May 19, 2024 : 11:00 AM
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राजधानी में ब्लैक फंगस का डर सताने लगा: मल्टीपल बीमारियों वाले गंभीर मरीजों में सामने आ रहा है ब्लैक फंगस, हजारों साल पुरानी बीमारी है ब्लैक फंगस

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नई दिल्ली3 घंटे पहले

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कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ दिल्ली में ब्लैक फंगस का डर सताने लगा है। दिल्ली में अभी तक 160 से अधिक केस सामने आ चुके हैं इस संबंध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कई मरीजों में अनियंत्रित शुगर और कोरोना के कारण ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

किसी व्यक्ति को कोरोना हुआ है और उसमें शुगर का लेवल नियंत्रण में नहीं है साथ ही इन्हें स्टेरॉयड युक्त दवाएं ले रहा है तो ब्लैक फंगस की समस्या बढ़ सकती है। बता दें कि कोरोना से ठीक होने वाले या संक्रमण के दौरान मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। इसके चलते मरीजों की मौत तक हो रही है।

अनियंत्रित शुगर, स्टेरॉयड का अधिक एवं बेवजह इस्तेमाल और कोरोना संक्रमण से ब्लैक फंगस जानलेवा हो सकता है। बता दें कि वर्तमान में गंगाराम अस्पताल में 45, लेडी हार्डिंग में 15, एम्स में 25 और मैक्स फोर्टिस में 75 मामले समाने आ चुके हैं।

स्टेरॉयड से बढ़ता है शुगर

डॉ गुलेरिया ने कहा कि कई बार लोगों को पता नहीं होता कि उन्हें शुगर की समस्या है। स्टेरॉयड लेने के बाद शुगर का स्तर 300 से 400 तक पहुंच सकता है। यह सीधे तौर पर नुकसान दे सकता है। यह बीमारी चेहरे को प्रभावित करते हैं। साथ ही यह फेफड़े, दिमाग और आंख में भी फैल सकता है। सिरदर्द, नाक से खून आना, चेहरे पर सूजन, बुखार, खांसी में खून, छाती में दर्द जैसे लक्षण मिलते हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से यह अधिक खतरनाक हो चुका है।

बढ़ रही है मौत की दर

डॉ गुलेरिया ने कहा कि द्वितीयक संक्रमण (फंगल और बैक्टीरियल) के कारण कोरोना महामारी में मृत्यु दर बढ़ रही है। म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के बीजाणु मिट्टी, हवा और यहां तक कि भोजन में भी पाए जाते हैं लेकिन ये कमजोर होते हैं और आम तौर पर संक्रमण का कारण नहीं बनते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड से पहले इस संक्रमण के बहुत कम मामले थे, लेकिन अब कोविड के कारण इसके मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं।

वहीं गंगाराम अस्पताल के ईएनटी डॉक्टर अजय स्वरुप का कहना है कि गंभीर मरीजों में ही ब्लैक फंगस का संक्रमण देखने को मिल रहा है। देश में कोरोना के 90 फीसदी केस सामान्य लक्षण वाले हैं। ऐसे मरीज जिन्हें स्टेरॉयड दिया गया हो, शुगर अनियंत्रित हो, और ऑक्सीजन थेरेपी दी गई है। ऐसे मरीजों को ब्लैक फंगस हो सकता है। स्टेरॉयड के खाने से शुगर का स्तर 300-400 तक पहुंच जाता है, जिससे समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है।

ईएनटी डॉक्टर कर रहे है जांच

अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी गंभीर मरीजों को पहले आंख, नाक, गला, कान विभाग के डॉक्टरों द्वारा देखा जा रहा है। डॉक्टर जांच के दौरान पहले चरण में ही ब्लैक फंगस की पहचान करने का प्रयास कर रहे हैं जिससे समस्या गंभीर न बने।

गंभीर होकर ठीक हुए कोरोना संक्रमितों को ठीक होने के बाद भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। यदि उनका शुगर कंट्रोल के बाहर है तो वह हाई रिस्क पर है। ऐसे मरीज जिनके नाक से काला पानी, खून निकल रहा हो, आंख लाल हो जाए, चेहरे या आंख के पास सूजन आ जाएए, उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

हजारों साल पुरानी है ब्लैक फंगस

डॉक्टर अजय का कहना है कि ब्लैक फंगस हजारों साल पुरानी बीमारी है। पहले एड्स के मरीज, एडवांस स्तर पर कैंसर, बॉडी पार्ट्स ट्रांसप्लांट वाले मरीजों में इनके लक्षण देखने को मिलते थे। लेकिन कोरोना के कारण लोगों की इम्युनिटी कमजोर हो गई है। ऐसे लोगों को ब्लैक फंगस तेजी से शिकार बना रहा है। अस्पताल में पिछले पांच दिन में जो मामले आ चुके हैं। इतने मामले पांच साल में भी नहीं आए हैं।

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