक 40 पार्षदों को पांच साल में 10 करोड़ तक के काम होने थे। लेकिन इन साढ़े चार सालों में एक करोड़ का भी काम नहीं हुआ। विपक्ष समेत सत्तापार्टी के पार्षद भी अब यही कहने लगे हैं कि पार्षद फंड के नाम पर सिर्फ लालीपाॅप दिया जा रहा है। सिर्फ झूठे वादे किए जा रहे हैं। निगम पार्षद राकेश भड़ाना, जितेंद्र भड़ाना, रतनपाल, महेंद्र सरपंच, जसवंत सिंह आदि का कहना है कि जब साढ़े चार साल में कोई काम नहीं हुआ तो छह माह में कैसे हो जाएगा। पार्षदों ने यहां तक कहा कि जब सीवरलाइन की सफाई, स्ट्रीट लाइट तक ठीक नहीं हो पा रही है तो एक करोड़ मिलने की बात तो दूर की है।
सबसे खराब सदन हुआ साबित
पार्षदाें ने कहा कि इतना खराब सदन आज तक कभी नहीं था। सदन की गरिमा का ख्याल न तो सरकार को है और न ही स्थानीय राजनेताओं को। नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी पार्षदों ने कहा कि वह अपने वार्ड में कोई काम नहीं करा पाए हैं। चुनाव में वह किस मुंह से वोट मांगने जाएंगे। सबसे बुरा हाल एनआईटी क्षेत्र के पार्षदों का है। खास बात ये है कि अपनी बदनामी से बचने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री ने सदन की बैठक में मीडिया को दूर रखा ताकि सत्तापार्टी की कमियां उजागर न होने पाए। बैठक खत्म करने के बाद बाहर निकले केंद्रीय राज्यमंत्री ने दावा किया कि कोई पार्षद नाराज नहीं है। पार्षदों के एस्टीमेट बनकर तैयार हैं। जल्द टेंडर जारी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वार्डों में समस्याएं हैं लेकिन समस्याओं का समाधान एक दिन में नहीं हो जाता। यह सतत प्रक्रिया है। उन्होंने निगम की आय बढ़ाने पर भी मंथन किया। बैठक में मेयर सुमन बाला,सीनियर डिप्टी मेयर देवेंद्र चौधरी, डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग, सुभाष आहूजा, अजय बैंसला,,सतीश चंदीला समेत अन्य पार्षद मौजूद रहे।