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4 घंटे पहले
कॉपी लिंकफाल्गुन शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु की नृसिंह रूप में की जाती है पूजा
फाल्गुन माह के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को नृसिंह द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की पूजा की जाती है। भक्त प्रहल्लाद की रक्षा करने के लिए होलिका दहन से 3 दिन पहले भगवान नृसिंह की पूजा की जाती है। ये पर्व आज है। एकादशी और द्वादशी तिथि एक ही दिन होने से आज यानी 25 मार्च, गुरुवार को भगवान नृसिंह की पूजा और व्रत किया जाएगा।
नृसिंह द्वादशी का महत्वशास्त्रों के मुताबिक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को नृसिंह द्वादशी मनाई जाती है। इसका उल्लेख पुराणों में भी आता है। भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य और आधा शेर के शरीर में नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिप का वध किया था। उसी दिन से इस पर्व का आरंभ माना जाता है। भगवान विष्णु के इस स्वरूप ने प्रहलाद को भी वरदान दिया कि, जो कोई इस दिन भगवान नृसिंह का स्मरण करते हुए, श्रद्धा से उनका व्रत और पूजन करेगा उसकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। इसके साथ ही उसके रोग, शोक और दोष भी खत्म हो जाएंगे।
पूजा विधिनृसिंह द्वादशी पर व्रत या उपवास रखा जाता है और भगवान विष्णु के नृसिंह रूप की पूजा की जाती है।नृसिंह जयंती पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं।उसके बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान नृसिंह की पूजा विधि-विधान से करें।भगवान नृसिंह की पूजा में चंदन, अक्षत, अबीर, गुलाल, फल, फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती, पंचमेवा, कुमकुम, केसर, नारियल से करें।भगवान नृसिंह को पीला कपड़ा चढ़ाएं।नृसिंह भगवान की पूजा करते समय ये मंत्र बोलें
भगवान विष्णु के बारह अवतारों में एक है नृसिंह अवतारनृसिंह द्वादशी फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है। भगवान विष्णु के बारह अवतार में से एक अवतार नृसिंह भगवान का है। नृसिंह अवतार में भगवन श्रीहरि विष्णु जी ने आधा मनुष्य तथा आधा शेर का रूप धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया है।
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