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- 90 Years Old Clock Silent For 30 Years Basant Rai Is The Only Living Person Who Has The Skill To Repair It
भोपाल25 मिनट पहलेलेखक: अलीम बजमी
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ये है हमीदिया अस्पताल का अधीक्षक कार्यालय। यहां ऐतिहासिक महत्व की 90 साल पुरानी घड़ी करीब 30 फीट ऊंचे टाॅवर पर लगी है।
- हमीदिया में सुपर स्पेशियलिटी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए नई-नई बिल्डिंगें बन रही हैं, लेकिन इस घड़ी की सुध लेने वाला कोई नहीं
ये है हमीदिया अस्पताल का अधीक्षक कार्यालय। यहां ऐतिहासिक महत्व की 90 साल पुरानी घड़ी करीब 30 फीट ऊंचे टाॅवर पर लगी है। लेकिन यह 30 साल से खामोश है। एक ओर जहां हमीदिया काे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने के लिए जोर-शोर से काम चल रहा है।
वहीं दूसरी ओर इस घड़ी की सुध लेने वाला कोई नहीं है। खास यह है कि इस घड़ी को सुधारने का हुनर रखने वाले शहर के एक मात्र जीवित शख्स हैं बसंत राय। हमीदिया अधीक्षक डॉ. लोकेंद्र दवे ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में है। शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे ताकि घड़ी पूर्व की तरह चलने लगे।
पीढ़ी दर पीढ़ी… ये घड़ीसाज..
नवाबी काल में घड़ी की देखरेख करने वाले घड़ी साज हुल्लासराय की तीसरी पीढ़ी के 56 वर्षीय बसंत राय बताते हैं कि प्रबंधन की अनदेखी के कारण भोपाल का कीमती सरमाया खत्म होने की कगार पर है। दादाजी के निधन के बाद ये जिम्मेदारी चाचा ब्रजमोहन और पिता भवानी शंकर ने निभाई। इनके निधन के बाद बड़े भाई त्रिलोक राय ने यह काम देखा। उनका भी अब निधन हो गया।
फ्लैश बैक… सैफिया कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर अशर किदवई की मानें तो हमीदिया का पुराना नाम प्रिंस ऑफ वेल्स किंग एडवर्ड्स मेमोरियल हॉस्पिटल हैं। 1949 में भोपाल रियासत के संघ शासन में विलय से पहले यहां 175 बिस्तर थे।
इसलिए खास है घड़ी..नवाब सुल्तान जहां बेगम ने लंदन से बुलवाई थी
इस घड़ी को नवाब सुल्तान जहां बेगम ने लंदन से बुलवाया था। करीब 3 किलो वजनी चाबी भी हैंडलनुमा है। एक बार चाभी भरने पर यह 10 दिन तक समय बताती थी। यह पीतल, तांबा और लोहे की है। इसकी खासियत ये है कि एक ही मशीन से चार दिशाओं में एक जैसा टाइम प्रदर्शित होता है। इसके अंदर पीतल का एक बड़ा घंटा है। यह करीब 15-20 किलो का होगा।