May 17, 2024 : 2:41 PM
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केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के बीच बुलेट ट्रेन को लेकर बढ़ सकता है टकराव

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मुंबई के कांजुरमार्ग में मेट्रो कारशेड के निर्माण को लेकर हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर उद्धव ठाकरे की महाविकास आघाड़ी सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है। मुंबई से सटे ठाणे महानगरपालिका में सत्तासीन शिवसेना ने बुलेट ट्रेन के लिए जमीन हस्तांतरण के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है। दूसरी ओर बाढ़वण बंदरगाह को लेकर भी शिवसेना ने विरोधी रूख अपनाया है।

मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेलवे अर्थात बुलेट ट्रेन परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। ठाणे महानगरपालिका ने इस परियोजना के लिए शिल डायघर स्थित 3,849 वर्गमीटर भूखंड देने से इनकार कर दिया है।

बुधवार को महानगरपालिका सदन में यह निर्णय लिया गया। महापौर नरेश म्हस्के ने जमीन हस्तांतरण के प्रस्ताव की फाइल बंद करने का आदेश दिया है। जबकि इस जमीन के एवज में ठाणे महानगरपालिका को नेशनल हाईस्पीड रेलवे कार्पोरेशन से 6 करोड़ 92 लाख रुपये मिलने थे। ठाणे महानगरपालिका के इस निर्णय के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य के बीच टकराव बढ़ सकता है।

इसी तरह पालघर जिले के डहाणू तहसील में प्रस्तावित बाढ़वण बंदरगाह (बाढ़वण पोर्ट) का विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय मछुआरे पहले से ही इसका विरोध कर रहे थे। वहीं, शिवसेना भी अंदरखाने इसके विरोध में है। मछुआरों के विरोध प्रदर्शन के बीच पिछले दिनों बंदरगाह विरोध कृति समिति का एक प्रतिनिधिमंडल उद्धव ठाकरे से मिला था।

इसके बाद ठाकरे ने कहा था कि शिवसेना इस परियोजना के मुद्दे पर स्थानीय लोगों के साथ है। उधर, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता व विधायक राम कदम ने शिवसेना को विकास विरोधी करार दिया है। इससे पहले पूर्वमंत्री आशीष शेलार ने कहा है कि यदि बाढ़वण बंदरगाह समुद्री पर्यावरण के लिए खतरा हो सकता है तो मुंबई की परियोजना भी खतरा हो सकती हैं।

सागरमाला परियोजना का हिस्सा है बाढवण बंदरगाह
पालघर जिले में प्रस्तावित बाढ़वण बंदरगाह सागरमाला परियोजना का हिस्सा है। मुंबई से करीब 140 किमी दूर बाढ़वण बंदरगाह को फरवरी में मंजूरी दी गई थी। इस पर कुल 65,544.54 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह देश का 13वां प्रमुख बंदरगाह होगा। वधावन बंदरगाह को ‘लैंड लॉर्ड मॉडल’ पर विकसित किया जाने वाला है।

यह बंदरगाह परियोजना जवाहरलाल नेहरू पत्तन न्यास (जेएनपीटी) सबसे बड़ा साझेदार होगा, जिसके पास 51 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी होगी। इस बंदरगाह के बनने से जेएनपीटी का भार कम होगा और करीब 90 फीसदी कंटेनर्स का परिवहन बाढ़वण बंदरगाह से ही होगा। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन भी होगा।

सार
मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेलवे अर्थात बुलेट ट्रेन परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। ठाणे महानगरपालिका ने इस परियोजना के लिए शिल डायघर स्थित 3,849 वर्गमीटर भूखंड देने से इनकार कर दिया है।

विस्तार
मुंबई के कांजुरमार्ग में मेट्रो कारशेड के निर्माण को लेकर हाईकोर्ट से झटका मिलने के बाद बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर उद्धव ठाकरे की महाविकास आघाड़ी सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है। मुंबई से सटे ठाणे महानगरपालिका में सत्तासीन शिवसेना ने बुलेट ट्रेन के लिए जमीन हस्तांतरण के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है। दूसरी ओर बाढ़वण बंदरगाह को लेकर भी शिवसेना ने विरोधी रूख अपनाया है।

मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेलवे अर्थात बुलेट ट्रेन परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। ठाणे महानगरपालिका ने इस परियोजना के लिए शिल डायघर स्थित 3,849 वर्गमीटर भूखंड देने से इनकार कर दिया है।

बुधवार को महानगरपालिका सदन में यह निर्णय लिया गया। महापौर नरेश म्हस्के ने जमीन हस्तांतरण के प्रस्ताव की फाइल बंद करने का आदेश दिया है। जबकि इस जमीन के एवज में ठाणे महानगरपालिका को नेशनल हाईस्पीड रेलवे कार्पोरेशन से 6 करोड़ 92 लाख रुपये मिलने थे। ठाणे महानगरपालिका के इस निर्णय के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य के बीच टकराव बढ़ सकता है।

इसी तरह पालघर जिले के डहाणू तहसील में प्रस्तावित बाढ़वण बंदरगाह (बाढ़वण पोर्ट) का विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय मछुआरे पहले से ही इसका विरोध कर रहे थे। वहीं, शिवसेना भी अंदरखाने इसके विरोध में है। मछुआरों के विरोध प्रदर्शन के बीच पिछले दिनों बंदरगाह विरोध कृति समिति का एक प्रतिनिधिमंडल उद्धव ठाकरे से मिला था।

इसके बाद ठाकरे ने कहा था कि शिवसेना इस परियोजना के मुद्दे पर स्थानीय लोगों के साथ है। उधर, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता व विधायक राम कदम ने शिवसेना को विकास विरोधी करार दिया है। इससे पहले पूर्वमंत्री आशीष शेलार ने कहा है कि यदि बाढ़वण बंदरगाह समुद्री पर्यावरण के लिए खतरा हो सकता है तो मुंबई की परियोजना भी खतरा हो सकती हैं।

सागरमाला परियोजना का हिस्सा है बाढवण बंदरगाह
पालघर जिले में प्रस्तावित बाढ़वण बंदरगाह सागरमाला परियोजना का हिस्सा है। मुंबई से करीब 140 किमी दूर बाढ़वण बंदरगाह को फरवरी में मंजूरी दी गई थी। इस पर कुल 65,544.54 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह देश का 13वां प्रमुख बंदरगाह होगा। वधावन बंदरगाह को ‘लैंड लॉर्ड मॉडल’ पर विकसित किया जाने वाला है।

यह बंदरगाह परियोजना जवाहरलाल नेहरू पत्तन न्यास (जेएनपीटी) सबसे बड़ा साझेदार होगा, जिसके पास 51 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी होगी। इस बंदरगाह के बनने से जेएनपीटी का भार कम होगा और करीब 90 फीसदी कंटेनर्स का परिवहन बाढ़वण बंदरगाह से ही होगा। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन भी होगा।

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