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वाराणसी में पारम्परिक लाट भैरव विवाह पर भी कोरोना की छाया दिखी; इस बार रथ, बारात और बिना बारातियों के हुआ भव्य आयोजन

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  • Varanasi The Shadow Of Corona On The Marriage Of The Traditional Lat Bhairava In Varanasi; This Time A Grand Event Took Place Without Chariots, Processions And Processions

वाराणसी2 घंटे पहले

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यूपी के वाराणसी में बुधवार देर रात लाट भैरव का विवाह सम्पन्न हुआ। हालांकि कोरोना की वजह से इस बार शोभायात्रा नहीं निकाली गई।

  • भैरव प्रबंधन समिति के तत्वावधान में हुआ भैरव विवाह का कार्यक्रम
  • मंदिर प्रांगण में केवल पांच लोगों के प्रवेश की अनुमति ही दी गई थी

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बुधवार देर शाम को कजाकपुरा स्थित बाबा श्री लाट भैरव जी का विवाह सम्पन्न कराया गया। कोरोना महामारी को देखते हुए सादगी से विवाह की सारी परम्पराओं का निर्वहन किया गया।प्रत्येक वर्ष श्री कपाल भैरव अथवा लाट भैरव प्रबंधक समिति के तत्वावधान में होने वाले इस भव्य आयोजन के सभी रश्मों को सीमित दायरे में प्रशासनिक गाइडलाइन के अंतर्गत ही निभाया गया।

बुधवार देर शाम 6 बजे बाबा श्री लाट भैरव के रजत मुखौटे को विग्रह पर स्थापित कर नवीन वस्त्र, मुंडमाला, चांदी के आभूषण धारण कराए गए। आचार्य रविन्द्र त्रिपाठी के निर्देशन में पूजन प्रारम्भ किया गया।रात्रि में हजारों दीयों से बाबा की विशेष आरती की गई। समिति के अध्यक्ष हरिहर पाण्डेय ने बताया कि इस बार मंदिर प्रांगण में केवल पांच लोगों के द्वारा ही अनुष्ठान किया गया। बाबा से कोरोना से मुक्ति की कामना की गई। इससे आगामी वर्षों मे पुनः हर्षोल्लास वातावरण में हम सारे पर्व मनाते रहें। दर्शनार्थियों को बाहर से ही दर्शन प्राप्त हुआ, गर्भ गृह मे जाने पर रोक लगा दी गई थी।

अगले दिन होने वाले भंडारे का कार्यक्रम स्थगित किया गया है
मंदिर प्रांगण मे बाबा लाट भैरव के साथ ही अष्ट भैरव और माता काली का श्रृंगार किया गया था। प्रत्येक वर्ष लाट भैरव बाबा का बारात विशेश्वर गंज से निकलकर करीब 2 किलोमीटर लम्बा रास्ता तय करते हुये कजाक पुरा स्थित मंदिर मे पहुंचता था। जिसमें बाबा शानदार रथ पर सवार होकर निकलते थे। इस विराट शोभायात्रा के रुप मे हाथी, घोड़े, बैण्ड-बाजे, डमरु दल के साथ आते थे।मार्ग जगह जगह हज़ारों श्रद्धालुओं द्वारा बाबा की आरती के साथ साथ श्रृंगार व पुष्प वर्षा किया जाता था।

दोपहर तीन बजे निकलने वाले इस अद्भुत बारात को अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने मे करीब 12 घण्टे का समय लगता था। मंदिर प्रांगण मे भी बड़ी संख्या मे शाम से ही भक्तों का दर्शन पूजन का क्रम शुरू होता था। प्रसाद वितरण के साथ साथ भंडारे का आयोजन किया जाता रहा। लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना के कारण यह तीन दिवसीय आयोजन सीमित किया गया था।

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