3 घंटे पहले
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फिल्म शेरनी में शिकारी का किरदार निभाने वाले सीनियर एक्टर शरत सक्सेना का कहना है कि इस किरदार में उतरने के लिए उन्हें ज्यादा मुश्किल नहीं हुई। उन्होंने कहा कि जिस तरह के शिकारी का किरदार मैंने निभाया है, वैसी मानसिकता शायद ज्यादतर भारतीय मर्दों की रहती है। शरत फिल्म में राजन राजहंस उर्फ पिंटू भैया का किरदार निभा रहे हैं।
उन्होंने अपने करियर के बारे में एक इंट्रेस्टिंग फैक्ट भी साझा किया। उन्होंने कहा कि 40 साल के करियर में उन्होंने 600 एक्शन सीन किए और इस दौरान उन्हें 12 बार अस्पताल भी जाना पड़ा था। सक्सेना को मिस्टर इंडिया, त्रिदेव, गुलाम, क्रिश, हंसी तो फंसी और बजरंगी भाईजान में निभाए गए किरदारों के लिए जाना जात है।
मर्दों को लगता है वो औरतों से ज्यादा जानते हैं- सक्सेना
शरत ने बताया कि फिल्म में उनका किरदार एक कट्टर शिकारी का है। पिंटू भैया भी वैसे ही इंसान दिखाए गए हैं, जैसे ज्यादातर भारतीय होते हैं यानी औरतों को दबाने वाले। उन्हें लगता है कि गांव को नरभक्षी शेर से केवल वही बचा सकते हैं। वो कहते हैं कि ऐसा हर जगह होता है। मर्दों को लगता है कि वो औरतों से ज्यादा जानते हैं। यही वो वातावरण है, जिसमें हम सब बड़े हुए हैं। ऐसे में इस किरदार को निभाना ज्यादा मुश्किल नहीं हुआ। मैं भी एक टिपिकल इंडियन की तरह की पला-बढ़ा। मुझे बस ऐसे ही भारतीय की तरह व्यवहार करना था।
मैं भी मुंबई हीरो बनने का सपना लेकर आया था
क्वालिफाइड इंजीनियर शरत ने कहा कि ज्यादातर लोगों की तरह 1970 में मैं भी मुंबई में हीरो बनने का सपना लेकर आया था, पर मुझे निगेटिव किरदार निभाने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि यहां कोई भी ऐसा सोचकर नहीं आता कि उसकी हर दिन पिटाई हो। मैं भी हीरो बनने की सोचकर आया था, पर हुआ कुछ और। यहां हीरो का एक सेट पैटर्न है। उसका रंग साफ होना चाहिए, बाल सीधे होने चाहिए और अगर उसकी आंखें नीली हों तो ये उसके लिए बोनस है।
मेरे पास ये क्वालिटी नहीं थी। मैं हट्टा-कट्टा था और उस दौर में हट्टा-कट्टा होने का मतलब अपराध था। ऐसा समझा जाता था कि आप बेदिमाग, अनपढ़ और भावनाओं से पूरी तरह से दूर हैं। हालांकि, मनचाहा काम न मिलने पर भी मैं निराश नहीं हुआ और इसीलिए मैं आज तक चल रहा हूं।