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ग्वालियर20 घंटे पहले
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टाेपी बाजार: सभी लोग मास्क में घूमते दिखे।
- कोरोना की पहली लहर में जिन व्यवस्थाओं पर जोर था, वे अब नदारद
कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ने जिन तौर-तरीकों के साथ संक्रमण रोकने के प्रयास किए थे, वे अब बदल गए हैं। इसके साथ ही कोरोना के साथ शुरू हुई शब्दावली में भी बदलाव आ गया है। शुरुआती दौर में पूरा जोर संक्रमित की कांटेक्ट ट्रेसिंग और ट्रेवल हिस्ट्री खंगालने पर था, लेकिन दूसरे दौर में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क लगाने पर जोर देना दूसरे दौर में बदस्तूर जारी है। साथ ही अब वैक्सीन को लेकर उम्मीद जाग गई हैं। इसी प्रकार शुरुआती दौर में शहर के बाहर से आने वाले वाले लोगों को चिह्नित कर उन्हें क्वारेंटाइन कराना सबसे बड़ा काम था। लेकिन अब यातायात के साधनों से प्रतिबंध हटने के बाद बाहर से आने वालों की जानकारी तक प्रशासन के पास नहीं है।
अब काेराेना पॉजिटिव आने पर मरीज को अस्पताल भी नहीं पहुंचाती टीम
- कांटेक्ट हिस्ट्री..पहले किसी व्यक्ति के संक्रमित मिलने पर उसके संपर्क में आने वाले लाेगाें के बारे में पूछताछ की जाती थी। इस कांटेक्ट हिस्ट्री के आधार पर ऐसे लाेगाें के सैंपल लिए जाते थे ताकि संक्रमण की चेन काे आगे बढ़ने से राेका जा सके, लेकिन अब ऐसा नहीं हाे रहा है।
- ट्रेवल हिस्ट्री..शुरूआत के पांच महीने इस बात पर जाेर था कि काैन कहां से आ रहा है। यानी उसकी ट्रेवल हिस्ट्री क्या है। यदि वह अधिक संक्रमिताें वाले शहर से है ताे उसका सैंपल लिया जाएगा, लेकिन अब ऐसा नहीं है। काेई कहीं से भी आ-जा रहा है लेकिन इस आधार पर सैंपलिंग बंद हाे चुकी है।
- आइसोलेशन…पहले रिपोर्ट काेराेना पॉजिटिव आने पर कमांड सेंटर या फिर इंसीडेंट कमाडेंट की टीम फोन कर मरीज को अस्पताल पहुंचाती थी। अब ऐसा नहीं है। संक्रमित मरीज भर्ती होने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं। इन दिनों सिर्फ मुरार अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हो रहे हैं। सुपर स्पेशलिटी में सीधे मरीज के पहुंचने पर भर्ती से रोक है।
- होम क्वारेंटाइन…अब सिर्फ 10 फीसदी मरीज ही सरकारी अस्पताल पहुंच रहे हैं। 60 फीसदी घर में ही इलाज ले रहे हैं। पहले 14 दिन के क्वारेंटाइन की सूचना घर पर चस्पा होती थी पर अब ऐसा नहीं है। संक्रमित मरीज कभी घर से कभी बाहर घूम रहे हैं।
- कंटेनमेंट जाेन… न तो पहले की तरह इंसीडेंट कमांडेंट काम कर रहे हैं न कंटेनमेंट जोन बन रहे हैं। यहां तक कि संक्रमित के दाे घराें काे बैरीकेड लगाकर बंद करने का काम भी बंद हाे चुका है।
सारा जिम्मा अब मेडिकल टीम के कंधों पर
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि संक्रमित मरीज को मुरार अस्पताल जाना होगा। यहां हेल्प डेस्क बनी है। मरीज गंभीर होगा तो यहीं से उसे सुपर स्पेशलिटी भेजा जाएगा। मरीजों को सलाह, दवा देने का जिम्मा मेडिकल टीम के पास है। कलेक्टर ने कहा कि राजस्व अमले के कोरोना ड्यूटी में होने से जनता के दूसरे काम रुक रहे थे, इसी कारण मरीजों पर निगरानी, इलाज आदि का जिम्मा मेडिकल टीम को सौंपा गया है।