लखनऊ10 मिनट पहले
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सीबीआई के जज एसके यादव ने अपनी जान को खतरा बताकर सुरक्षा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी अर्जी।
- 30 सितंबर को विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने बाबरी केस में सुनाया था फैसला
- लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत 32 आरोपियों को बरी किया था
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई विशेष अदालत के पूर्व न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव की सुरक्षा बढ़ाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने 30 सितंबर को 28 साल पुराने अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में फैसला सुनाया था। इस केस में 32 आरोपी थे। इसमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी शामिल थे। विशेष अदालत ने सभी को बरी कर दिया। उन्होंने फैसले में कहा था कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह घटना अचानक घटी थी।
रिटायरमेंट के दिन सुनाया था अपना फैसला
ट्रायल के दौरान जस्टिस यादव ने मामले की संवेदनशीलता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। उन्होंने अपनी जान को खतरा बताया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उन्हें सुरक्षा के निर्देश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने तबादला रद्द किया था
न्यायाधीश एसके यादव साल 2019 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन, उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा दशकों पुराने बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई के लिए एक साल का एक्सटेंशन दिया गया था। इसके अलावा उनका तबादला भी रद्द कर दिया गया था। वे 2005 से इस केस से जुड़े थे। 30 सितंबर को फैसला सुनाने के बाद वे सेवानिवृत्त हो गए थे। बता दें कि, 28 साल पहले अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी ढांचे को ढहा दिया था। इस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत कई बड़े नेता समेत 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरि डालमिया समेत 17 आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है।