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पंजाब/श्री माछीवाड़ा साहिबएक घंटा पहले
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हिसार के किसान सुखबीर 51 लाख में अपनी भैंस बेचकर टिकरी बॉर्डर पर किसानों के लिए खाने-पीने का लंगर लगा रहे हैं।
दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन के समर्थन में पाकिस्तान के पंजाब के किसान भी आ गए हैं। आंदोलन और किसानों के जज्बात से जोड़कर वहां गीत लिखे जा रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर हिट हो रहे हैं। 1947 में हुए देश के बंटवारे के बाद से भारत वाले हिस्से को चढ़दा पंजाब (सूर्योदय वाला) और पाकिस्तान वाले पंजाब को लेंहदा पंजाब (सूर्यास्त वाला) कहा जाने जाता है। गीतों में बंटवारे का दर्द भी है।
पंजाबी गीतों का तर्जुमा: लिखा… दुनिया कह रही है कि सोए शेर को जगा दिया हैपाक कलाकार विकार भिंडर का गीत ‘दिल्ली मोर्चा’ किसानी दर्द पर केंद्रित हैं। गीत का अर्थ है, ‘पंजाब के किसानों के दिल्ली में डेरे लगा दिए हैं। किसान बेकार नहीं रहता। यह बात दिल्ली अच्छी तरह समझ ले। धरने पर बैठे पंजाबियों ने सड़कों के डिवाइडरों पर फसलें बीज दी हैं। ये पंजाब की वो कौम है, जो न किसी के साथ जबरदस्ती करती है, न अपने साथ होने देती है। ये कौम तो सांप के फन पर पैर रखकर खेतों की सिंचाई करती है।’
शहजाद सिद्ध के गीत ‘पंजाब’ के बोल में बंटवारे व किसानी का दर्द दोनों है। गीत है, ‘1947 का बंटवारा हम पंजाबियों की हडि्डयों में दर्द बनकर दबा है। हमें बंटवारे की जो बातें बताई गईं, वे हसरत बनकर निकल रही हैं। अभी तो पहले का ये दर्द ही नहीं गया है, और किसानी वाला मुद्दा लगाकर नया दर्द दे दिया। चढ़ता पंजाब लेंहदे पंजाब काे आवाज दे रहा है। दुनिया कह रही है कि सोए शेर को जगा दिया।’लिजाज घुग का गीत है, ‘खून खन्ना का भी वही, खून लाहौर का भी वही। लायलपुर का खून लुधियाना में है। हमारी एक जुबां, एक ही विरासत है। इसीलिए बुजुर्ग कहते हैं कि साझा पंजाब (चढ़दा-लेंहदा) अपने आप में अलग है। ये सारा खेल सियासी है…और हम इसके खिलौने हैं। हमारे खून में तो बस पंजाब है, चढ़दा और लेंहदा इसी पंजाब के दो हिस्से हैं। भाई इनमें कोई अंतर नहीं है।’एआर वाटो के गीत का अर्थ है, ‘खेतों में हल चलाने वाले बैलों के साथ जो लड़का जवान हुआ, उसे आज आतंकी कहा जा रहा है। वह अपने ही खेत में गुलाम हो जाने की आशंका में है। इसीलिए ये किसान आज जज्बाती हो गया है। चढ़ता पंजाब खुद को अकेला न समझे।’
33 किलो दूध देती भैंस 51 लाख में बेची, इन पैसों से टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में हिसार का किसान लगा रहा लंगरहिसार के किसान सुखबीर 51 लाख में अपनी भैंस बेचकर टिकरी बॉर्डर पर किसानों के लिए खाने-पीने का लंगर लगा रहे हैं। उनकी भैंस 33 किलो एक टाइम में दूध देती थी। इस भैंस को माछीवाड़ा के हजुर गांव के किसान पवित्र सिंह ने खरीदी है। भैंस का नाम सरस्वती है। इस भैंस को लोग देखने पहुंच रहे हैं। यहां तक कि सरस्वती के पेट में पल रहा कट्टा (भैंस का बच्चा) अभी से अमृतसर के किसान ने 11 लाख में खरीद लिया है।
माछीवाड़ा साहिब में आई सरस्वती इन दिनों सोशल मीडिया में छाई हुई है। इसे बेचने वाले सुखबीर का लंगर भी खूब वायरल हो रहा है। माछीवाड़ा के किसान पवित्र सिंह किसानी के साथ-साथ डेयरी भी चलाते हैं। सरस्वती की खुराक नार्मल है, अन्य जानवरों की तरह उसे भी चारे के साथ दाना दिया जाता है। पवित्र सिंह ने बताया कि सरस्वती रोजाना 33 किलो से ज्यादा दूध देती है। पवित्र सिंह के पास सरस्वती के अलावा मोहरा नस्ल की अन्य भैंस कबूतरी है जो रोजाना 27 किलो 200 ग्राम, नुरी नस्ल की भैंस रोजाना 25 किलो से ज्यादा दूध देती है।
पाकिस्तानी भैंस के रिकॉर्ड तोड़ चुकी है सरस्वती…पवित्र ने बताया कि बात सिर्फ पैसे की नहीं शौक की है। सरस्वती की खुराक तो नार्मल है लेकिन उसकी देख-रेख के लिए दो मुलाजिम हर समय ड्यूटी पर रहते हैं। सरस्वती भैंस एक दिन में पाकिस्तानी भैंस के 33-121 ग्राम दूध देने के रिकार्ड को तोड़ते हुए 33-131 ग्राम दूध दिया था अब फिर से पवित्र की नज़र अन्य पाकिस्तानी भैंस के रोज़ाना 31-800 दूध के रिकार्ड को तोड़ने पर है। नौजवान किसान की मानें तो जल्दी ही उसकी सरस्वती ये रिकॉर्ड तोड़ देगी।
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