वास्तव में यह सांविधानिक नहीं बल्कि पार्टी का भीतरी रणनीतिक संकट भर था। यह इस बात को भी दर्शाता है कि भाजपा ने प्रचंड बहुमत के बाद और कोई विशेष कारण न होने के बावजूद बार-बार मुख्यमंत्री बदले हैं।
उत्तराखंड : पुष्कर सिंह धामी बनेंगे नए सीएम, रविवार को शपथ लेंगे राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री
संविधान की जिस धारा 151ए का हवाला देकर पार्टी उपचुनाव न हो सकने की बाध्यता बता रही है उसके तहत ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। इस मामले में वर्ष 2017 का नगालैंड हाईकोर्ट का फैसला उदाहरण योग्य है। तब ऐसी ही परिस्थितियों में कोर्ट ने इस धारा का विश्लेषण करने के बाद विधानसभा का कार्यकाल मात्र आठ माह शेष रहते चुनाव आयोग के उप चुनाव कराने संबंधी निर्णय को सही ठहराया था।
हालांकि चुनाव आयोग ने बंगाल के चुनाव में कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ने पर मूकदर्शक बने रहने से हुई फजीहत और और मद्रास हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के बाद घोषणा की थी कि फिलहाल वह देश में उपचुनाव नहीं करवाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी को अनुचित करार दिया था लेकिन आयोग की फजीहत तो हो ही चुकी थी।