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इंग्लैंड में एक रोबोट और 14 सर्जन ने मिलकर किया रेक्टल कैंसर के मरीज का ऑपरेशन, सर्जरी का समय कम हुआ और रिकवरी तेज हुई

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4 घंटे पहले

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  • सर्जरी इंग्लैंड के नॉरविच यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में जुलाई में हुई, इसे तीन हिस्से में किया गया
  • एक्सपर्ट ज्यादा होने के कारण सर्जरी करना आसान हुआ, कम हिस्से में चीरा लगाना पड़ा और ब्लड लॉस भी घटा

इंग्लैंड में 14 सर्जन की टीम और एक रोबोट ने मिलकर कैंसर के मरीज की सर्जरी की। यह दुनिया की पहली ऐसी सर्जरी है जिसमें इतने विशेषज्ञों के साथ रोबोट भी शामिल है। रेक्टल कैंसर की एडवांस स्टेज से जूझ रहे मरीज की सर्जरी जुलाई में हुई थी। यह एक तरह का प्रयोग था जिसकी मदद से ये जाना गया कि एक साथ एक समय में कितने सर्जन्स मिलकर ऑपरेशन कर सकते हैं और सर्जरी में लगने वाला समय कितना घटाया जा सकता है।

12 घंटे वाली सर्जरी 10 घंटे से कम समय में पूरी हुई

ब्रिटेन में नॉरफॉक के नॉरविच यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में सर्जरी हुई। यह तीन स्टेज में हुई। डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर ऐसी सर्जरी में 12 घंटे लगते हैं लेकिन इस सर्जरी में 10 घंटे से भी कम का समय लगा। इस सर्जरी की सबसे बड़ी सफलता रही रिकवरी टाइम।

आमतौर मरीजों के पेल्विक के पास वाले हिस्से का ट्रीटमेंट करने में 3 हफ्ते लगते हैं, लेकिन इस मरीज में रिकवरी टाइम घटकर एक हफ्ता हो गया।

ऐसे हुई सर्जरी

  • 53 साल के पीटर फैब को नवम्बर 2019 में कैंसर का पता तब चला, जब ड्राइविंग करते समय पीठ के निचले हिस्से में दिक्कत हुई। पीटर पेशे से डाइवर हैं इसलिए लगातार बैठना मुश्किल हो गया था।
  • पहले डॉक्टर्स को लगा इसकी वजह प्रोस्टेट इंफेक्शन है, एंटीबायोटिक्स देने के बाद भी असर न होने पर जांच की गई। रिपोर्ट में पता चला कि कैंसर रेक्टम से फैलकर प्रोस्टेट तक पहुंच चुका है।
  • पीटर को पहले सर्जरी और बाद में कीमोथैरेपी की जरूरत थी। कोलोरेक्टल सर्जन इरशाद शेख ने इस केस को अपने प्रयोग के लिए परफेक्ट माना और सर्जरी की योजना बनाई।
  • सर्जरी में 4 हाथों वाला रोबोट (द विंसी सी) शामिल किया। रोबोट के हाथों को 3डी मॉनिटर के जरिए सर्जन्स की एक टीम ऑपरेट कर रही थी।
  • पहले मरीज को बेहोश करने के लिए एनेस्थीसिया दिया गया। फिर रोबोट के हाथों में सर्जरी करने वाले इंस्ट्रूमेंट लगाए गए। सर्जरी शुरू हुई।
  • मरीज का कोलोन और रेक्टम शरीर से हटाया गया। इसके बाद ब्लैडर और प्रोस्टेट भी रिमूव किया गया।
  • इसके बाद प्लास्टिक सर्जन की दूसरी टीम ने मरीज की जांघ से मांसपेशियां लेकर उसे पेल्विक वाले हिस्से में ट्रांसप्लांट किया।

अचानक आया आइडिया प्लानिंग में बदला

कोलोरेक्टल सर्जन इरशाद शेख कहते हैं, यह आइडिया अचानक आया आया था लेकिन टीम के साथ बात करने पर एक प्लान में तब्दील हो गया। पेल्विक ट्रीटमेंट काफी मुश्किल होता है क्योंकि इसकी सर्जरी के दौरान काफी हद तक टिश्यू हटाए जाते हैं। लेकिन जब इतने सर्जन के साथ मिलकर इस सर्जरी को किया गया तो कम हिस्से में चीरा लगा और ब्लड लॉस भी घटा।

मरीज डिस्चार्ज हुआ और वह अब कैंसर मुक्त है

पीटर फैब को डिस्चार्ज कर दिया गया है। वह पहला मरीज है जो ऐसी सर्जरी का हिस्सा बना है। घर पर उसकी देखभाल की जा रही है और रिकवरी काफी तेजी से हो रही है। अब वह कैंसर मुक्त है। डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में हर साल 43 हजार लोग बॉवेल कैंसर से जूझते हैं, ज्यादातर मरीजों में कैंसर वाला हिस्सा रेक्टम में पाया जाता है।

इसके 50 फीसदी मामले देरी से पता चलते हैं और तब तक सर्जरी ही असरदार विकल्प साबित होती है। इसकी सर्जरी में ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की तीन टीम की जरूरत होती है। इसमें प्लास्टिक सर्जन्स, कैंसर एक्सपर्ट और दूसरे डॉक्टर्स शामिल होते हैं।

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