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दल हैं, दलों का क्या.. इन्हें चार पार्टियों से चुनाव लड़ने का अनुभव, उपचुनाव के मैदान में ऐसे प्रत्याशी भी हैं, जो तीन से चार पार्टियां बदल चुके हैं

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ग्वालियरएक घंटा पहले

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हरिवल्लभ शुक्ला, एदल सिंह कंसाना, अजब सिंह कुशवाह

उपचुनाव के मैदान में ऐसे प्रत्याशी भी हैं, जो तीन से चार पार्टियां बदल चुके हैं। ग्वालियर-चंबल में ही 16 में से छह सीटों पर ऐसे प्रत्याशी हैं, जो भाजपा, कांग्रेस या अन्य दलों में रहे। सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़कर आए 22 पूर्व विधायकों में शामिल एदल सिंह कंसाना और मुन्नालाल गोयल तीन-तीन पार्टियों में रह चुके हैं।

चार दल बदले, दो बार विधायक बने
पोहरी से कांग्रेस प्रत्याशी हरिवल्लभ शुक्ला 1980 में पोहरी से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। 2003 में टिकट नहीं मिला तो समानता दल के टिकट पर यहीं से फिर विधायक बने। 2004 में भाजपा से सिंधिया के खिलाफ शिवपुरी-गुना से लोकसभा चुनाव में उतरे। बाद में बसपा में आ गए और पोहरी से 2008 का चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 2013 में कांग्रेस ने इन्हें पोहरी से टिकट दिया तो भाजपा के प्रहलाद भारती से हारे। तब से कांग्रेस में हैं।

दो बार दल बदले और मंत्री बने
मंत्री एदल सिंह कंसाना सुमावली से भाजपा के टिकट से मैदान में होंगे। वे 1993 व 1998 का चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े और जीते। 1998 में बसपा से विधायक बनने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री बने। 2003 से 2018 तक चार चुनाव कांग्रेस से लड़े। 2008 व 2018 में जीते। एदल सिंह ने एक बार बसपा और एक बार कांग्रेस छोड़ी। दोनों ही बार पार्टी छोड़ने पर वे मंत्री बने।

तीन पार्टी बदलीं, चुनाव नहीं जीते
भाजपा से कांग्रेस में आए अजब सिंह कुशवाह सुमावली से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। 2008 और 2013 का चुनाव उन्होंने बसपा के टिकट पर लड़ा। दोनों बार हारे। साल 2018 में इन्होंने भाजपा का दामन थामा और भाजपा ने टिकट भी दिया। एदल सिंह से हार का सामना करना पड़ा। इस उपचुनाव में कांग्रेस का दामन थामा है। कांग्रेस के टिकट पर पुराने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ मैदान में हैं। इस सीट पर चेहरे वही हैं, सिर्फ दल बदले हैं।

रामप्रकाश राजौरिया : मुरैना से बसपा प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया 2013 में पहला चुनाव भी बसपा से लड़े थे पर हार गए। 2018 के चुनाव में पहले बसपा से टिकट मिला, लेकिन चुनाव की घोषणा होते ही बसपा ने राजौरिया का टिकट काटकर इनके समधी बलवीर डंडोतिया को दे दिया था। इसके बाद ये इसी चुनाव में आप के टिकट पर मैदान में आए थे। 2019 में राजौरिया भाजपा में आ गए।

फूलसिंह बरैया : भांडेर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी फूलसिंह बरैया 1998 में बीएसपी के टिकट पर जीते। 2003 में वे भांडेर से हार गए। 2008 में एलजेपी व 2013 में इन्होंने अपनी पार्टी बहुजन संघर्ष दल से चुनाव ल़ड़ा। हार गए।

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