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संक्रमण के बाद बेकाबू होता इम्यून सिस्टम मोटे लोगों में बढ़ाता है मौत का खतरा, 3 तरह से कोरोना मरीज काे जकड़ता है

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17 मिनट पहले

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  • आईसीयू में भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीजों का वजन अधिक निकला, इंफ्लुएंजा महामारी में भी सबसे ज्यादा खतरा इन्हें ही था

अमेरिका के जॉन प्लेस की उम्र 43 साल है और वजन 112 किलो है। जून में जॉन को कोरोना का संक्रमण हुआ और आईसीयू में भर्ती किया गया। मोटापे के कारण डॉक्टरों ने इनकी बचने सम्भावना 20 फीसदी ही जताई थी। काफी इलाज के बाद जॉन रिकवर तो हुए लेकिन शरीर में हो रहा दर्द अभी भी परेशान कर रहा है।

दुनियाभर के कई देशों में हुई रिसर्च कहती है, मोटे लोगों को कोरोना 3 तरह से परेशान करता है। पहला, इनमें संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है। दूसरा, इनमें संक्रमण होने पर ज्यादातर मामलों में हालत नाजुक हो जाती है। तीसरा, अगर ये मोटापे के अलावा डायबिटीज या हार्ट डिसीज से जूझ रहे हैं तो केस और बिगड़ता है।

अधिक वजन वाले लोगों में कोरोना का संक्रमण जल्दी क्यों होता है, दूसरे मरीजों के मुकाबले हालत नाजुक क्यों हो जाती है क्यों इनमें कोविड-19 से लड़ने की क्षमता घट जाती है, रिसर्चरों की मदद से हमनें यह जाना। पढ़िए रिपोर्ट….

बेकाबू हो जाता है रोगों से लड़ने वाला इम्यून सिस्टम
इंटरनेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन एंडोक्राइन सोसायटी के जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, मोटापा कोरोना से लड़ना मुश्किल कर देता है। ऐसे लोगों में ज्यादातर संक्रमण के बाद इम्यून सिस्टम बेकाबू हो जाता है। यानी शरीर को बचाने वाला सिस्टम ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है।

विज्ञान की भाषा में इसे साइटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं। मोटापे के कारण डायबिटीज, हार्ट और किडनी डिसीज को बढ़ावा मिलता है, जिसका असर शरीर में रोगों से लड़ने वाले इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। अगर मोटापे के अलावा किसी और भी बीमारी से जूझ रहे हैं और संक्रमण के बाद चुनौती बढ़ जाती है।

बीएमआई अधिक यानी खतरा ज्यादा
इस साल 1 से 4 सितंबर के बीच वर्चुअल इंटरनेशनल ओबेसिटी कॉन्फ्रेंस हुई। इस दौरान मोटापे और कोविड-19 के बीच क्या कनेक्शन है, इससे जुड़ा डाटा पेश किया गया। डाटा के मुताबिक, रिसर्च के दौरान कोविड-19 के 124 मरीज आईसीयू में भर्ती हुए। इनमें से मात्र 10 फीसदी ही ऐसे मरीज थे जिनका वजन सामान्य था। ज्यादातर ऐसे मरीज थे जिनका बीएमआई या 30 से 40 की रेंज में था।यानी सामान्य से अधिक वजन वाले इंसान।

बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स, यह ऐसा पैमाना है जो वैज्ञानिक नजरिए से बताता है, आपका वजन ज्यादा है या कम। बीएमआई 25 से कम से होना ही बेहतर माना जाता है। आंकड़ा जैसे ही इसके ऊपर जाता है, खतरा बढ़ जाता है।

खतरा कई बार साबित भी हुआ है
अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, मोटे लोग कोविड-19 के रिस्क जोन में हैं लेकिन यह पहली बार नहीं है। 2009 में H1N1 इंफ्लुएंजा महामारी के समय भी अधिक वजन वाले लोगों में संक्रमण अधिक बढ़ा और जानें गईं। 1950 और 1960 के दौर की फ्लू महामारी में भी अधिक चर्बी वाले लोगों को खतरा अधिक रहा है और इनकी मौत का आंकड़ा भी ज्यादा था।

मोटापे से जुड़ी 5 बातें आपको जरूरत मालूम होनी चाहिए

1. सिर्फ वजन का बढ़ना मोटापा नहीं
मुम्बई के जसलोक हॉस्पिटल के कंसल्टेंट बेरियाट्रिक सर्जन डॉ. संजय बोरूडे के मुताबिक, मोटापा कितना है यह तीन तरह से जांचा जाता है। पहले तरीके में शरीर का फैट, मसल्स, हड्डी और बॉडी में मौजूद पानी का वजन जांचा जाता है। दूसरा है बॉडी मास इंडेक्स। तीसरी जांच में कूल्हे और कमर का अनुपात देखा जाता है। ये जांच बताती हैं आप वाकई में मोटे है या नहीं।

2. यह बीमारियों की नींव है
आमभाषा में कहें तो मोटापा ज्यादातर बीमारियों की नींव है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, जॉइंट पेन और कैंसर तक की वजह चर्बी है। फैट जब बढ़ता है तो शरीर के हर हिस्से में बढ़ता है। चर्बी से निकलने वाले हार्मोन नुकसान पहुंचाते हैं इसलिए शरीर का हर हिस्सा इससे प्रभावित होता है। जैसे- पेन्क्रियाज का फैट डायबिटीज, किडनी का फैट ब्लड प्रेशर, हार्ट से आसपास जमा चर्बी हदय रोगों की वजह बनती है।

3. दो तरह से बढ़ता है मोटापा
मोटापा दो वजहों से बढ़ता है। पहला आनुवांशिक यानी फैमिली हिस्ट्री से मिलने वाला मोटापा। दूसरा, बाहरी कारणों से बढ़ने वाला मोटापा। जैसे ऐसी चीजें ज्यादा खाना जो तला हुआ या अधिक कैलोरी वाला है। जैसे फास्ट और जंक फूड। सिटिंग जॉब वालों में मोटापे का कारण कैलोरी का बर्न न होना है।

4. इसे घटाने का आसान तरीका समझें
रोजाना 30 मिनट की वॉक, सीढ़ी चढ़ना, रात का खाना हल्का लेना और घर के कामों को करके भी मोटापा आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह शरीर के साथ दिमाग के लिए भी नुकसानदेह है।

5. थोड़ा बदलाव में खानपान में करें
नाश्ते में अंकुरित अनाज यानी मूंग, चना और सोयाबीन को अंकुरित खाएं। ऐसा करने से उनमें मौजूद पोषक तत्‍वों की मात्रा बढ़ती है। मौसमी हरी सब्जियों को डाइट में शामिल करें। अधिक फैट वाला दूध, बटर तथा पनीर लेने से बचें।

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