May 20, 2024 : 10:18 PM
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दुनिया में सर्दी भी, गर्मी भी:न्यूजीलैंड में रिकॉर्ड बर्फबारी; 55 साल में पहली बार जून-जुलाई में बर्फबारी, राजधानी वेलिंगटन में लोकल स्टेट आपातकाल की घोषणा

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  • Record Snowfall In New Zealand; Snowfall In June July For The First Time In 55 Years, Local State Emergency Declared In The Capital Wellington

ऑकलैंड/ओटावा/वॉशिंगटनएक घंटा पहले

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तस्वीर न्यूजीलैंड के ओटागो रीजन की। यहां 8 इंच तक बर्फबारी हुई। - Dainik Bhaskar

तस्वीर न्यूजीलैंड के ओटागो रीजन की। यहां 8 इंच तक बर्फबारी हुई।

  • राष्ट्रीय राजमार्ग बंद, बर्फबारी कारण कई उड़ानें भी रद्द की गईं

जहां एक ओर यूरोपीय और अमेरिकी देश रिकॉर्ड तोड़ गर्मी से जूझ रहे हैं। वहीं, 50 लाख की आबादी वाला न्यूजीलैंड 55 साल की रिकॉर्ड सर्दी का सामना कर रहा है। बर्फीले तूफान के कारण न्यूजीलैंड में कई राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हैं। हर दिन कई उड़ानें रद्द करनी पड़ रही हैं।

मौसम विभाग के मुताबिक, आमतौर पर न्यूजीलैंड में जुलाई के अंत या अगस्त के शुरुआत में बर्फबारी शुरू होती है। लेकिन आर्कटिक ब्लास्ट के कारण एक महीने पहले जून में ही बर्फबारी शुरू हो चुकी है।

कुछ शहरों में एक दशक बाद बर्फबारी हुई। इसके कारण न्यूजीलैंड में जून का महीना पिछले 55 साल में सबसे ठंडा रहा। इस दौरान कई शहरों का तापमान 1 डिग्री से माइनस 4 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। जून में न्यूजीलैंड का तापमान 11 से 15 डिग्री के बीच रहता है।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, राजधानी वेलिंगटन में लोकल स्टेट आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। बर्फबारी वाले इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। मौसम विभाग का कहना है कि आर्कटिक की ओर से चल रहीं बर्फीली हवाओं के कारण समुद्री किनारों पर 12 मीटर ऊंची लहरें उठ रही हैं। ओलावृष्टि के साथ भारी बारिश भी हो सकती है, जिससे ठंड और बढ़ सकती है। आर्कटिक ब्लास्ट के कारण ऑस्ट्रेलिया में भी ठंड बढ़ सकती है।

क्या है आर्कटिक ब्लास्ट?

धरती पर सबसे ठंडी जगह अंटार्कटिका महासागर है, जो उत्तरी ध्रुव पर मौजूद है। यहां हर वक्त तापमान माइनस 80 डिग्री से नीचे रहता है। ठंड के सीजन में तापमान बहुत कम हो जाने पर अक्षांश वाले इलाकों में बर्फीला तूफान चलने लगता है। इससे पूरे इलाके में मोटी-बर्फ जम जाती है। इसे ही आर्कटिक ब्लास्ट कहा जाता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि पारा नीचे गिरने से वहां हाई प्रेशर बनता है। हवाएं तेजी से लो प्रेशर एरिया की तरफ निकलती है, जो बर्फबारी कराती हैं और ठंड बढ़ाती हैं।

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हीट वेव: दो सिस्टम से उच्च दबाव का क्षेत्र बना; ये स्थिति प्रेशर कुकर जैसी, जिसमें ठंडी हवा ही नहीं जा पा रही है

कनाडा-अमेरिका में भीषण गर्मी और लू क्यों?

पश्चिमी अमेरिका और उत्तर-पश्चिमी कनाडा खतरनाक लू से झुलस रहे हैं। ये ठंडे मौसम के आदी हैं। अमेरिकी मौसम विज्ञानी रिचर्ड बैन ने बताया कि दो उच्च दबाव के दो सिस्टम बनने से लू चरम पर है। पहला सिस्टम अलास्का में अलेउतियन द्वीप समूह से आ रहा है। दूसरा कनाडा में जेम्स बे और हडसन बे से। इनसे प्रशांत उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में ऐसा आवरण बना, जो बेहद गर्म है। इसमें बादल बेहद कम हैं। ये स्थिति प्रेशर कुकर के समान है। इस स्थिति के कारण प्रशांत क्षेत्र की ठंडी समुद्री हवा का प्रवाह ही रुक गया है।

ये घटना असामान्य कैसे और क्यों है?

इस तरह की घटनाएं एक से तीन दशक में एक बार ही होती हैं। प्रशांत उत्तर-पश्चिम में विशेष रूप से समुद्र से लगा कैस्केड का पश्चिमी किनारा लगातार कई दिन तक गर्म रह सकता है।

यह स्थिति चिंताजनक क्यों है?

क्योंकि अब तक गर्मी के इतने भीषण हालत नहीं बने थे। इस क्षेत्र के लिए विशेष रूप से हानिकारक हैं। लोग इसके अभ्यस्त नहीं हैं। खासकर 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के 22 करोड़ लोग आग जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। इससे निपटने का भी लोगों को तरीका नहीं मालूम।

लोगों को इस लू से कब राहत मिलेगी?
दो हफ्तों तक सामान्य से अधिक तापमान रह सकता है। संभवत: अगले हफ्ते के मध्य से पारा कम होने लगेगा। इस प्रकार की लंबी गर्मी खतरनाक हो सकती है। इससे जंगल में आग की घटनाएं बढ़ेगी और कृषि पर भी प्रतिकूल असर होगा।

क्या इस लू पर जलवायु परिवर्तन ने असर डाला?
बिल्कुल। 1900 की तुलना में पारा 2 डिग्री ज्यादा है। धरती की जलवायु लगातार गर्म हो रही है। इसके अलावा पूरा पश्चिमी अमेरिका सूखे की चपेट में है। जब सूखा होता है, तो वह सूरज की रोशनी सीधे जमीन और हवा को गर्म करने में जाती है। इससे हीट वेव यानी लू खतरनाक हो रही है।

कनाडा में पांच दिन में 486 मौतें, गर्मी से कई इलाकों में आग

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में गुरुवार को रिकॉर्ड 49.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। भीषण गर्मी के कारण 5 दिनों में मौतों का आंकड़ा 486 पहुंच गया है। ब्रिटिश कोलंबिया के चीफ क्रोनर लीसा लैप्वाइंटे ने बताया कि यहां सामान्य से तीन गुना ज्यादा गर्मी पड़ रही है। दूसरी ओर, अमेरिका का ओरेगन और वॉशिंगटन में गुरुवार तक 80 से ज्यादा लोग गर्मी की वजह से दम तोड़ चुके हैं। इस गर्मी के कारण कनाडा और अमेरिका के जंगलों में आग लगने लगी है।

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