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- Hathras Gang Rape Case Latest News; Uttar Pradesh Hathras Victim Family Members To Allahabad High Court Judge
लखनऊ16 घंटे पहले
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हाईकोर्ट के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम। यहीं से पीड़ित परिवार को कोर्ट के अंदर ले जाया गया।
- हाथरस गैंगरेप केस का 1 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था
- सोमवार को कोर्ट में पीड़ित परिवार के पांच सदस्यों ने सुनाई अपनी पीड़ा
हाथरस के बुलगढ़ी गांव में पीड़ित परिवार के घर सुबह साढ़े 3 बजे से ही हलचल शुरू हो गई थी। घर की सुरक्षा में लगे पुलिसवाले मुस्तैद नजर आ रहे थे। वजह साफ थी… कुछ देर बाद पीड़ित परिजन इंसाफ की आस में अपना दुखड़ा सुनाने लखनऊ हाईकोर्ट के लिए निकलने वाले थे। सुबह साढ़े 5 बजे एसडीएम के नेतृत्व में 6 गाड़ियों का काफिला लखनऊ के लिए कूच कर चुका था।
आपको बता दें कि, यूपी के हाथरस में 19 साल की दलित युवती से कथित बलात्कार और मौत मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में आज सुनवाई हुई। कोरोना संकट काल में पिछले तीन महीनों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब हाईकोर्ट में आमने सामने सुनवाई हुई है।
हाईकोर्ट के बाहर सुरक्षा के रहे कड़े इंतजाम।
6 घंटे में लखनऊ पहुंचा 6 गाड़ियों का काफिला, हाईकोर्ट से 800 मीटर दूर रोका गया
हाईकोर्ट में सुनवाई से जहां पीड़ित परिवार को एक आस बंधी हुई थी तो वहीं, अधिकारी सहमे हुए रहे। सुबह 5.30 बजे गांव से जब काफिला चला तो एसडीएम और सीओ समेत कड़ी सुरक्षा हर गाडी में रही। आगरा एक्सप्रेसवे से होते हुए तकरीबन 11:30 बजे काफिला हाईकोर्ट से 800 मीटर दूर उत्तराखंड भवन पहुंचा। दरअसल, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में मामले की सुनवाई दोपहर 2.15 मिनट पर होनी थी, इसलिए परिवार को कुछ देर के लिए उत्तराखंड भवन में रोक दिया गया था। उत्तराखंड भवन बिलकुल हाईकोर्ट के पास ही स्थित है। जबकि हाथरस डीएम और एसपी अलग गाड़ियों से कोर्ट पहुंचे।
हाईकोर्ट से उत्तराखंड भवन तक 300 पुलिसकर्मी लगे रहे
कोरोनाकाल में किसी केस की सुनवाई के लिए पहली बार इतनी सख्त सुरक्षा हाईकोर्ट परिसर के बाहर देखने को मिली। हाईकोर्ट के गेट नंबर 5 से लेकर कोर्ट के हर एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर अतिरिक्त पुलिसबल लगा रहा। उत्तराखंड भवन भी लगभग 50 पुलिसकर्मियों के हवाले रहा। लखनऊ पुलिस की जानकारी के मुताबिक 300 पुलिसकर्मियों को 5 एसीपी और डीसीपी पूर्वी के नेतृत्व में तैनात रही। हालत यह थे कि बिना पूछताछ के हाईकोर्ट के अंदर भी किसी को नहीं जाने दिया जा रहा था।
एक घंटे पहले ही हाईकोर्ट में पहुंचा पीड़ित परिवार, पीछे-पीछे उच्चाधिकारी भी पहुंचे
तकरीबन सवा 1 बजे पीड़ित परिवार उत्तराखंड भवन से हाईकोर्ट पहुंचा। उसके बाद अधिकारी भी धीरे-धीरे अपनी गाड़ियों से हाईकोर्ट में दाखिल हुए। लगभग 2 बजे डीजीपी अपनी अकार से अंदर दाखिल हुए। इस दौरान मीडिया को कोर्ट के गेट नंबर 5 के सामने लगभग 100 मीटर की दूरी पर बैरिकेटिंग के पीछे ही रोक दिया गया। सुबह 12 बजे से ही मीडिया कोर्ट के बाहर खड़ा रह कर कोर्ट की सुनवाई का इंतजार करता रहा।
वकील सीमा कुशवाहा।
निर्भया की वकील भी पहुंची….एफिडेविट दिया तब मिली कोर्ट रूम में एंट्री
एक तरफ हाथरस का परिवार पुलिस सुरक्षा में लखनऊ पहुंचा, वहीं निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा भी अपनी गाडी से लखनऊ पहुंची। लगभग 12 बजे वह कोर्ट में दाखिल हुई। चूंकि वह पीड़ित परिवार की तरफ से वकील बनकर पहुंची थी, उन्हें कोर्ट रूम में सुनवाई के समय पेश रहने के लिए एफिडेविट दाखिल करना पड़ा। जिसके बाद उन्हें भी कोर्ट रूम में प्रवेश की अनुमति दी गई।
ढाई बजे शुरू हुई सुनवाई 4 बजे खत्म हुई
दोपहर ढाई बजे के आसपास कोर्टरूम में जस्टिस पंकज मित्तल और राजन रॉय ने सुनवाई शुरू की। जहां पीड़ित परिवार ने अपनी बात रखी। पीड़ित परिवार ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाए। यही नहीं कोर्ट ने गलत तरह से अंतिम संस्कार के लिए डीएम को फटकार भी लगाई। यही नहीं पीड़ित परिवार ने जज से कहा कि हमें यह भी नहीं पता कि हमारी बेटी जलाई गयी या किसी और को जला दिया गया।
साढ़े चार बजे कोर्ट से हाथरस के लिए निकला परिवार
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 2 नवंबर का समय दिया है। यह जानकारी तकरीबन 4 बजे जब बाहर आई तो मीडियाकर्मियों में हलचल मचने लगी। दरअसल, सामने गेट नंबर 5 से अपर महाधिवक्ता वीके शाही मीडिया को ब्रीफ करने के लिए चले आ रहे थे। वह बैरिकेटिंग के पार ही पुलिस से घिरे रहे और मीडिया को ब्रीफ किया। इसी बीच पीछे से हाथरस का पीड़ित परिवार का काफिला कोर्ट से निकल कर हाथरस की ओर बढ़ चला।
यह फोटो हाथरस की है। सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच परिवार को लखनऊ लाया गया फिर ये से गांव ले जाया गया।