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6 घंटे पहले
कॉपी लिंकहिंदू कैलेंडर का ज्येष्ठ महीना गर्मी के मौसम में आता है, इसलिए ऋषि-मुनियों ने पानी बचाने के लिए बनाएं व्रत
हिंदू कैलेंडर का ज्येष्ठ महीने के दौरान गर्मी का मौसम रहता है। इसलिए पानी की अहमियत समझाने के लिए ऋषि-मुनियों ने इस महीने में लगातार दो दिन पानी से जुड़े दो व्रत-पर्व की व्यवस्था की है। ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। इसके अगले ही दिन एकादशी पर पूरे दिन बिना पानी पीए निर्जला एकादशी व्रत किया जाता है। साथ ही पूरे महीने जल दान भी किया जाता है। इस तरह पानी बचाने की कोशिश की जाती है।
गंगा दशहरा: 20 जून, रविवारइस व्रत से ऋषियों ने संदेश दिया है कि गंगा नदी की पूजा करनी चाहिए और जल की अहमियत समझनी चाहिए। कुछ ग्रंथों में गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा गया है। क्योंकि ये अपने गुणों के कारण दूसरी नदियों से ज्यादा महत्वपूर्ण मानी गई हैं। इसलिए इसे ज्येष्ठ यानी दूसरी नदियों से बड़ा माना गया है।
भौगोलिक नजरिये से देखा जाए तो सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदी गंगा से बड़ी हैं। लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार गंगा के पानी गुणों से भरपूर है और इसका धार्मिक महत्व भी होने से गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर गंगा नदी की पूजा के बाद अन्य 7 पवित्र नदियों की भी पूजा की जाती है।
निर्जला एकादशी: 21 जून, सोमवारगंगा दशहरे के अगले दिन ही निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। इस व्रत में पूरे दिन पानी नहीं पिया जाता है। कथा के मुताबिक महाभारत काल में सबसे पहले भीम ने इस व्रत को किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा गया है।
इस व्रत में सुबह जल्दी नहाकर भगवान विष्णु की पूजा में जल दान का संकल्प भी लिया जाता है। व्रत करने वाले पूरे दिन जल नहीं पीते और मिट्टी के घड़े में पानी भरकर उसका दान करते हैं। इस व्रत पर भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। इस व्रत से पानी का महत्व पता चलता है।
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