रायबरेलीएक घंटा पहले
शहीद बेटे को मुखाग्नि देते पिता।
- शहीद शैलेंद्र सिंह का डलमऊ गंगा घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
- पिता नरेंद्र सिंह ने शहीद के पार्थिव शरीर को दी मुखाग्नि
- गंगा घाट पर सीआरपीएफ ने शहीद को दिया गॉड ऑफ ऑनर
जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के सोपोर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए रायबरेली के शैलेंद्र सिंह का बुधवार को उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान डलमऊ घाट भारत माता की जय, शैलेंद्र सिंह अमर रहे जैसे नारों से गूंज उठा। बूढ़े पिता नरेंद्र बहादुर सिंह ने अपने कांपते हाथों से बेटे की चिता को मुखाग्नि दी। यह दृश्य देखकर लोग गमगीन हो उठे। पिता ने कहा कि बेटा देश के काम आया, इससे बड़ा गर्व कुछ नहीं हो सकता है।
मंगलवार को शव जब पैतृक गांव लाया गया तो छह साल के बेटे ने यूं सलामी दी।
डलमऊ तहसील के मीरमीरानपुर निवासी शैलेन्द्र प्रताप सिंह 2009 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। वर्तमान में जम्मू कश्मीर में तैनात थे। 5 अक्टूबर को श्रीनगर में पंपोर बाईपास पर आतंकी हमले में शैलेन्द्र शहीद हो गए थे। बुधवार को डलमऊ घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। सुबह जब अंतिम यात्रा की तैयारी हो रही थी तो हजारों की संख्या में लोग शहीद के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। घाट पर जब चिता पर शहीद का शव रखा गया तो आकाश शैलेन्द्र सिंह अमर रहे, भारत माता की जय जैसे नारो से गुंजायमान हो गया। इस बीच घाट पर जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक अपने लाव लश्कर के साथ मौजूद रहे। सीआरपीएफ के जवानों ने शहीद को आखिरी सलामी दी।
फरवरी में आखिरी बार छुट्टी पर आए थे शैलेंद्र
शहीद शैलेंद्र आखरी बार फरवरी माह में छुट्टी पर घर आए थे, उन्होंने छोटी बहन की शादी की तैयारियों के लिए ही शहर के मलिकमऊ कॉलोनी स्थित घर पर कुछ काम करवाया था। कुछ काम छूट गया था। कह गए थे कि अगली बार जब अवकाश पर आएंगे तब काम पूरे कराएंगे। छोटी बहन के लिए लड़का देखने आदि की प्रक्रिया भी चल रही थी। मौसा ज्ञानेंद्र ने बताया कि दो-तीन जगह बात भी चली लेकिन बात बन नहीं पाई थी। भाई की शहादत के बाद छोटी बहन ज्योति रोती हुई कह रही हैं-‘अब बिना भइया के कैसे जीवन बीतेगा?’
जवान शैलेंद्र सिंह।- फाइल फोटो