- उम्मीद जगाने वाले रिजल्ट मिलते हैं तो पूरे राज्य में गंभीर मरीजों पर ट्रायल किया जाएगा
- प्लाज्मा थैरेपी के ट्रायल के लिए राज्य सरकार ने 75 करोड़ का बजट रखा
दैनिक भास्कर
Jun 29, 2020, 05:10 PM IST
मुंबई. महाराष्ट्र में आज से दुनिया की सबसे बड़ी प्लाज्मा थैरेपी का ट्रायल शुरू हुआ है। राज्य सरकार ने इसे प्रोजेक्ट प्लेटिना का नाम दिया है। आज एक साथ 500 मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी की दो डोज दी गईं। रिजल्ट उम्मीद जगाने वाले मिलते हैं तो इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने 75 करोड़ का बजट रखा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बताया कि थैरेपी पूरा खर्च सरकार उठाएगी। महाराष्ट्र में इस समय डेढ़ लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज मिल चुके हैं।
इस प्लाज्मा थैरेपी का मकसद मृत्यु दर को कम करना है। ट्रायल के आधार पर सरकार दावा कर रही है कि 10 में से 9 मरीज प्लाज्मा थैरेपी से ठीक हो रहे हैं। सरकार का दावा है कि मुंबई के लीलावती अस्पताल में पहली प्लाज्मा थैरेपी सफल रही थी। उसके बाद मुंबई में ही बीवाईएल नायर अस्पताल में एक अन्य मरीज पर टेस्ट किया गया।
The PLATINA trial will be World’s largest trial and hence will give robust data regarding role of convalescent plasma in treatment of COVID 19 patients, thereby helping Governments to issue guidelines in the management of the pandemic.
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) June 29, 2020
सीएम ने प्लाज्मा दान करने की अपील की
रविवार को मुख्यमंत्री ठाकरे ने देश की सबसे बड़ी प्लाज्मा थैरेपी ट्रायल की जानकारी दी थी। उन्होंने लोगों से आगे आकर प्लाज्मा दान करने की अपील की। कोरोना संक्रमण से उबर चुके पुलिस डिपार्टमेंट के कई जवानों-अफसरों ने अपना प्लाज्मा दान किया था।
राज्य में रविवार को कोरोना के एक दिन में रिकॉर्ड 5,493 नए मामले सामने आए थे। संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 1,64,626 हो गया है। अब तक कोरोना से यहां 7,429 मौतें हुई हैं। अभी 70,607 मरीजों का इलाज चल रहा है। इन मरीजों में जो गंभीर हैं, उन्हीं की प्लाज्मा थैरेपी की जाएगी।
कैसे काम करती है यह थैरेपी
ऐसे मरीज जो हाल ही में कोरोना से ठीक हुए हैं, उनके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाता है जो ताउम्र रहते हैं। ये एंटीबॉडीज ब्लड प्लाज्मा में मौजूद रहते हैं। इसे दवा में तब्दील करने के लिए ब्लड से प्लाज्मा को अलग किया जाता है और बाद में इनसे एंटीबॉडीज निकाली जाती हैं। ये एंटीबॉडीज नए मरीज के शरीर में इंजेक्ट की जाती हैं, इसे प्लाज्मा डेराइव्ड थैरेपी कहते हैं। यह मरीज के शरीर को तब तक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है, जब तक उसका शरीर खुद ये तैयार करने के लायक न बन जाए।
एंटीबॉडीज क्या होती है?
ये प्रोटीन से बनी खास तरह की इम्यून कोशिशकाएं होती हैं जिसे बी-लिम्फोसाइट कहते हैं। जब भी शरीर में कोई बाहरी चीज (फॉरेन बॉडीज) पहुंचती हैं तो ये अलर्ट हो जाती हैं। बैक्टीरिया या वायरस द्वारा रिलीज किए गए विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करने का काम यही एंटीबॉडीज करती हैं। इस तरह ये रोगाणुओं के असर को बेअसर करती हैं। जैसे कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में खास तरह की एंटीबॉडीज बन चुकी है, जब इसे ब्लड से निकालकर दूसरे संक्रमित मरीज में इजेक्ट किया जाएगा तो वह भी कोरोनावायरस को हरा सकेगा।