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Hindi NewsLocalHaryanaPanipatBhakiu District President Beat Up A Mill Journalist With Colleagues, Even Two Days Ago, A Case Was Registered For Threatening Public Representatives
पानीपत24 मिनट पहले
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भाकियू जिलाध्यक्ष सुधीर जाखड़ (
चढ़ूनी ग्रुप का जिलाध्यक्ष है आरोपी, पत्रकार की शिकायत पर सिटी थाना पुलिस ने दर्ज किया केस
भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी ग्रुप) के पानीपत जिलाध्यक्ष पर एक और केस दर्ज किया गया है। प्रिंट मीडिया के पत्रकार ने जिलाध्यक्ष पर अपने साथियों के साथ मिलकर मारपीट करने का आरोप लगाया है। दो दिन पहले भाकियू जिलाध्यक्ष पर जनप्रतिनिधियों को धमकी देने और वीडियो वायरल कर रोष फैलाने का केस दर्ज किया गया था। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
उद्धाटन के साथ पानीपत का मीडिया सेंटर जंग का अखाड़ा बन गया। कच्चा कैंप की पुरेवाल कॉलोनी निवासी सौरव शर्मा ने बताया कि वह वर्तमान में चंडीगढ़ में पत्रकार के रूप में कार्यरत है। वह पानीपत में भी 10 साल पत्रकारिता कर चुका है। वह अन्य पत्रकारों के साथ 15 जून को मीडिया सेंटर में मीटिंग कर रहा था।
तभी भारतीय किसान यूनियन का जिलाध्यक्ष सुधीर जाखड़ अपने साथियों के वहां आया। खुद का यू-टयूब चैनल होने की बात कहते हुए जिलाध्यक्ष ने अपनी बैठक करने और मीडिया सेंटर को यूनियन सेंटर में तब्दील करने की बात कही। इसका पत्रकारों ने विरोध किया।
आरोपी है कि सुधीर जाखड़ ने गाली-गलौज के बाद अपने साथियों के साथ मिलकर सौरव शर्मा के साथ मारपीट कर दी। साथी पत्रकारों ने बीच-बचाव कराया। आरोप है कि जब सभी मीडिया सेंटर से बाहर आने लगे तो जिलाध्यक्ष ने फिर अपने साथियों के साथ मिलकर सौरव शर्मा की पिटाई कर दी। अब पुलिस ने जिलाध्यक्ष के खिलाफ केस दर्ज किया है।
जनप्रतिनिधियों को धमकाने व पोस्ट वायरल करने का पहले ही है केस दर्जइंसरना के ब्राह्मण माजरा में बीते रविवार को सांसद और विधायक को कान्हा टैक्सटाइल का उद्धाटन करना था। इससे पहले भी भाकियू जिलाध्यक्ष सुधीर जाखड़ ने वहां पहुंचकर जनप्रतिनिधियों के आने पर हाथ-पैर तोड़ने की धमकी दी। जिस कारण जनप्रतिनिधियों ने कार्यक्रम कैंसिल कर दिया। यह धमकी भरा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। जिसके बाद इसराना थाना पुलिस ने सुधीर जाखड़ व अन्यों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
आंदोलन को दबाने के लिए राजनीति षडयंत्र है : जिलाध्यक्षभाकियू जिलाध्यक्ष सुधीर जाखड़ ने कहा कि मीडिया सेंटर में कहासुनी के बाद समझौता हो गया था। अब इसे राजनीति रूप दिया जा रहा है। ताकि किसान आंदोलन को दबाया जा सके।
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