May 20, 2024 : 4:30 AM
Breaking News
राष्ट्रीय

छोड़ी गई सांस के ब्रीदप्रिंट से पता चलेगा पेट में इंफेक्शन है, अल्सर या कैंसर; एंडोस्कॉपी की तुलना में यह टेस्ट 96% ज्यादा सटीक

  • Hindi News
  • National
  • Breathprint Of The Exhaled Breath Will Show An Infection In The Stomach, Ulcer Or Cancer; This Test Is 96% More Accurate Than Endoscopy

नई दिल्ली2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
  • कोलकाता के एनसीबीसी के वैज्ञानिकों ने विकसित की तकनीक, नाम रखा- पायरो-ब्रीद
  • एक हजार से ज्यादा मरीजों पर परीक्षण, पेटेंट कराया गया

(अनिरुद्ध शर्मा) अब छोड़ी हुई सांसों के ब्रीदप्रिंट से पता चल जाएगा कि पेट में सामान्य संक्रमण है, अल्सर है या फिर कैंसर। कोलकाता के एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के वैज्ञानिकों ने पेट में संक्रमण से लेकर आंतों के कैंसर तक की बीमारियों के रोगाणु पहचानने का नया तरीका विकसित किया है। इसमें किसी रोगी के सांसों के सैंपल से ही पेट के रोग की शुरूआती स्तर पर ही पहचान हो जाएगी। इसे ‘पायरो-ब्रीद’ नाम दिया है।

सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. माणिक प्रधान ने बताया कि ‘पायरो-ब्रीद’ एक तरह का गैस एनालाइजर है, जो वापस आ रही सांस में मौजूद गैस व कणों के खास किस्म के ब्रीद-प्रिंट को स्कैन कर सकता है। ब्रीदप्रिंट एक तरह से फिंगरप्रिंट की तरह है, जो हर व्यक्ति का बिल्कुल अनूठा होता है। कोलकाता के साल्टलेक स्थित एएमआरआई अस्पताल में एक हजार से अधिक मरीजों पर इसके प्रोटोटाइप का परीक्षण किया गया। यह एंडोस्कोपी टेस्ट की तुलना में 96% ज्यादा सटीक पाया गया। इस का पेटेंट हो गया है और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की प्रक्रिया चल रही है।

इसका व्यावसायिक उत्पादन अगले साल तक शुरू हो जाएगा। डॉ. प्रधान ने बताया कि छोड़ी गई सांसों में गैसों के साथ पानी की महीन बूंदें होती हैं। इनसे पेट में अनेक बीमारियों के कारक बैक्टीरिया ‘हेलीकोबैक्टर पायलोरी’ की पहचान होती है। टीम ने सांसों में मौजूद विभिन्न किस्म की पानी की बूंदों में (ब्रीदोमिक्स विधि) पानी के कई तत्व यानी आइसोटोप्स का अध्ययन किया। हेलीकोबैक्टर पायलोरी पेट में संक्रमण करने वाला एक बैक्टीरिया है।

यदि इसका शुरुआत में ही इलाज न किया जाए तो यह पेप्टिक अल्सर और पेट व आंतों में कैंसर पैदा कर सकता है। अभी तक इस रोग को पहचानने के लिए एंडोस्कोपी या बायोप्सी करनी पड़ती है, जो बेहद दर्दनाक प्रक्रिया है और यह रोग की शुरुआती पहचान के लिए मुफीद भी नहीं है। इस तकनीक से बुजुर्गों, नवजात बच्चों और खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को ज्यादा फायदा होगा।

100 रुपए से कम होगी टेस्ट की लागत, एंडोस्कॉपी में लगते हैं ढाई हजार

डॉ. प्रधान व पांच शोधकर्ताओं की टीम ने 5 साल के अनुसंधान के बाद ‘पायरो-ब्रीद’ उपकरण विकसित किया है। बाजार में इसकी कीमत करीब 10 लाख रुपए होगी, जबकि एंडोस्कॉपी मशीन की कीमत 25 लाख रुपए होती है। एंडोस्कोपी टेस्ट करवाने में ढाई हजार रुपए खर्च आता है, जबकि इस टेस्ट की लागत 100 रुपए से भी कम होगी।

Related posts

दुनिया की सबसे बड़ी प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल शुरू, यहां 500 लोगों का प्लाज्मा से किया जा रहा इलाज

News Blast

जलापूर्ति की स्थिति:डीजेबी जल संकट से निपटने के लिए हर विधानसभा में बनाएगा रेपिड रेस्पॉन्स दल

News Blast

रोहिंग्या मुस्लिमों से जुड़े मामले में SC में सुनवाई: केंद्र सरकार ने कहा- भारत घुसपैठियों की राजधानी नहीं है और न ही हम इसे बनने देंगे

Admin

टिप्पणी दें