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व्रत-पर्व: शुक्रवार और एकादशी का योग आज, दक्षिणावर्ती शंख से करें विष्णु-लक्ष्मी और बाल गोपाल का अभिषेक

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5 घंटे पहले

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शुक्रवार, 23 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे कामदा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत और पूजा-पाठ करना चाहिए। एकादशी पर स्नान के बाद भगवान की पूजा करें और व्रत करने का संकल्प लें। जो लोग ये व्रत करते हैं, उन्हें अन्न नहीं खाना चाहिए, फलाहार और दूध का सेवन किया जा सकता है। काफी लोग इस व्रत में नमक भी नहीं खाते हैं।

एकादशी पर विष्णुजी और देवी लक्ष्मी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करना चाहिए। शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और अभिषेक करें। फूल, मौसमी फल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। मिठाई का भोग तुलसी के पत्ते के साथ लगाएं।

इस दिन बाल गोपाल और गौमाता का भी विशेष अभिषेक करना चाहिए। भगवान को नए वस्त्र पहनाएं। तुलसी के पत्तों के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। इस दिन किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान करें।

स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इस अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी एकादशियों का महत्व समझाया था।

ये है चैत्र शुक्ल एकादशी की कथा

युद्धिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से चैत्र शुक्ल एकादशी की कथा के बारे में पूछा तो भगवान ने बताया कि रत्नपुर नाम में पुंडरिक नाम का एक राजा था। उसके राज्य में कई अप्सराएं और गंधर्व भी रहते थे। उनमें ललित और ललिता नाम के गंधर्व पति-पत्नी भी थे।

एक दिन राजा के दरबार में गंधर्व ललित गा रहा था, लेकिन गाते समय वह पत्नी ललिता की याद में खो गया, जिससे उसका सुर बिगड़ गया। राजा इस भूल को समझ गए तो उन्होंने ललित को राक्षस बनने का शाप दे दिया।

जब ललिता को ये बात मालूम हुई तो वह पति को शाप से मुक्त कराने का उपाय खोजने लगी। एक दिन उसने श्रृंगी ऋषि को ये बात बताई। श्रृंगी ऋषि ने चैत्र शुक्ल कामदा एकादशी पर व्रत करने की सलाह दी। ललिता ने विधि-विधान से एकादशी का व्रत किया, जिसके पुण्य फल से उसका पति फिर से ठीक हो गया।

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