May 5, 2024 : 11:10 PM
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कलर ब्लाइंडनेस घटाने की कोशिश: लाल और हरे रंग में फर्क न कर पाने वाले मरीजों के लिए वैज्ञानिकों ने बनाए लेंस, ये रंग पहचानने में मदद करेंगे

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Hindi NewsHappylifeLenses Made By Scientists For Patients Who Do Not Differentiate Between Red And Green, Will Help To Identify These Colors.

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15 घंटे पहले

कॉपी लिंकब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात के वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किए लेंसदावा; लेंस में मौजूद गोल्ड नैनोपार्टिकल्स लाल-हरे रंग को पहचानने में मदद करेंगे

संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने कलर ब्लाइंडनेस के मरीजों के लिए कॉन्टेक्ट लेंस तैयार किए हैं। कलर ब्लाइंडनेस के मरीज लाल और हरे रंग में फर्क नहीं कर पाते हैं। नया लेंस मरीज को लाल और हरे रंग में फर्क कर पाने में काफी हद तक मदद करेगा। वैज्ञानिकों का कहना है, लेंस में गोल्ड नैनोपार्टिकल्स का प्रयोग किया गया है। यह लाल और हरे को पहचानने में मदद करता है।

जल्द शुरू होगा क्लीनिकल ट्रायलअबूधाबी की खलीफा यूनिवर्सिटी के मैकेनिकल इंजीनियर अहमद सालिह कहते हैं, कलर ब्लाइंडनेस के मरीज लाल ग्लास वाले चश्मे पहनते हैं ताकि उन्हें कलर्स कुछ हद तक साफ दिखें। इस बीमारी का अब तक कोई इलाज न होने के कारण यह लेंस कारगर साबित हो सकते हैं। इन्हें आसानी से लगाया जा सकता है।

क्या होता है कलर ब्लाइंडनेसकलर ब्लाइंडनेस के मरीजों में यह समस्या जन्मजात होती है। जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी फेमिली मेम्बर्स हो सकती है। इसके मामले 8 फीसदी पुरुषों में और 0.5 फीसदी मामले महिलाओं में देखे जाते हैं। इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है।

लेंस में नुकसान न पहुंचाने वाले केमिकलACS नैनो जर्नल में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, लेंस में किसी ऐसे केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है जो आंखों को नुकसान पहुंचाए। इसमें मिक्स्ड गोल्ड नैनोपार्टिकल्स का प्रयोग किया गया है जो नॉनटॉक्सिक है।

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