May 20, 2024 : 8:34 AM
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After the death of the innocent daughter, the father ordered two freezers to keep the bodies for the needy families; Ambulance helps with oxygen and medicine | मासूम बेटी की मौत के बाद पिता ने जरूरतमंद परिवारों के लिए शव रखने को मंगवाए दो फ्रीजर; एम्बुलेंस, ऑक्सीजन और दवा से भी करते है मदद

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वाराणसी28 मिनट पहले

कॉपी लिंकअनवर अपनी मृत डेढ़ साल की बच्ची मरियम के साथ।  - Dainik Bhaskar

अनवर अपनी मृत डेढ़ साल की बच्ची मरियम के साथ। 

अनवर अपनी बॉडी जल्द ही BHU को दान कर देंगेउनके मरने के बाद बॉडी पर मेडिकल स्टूडेंट पढ़ाई कर पाए

सांसों की डोर को थामने के लिए पूरे देश मे मदद को लोगो के नेक हाथ सामने आ रहे है। इन्ही में एक अशोक बिहार कालोनी निवासी इंटीरियल का काम करने वाले अनवर हुसैन भी है। डेढ़ साल की मासूम बेटी की एम्बुलेंस में अपनी गोद मे मौत के बाद अब वो लोगो के लिए फ्री एम्बुलेंस, ऑक्सीजन, दवा की सेवा दे रहे है। अनवर ने 90 हजार रुपए से सामान्य मौत मरने वाले लोगों के लिए दो फ्रीजर भी मंगवा लिए है। परिजनों के इंतजार में किसी की बॉडी खराब न हो। फ्रीजर वो मस्जिद या किसी धार्मिक स्थल को डोनेट कर देंगे।

बच्ची की मौत एम्बुलेंस में गोद में होने मन में आया विचार

अनवर हुसैन ने बताया सितंबर 2019 में इकलौती बेटी मरियम गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। वाराणसी में 20 दिनों तक अस्पताल में भर्ती के रहने बाद उसे दिल्ली के लिए रेफर कर दिया गया। एम्बुलेंस में जाते समय पंचर हो गया। न्योडा के पास गाड़ी में ही उसकी मेरे गोद मे मौत हो गयी। तभी मन मे ख्याल आया कोई भी इंसान बिना इलाज के कभी न मरे।

शवों को रखने के लिए फ्रीजर आ गया है। .

शवों को रखने के लिए फ्रीजर आ गया है। .

एम्बुलेंस को रास्ते मे देखते ही कई महीनों तक चिढ़ता रहा

अनवर ने बताया रास्ते मे एम्बुलेंस का हूटर सुनाई पड़ता तो सब कुछ छोड़ कर घर आ जाता। फिर मेरे दोस्त राजेश उपाध्याय ने बताया एम्बुलेंस और सेवा को जीवन से जोड़ लो, तो मरियम को ख़ुशी मिलेगी। उसी दिन मैंने अपने पार्षद सत्यम सिंह से गाड़ी के लिए बात किया। उन्होंने तुरंत एक कार मुझे अपना दे दिया। मैंने कार को एम्बुलेंस बना दिया। 25 दिनों से अपना सब काम छोड़कर खुद एम्बुलेंस चलाता हूं। फ्री में ऑक्सीजन, दवा और मरीजों को अस्पताल पहुंचाता हूं। वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर तक ऑक्सीजन और दवा दिन रात पहुंचा रहा हूं।

अनवर खुद ही एम्बुलेंस चलाते हैं।

अनवर खुद ही एम्बुलेंस चलाते हैं।

जिनके घर पर कोई मर जाये और परिजन बाहर हो उनके लिए विचार आया

अक्सर देखने को मिल रहा था कि सामान्य मौत से मरने वालो के पास कोई जल्दी नहीं जा रहा है। उनके परिजन अगर बाहर हो तो बॉडी खराब न हो जाये। ऐसे परिवार वालों के लिए कानपुर से 90 हजार रुपए में दो फ्रीजर मंगवाया हूं। जिसे किसी धार्मिक स्थल में रख दूंगा। जिसको जरूरत होगी परिजन के आने तक ले जाकर शव को उसमें रख सकेगा। ताकि बॉडी ख़राब न हो।

मृतक बच्ची मरियम की फाइल फोटो।

मृतक बच्ची मरियम की फाइल फोटो।

अपना शरीर भी BHU को दान कर देंगे

अनवर ने बताया मेरी बेटी की मौत गंभीर बीमारी से हुई। जिसका इलाज बहुत मुश्किल रेयर होता है। मैंने तभी सोच लिया था कि BHU में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के शरीर दान कर दूंगा। ताकि वो मेरे शरीर पर रिसर्च कर पाएं। मेरे शरीर पर पढ़ कर अगर वो एक बच्चे को बचा लेंगे तो मेरी बिटिया बहुत खुश होगी। मरियम की याद की चीजें, पैरों के निशान आज भी मेरे कमरे में है। उसकी ड्रेस को मैने पुतले में सजो कर रखा है। 2 फरवरी को उसके बर्थ डे पर 300 से ज्यादा गरीब बच्चों को खाने के साथ कपड़े भी गिफ्ट करता और केक भी वही काटते है। मरियम के जाने के बाद मेरे घर में मारिया ने जन्म लिया। जो अब आठ महीने की हो गयी है।

आज भी मरियम से जुड़ी यादो को सजो कर अनवर रखे हैं।

आज भी मरियम से जुड़ी यादो को सजो कर अनवर रखे हैं।

आगे बच्चों के लिए एक अस्पताल बनाने का सपना है

मरियम ट्रस्ट के जरिये आगे जल्द ही बच्चों का अस्पताल खोलने का सपना है। जहां जरूरतमंद बच्चों का फ्री में इलाज होगा। आज भी किसी बच्चे को बीमार देखता तो उसकी हर तरीके से मदद को खड़ा हो जाता हूं। पिछले लॉकडाउन में 72 दिनों तक 500 लोगों में लगातार खाना भी बाटा था।

दोस्तों ने दिया सहारा तो आज सेवा के लिए हिम्मत आया

दोस्त राजेश उपाध्याय बताते है कि अनवर बेटी की मौत के बाद टूट सा गया था। लोगो की मदद और सेवा ही रास्ता था कि उसे वापस जिंदगी में जोड़ा जा सके। उनके पिता, पत्नी के सहयोग से एम्बुलेंस, आक्सीजन, दवा का कार्य शुरू किया गया। आज वो समाज में मिसाल बन गया है।

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