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- How Delta Plus Variant Mutated From SARS Cov2 And How Much Delta Plus Variant Infectious
11 घंटे पहले
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देश में कोरोना के नए रूप डेल्टा प्लस के करीब 50 मामले मिल चुके हैं। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में इसके मिलने की पुष्टि भी हो चुकी है। कौन सी वैक्सीन इस वैरिएंट पर अधिक असरदार है, यह जानकारी सामने आना बाकी है, लेकिन हालिया रिसर्च में सामने आया है कि कोवैक्सीन डेल्टा प्लस वैरिएंट पर असरदार है। एक्सपर्ट्स का कहना है, तीसरी लहर को रोकने के लिए डेल्टा प्लस से बचाव करना जरूरी है।
मुम्बई के मसीना हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. तृप्ति गिलाडा से जानिए, डेल्टा प्लस वैरिएंट कैसे बना और यह कितना खतरनाक है…
कोरोनावायरस से कैसे बना डेल्टा प्लस वैरिएंट?
डॉ. तृप्ति कहती हैं, दूसरे वायरस की तरह कोरोना भी रेप्लिकेट होता है, यानी अपनी संख्या को बढ़ाता है। इस दौरान वायरस में म्यूटेशन होता है। यह वायरस में एक तरह का होने वाला बदलाव है। इस तरह वायरस में हजारों बदलाव होते हैं, लेकिन कुछ बदलाव ऐसे होते हैं जो इसे अधिक खतरनाक और संक्रामक बना देते हैं।
इसी साल अप्रैल-मई में मौतों के मामले बढ़ने के लिए कोरोना के नए रूप डेल्टा वैरिएंट को जिम्मेदार बताया गया था। इसी डेल्टा वैरिएंट में हुए बदलाव के बाद नया डेल्टा प्लस वायरस बना है। एक्सपर्ट्स का मानना है, यह पिछले वायरस से ज्यादा खतरनाक और संक्रमक है।
एक्सपर्ट्स कहते हैं, कोरोना की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में मौतें ज्यादा हुई हैं, इसकी वजह डेल्टा वैरिएंट है। कुछ वैज्ञानिक नए डेल्टा प्लस से तीसरी लहर आने का खतरा भी जता रहे हैं।
अब तक कहां-कहां मिला है डेल्टा प्लस?
कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट भारत, अमेरिका और ब्रिटेन में पाया जा चुका है। भारत के 7 राज्यों में से 40 सैम्पल्स में डेल्टा प्लस होने की पुष्टि पहले ही हो चुकी है। इनमें से 16 सैम्पल अप्रैल में महाराष्ट्र से लिए गए थे। अभी भी इसके बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आ पाई है। वर्तमान इसके मामलों का आंकड़ा 50 तक पहुंच चुका है।
कौन सी वैक्सीन डेल्टा प्लस पर कारगर है?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के DG डॉ. बलराम भार्गव का कहना है अभी दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है, लेकिन अच्छी बात ये है कि कोवीशील्ड और कोवैक्सिन अब तक सभी वैरिएंट पर कारगर सिद्ध हुई हैं।
डॉ. भार्गव ने बताया कि डेल्टा प्लस वैरिएंट अभी 12 देशों में मौजूद है। देश में अब तक 11 राज्यों में 50 मामलों की पहचान की गई है। डेल्टा प्लस वैरिएंट पर मौजूदा वैक्सीन कितना प्रभावी होगा इस पर रिसर्च जारी है। डॉ. भार्गव ने बताया कि अब तक के वैरिएंट- अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा के आधार पर ही डेल्टा प्लस के लिए वैक्सीन के एफिकेसी की पहचान की जा रही है। इसके परिणाम अगले 7 से 10 दिनों में मिल जाएंगे।
लोग संशय में हैं कि कौन सी वैक्सीन इस वैरिएंट पर असरदार साबित होगी। लेकिन अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिेकों का कहना है, कोवैक्सीन कोरोना के दोनों रूप डेल्टा और डेल्टा प्लस पर असरदार है।
कितना खतरनाक है डेल्टा प्लस?
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है, यह तेजी से संक्रमण फैला सकता है, लेकिन अब तक इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। पिछले 2 महीने से कई राज्यों में डेल्टा प्लस की मौजूदगी देखी गई है, लेकिन यहां मामलों की संख्या में तेजी नहीं दिखी है। कुछ राज्यों में बढ़ते मामलों की वजह अनलॉक को बताया जा रहा है। हालांकि, यह नया वैरिएंट कोरोना के कुछ मरीजों में दी जाने वाली कृत्रिम एंटीबॉडीज के असर को जरूर कम करता है।
इन बातों का जरूर ध्यान रखें
- बुखार, सूखी खांसी, सीने में दर्द, सांस फूलने या सांस लेने में दिक्कत होने पर डॉक्टरी सलाह जरूर लें या कोरोना की जांच कराएं।
- स्किन पर चकत्ते, पैरों की उंगलियों के रंग बदलने, गले में खराश, स्वाद और खुशबू का पता न चले तो अलर्ट हो जाएं।
- घर से बाहर निकलते समय डबल मास्क लगाएं। भले ही मामले कम हो रहे हों लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना न भूलें।
- हाथों को सैनेटाइजर से साफ करें। बाहर से आने के बाद 20 सेकंड तक साबुन-पानी से हाथ धोएं।