May 19, 2024 : 1:42 PM
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अब गांवों की तरह शहरों में भी मिलेगा मनरेगा रोजगार, पहले छोटे शहरों से इसे शुरू करने की सरकार की योजना

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मुंबईएक घंटा पहले

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दरअसल अभी भी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से चालू  नहीं हुई हैं। इसलिए गांवों से शहरों की और लौट रही आबादी अभी भी काम की तलाश में है

  • सरकार इस योजना पर 3,500 करोड़ रुपए खर्च कर सकती है
  • मनरेगा के तहत रोजाना की मजदूरी बढ़ाकर 202 रुपए कर दी गई है

सरकार अपने रोजगार कार्यक्रम मनरेगा (एमजीएनआरईजीए) को गांवों के साथ शहरों में भी लाने की योजना बना रही है। यह रोजगार उन लोगों को शहरों में मिलेगा जो कोरोना से हुए लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार हो गए हैं। अगर यह संभव होता है तो शहरों में भी एक बड़ी आबादी को रोजगार मिल पाएगा।

छोटे शहरों में प्रशिक्षित कामगारों की कम जरूरत होती है

जानकारी के मुताबिक शुरुआती चरण में इस रोजगार कार्यक्रम को छोटे शहरों में लागू किया जाएगा। इसके पीछे सोच यह है कि बड़े शहरों में आमतौर पर प्रशिक्षित या जानकार कामगारों की जरूरत ज्यादा होती है। जबकि छोटे शहरों में दिहाड़ी कामगारों के लिए प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती है। इस पर शुरुआत में 3,500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। सरकार इस आइडिया पर पिछले साल से ही विचार कर रही है। कोरोना ने इसे और तेजी से लागू करने का अवसर दे दिया है।

इस योजना पर अब तक एक लाख करोड़ रुपए का खर्च

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस साल मनरेगा के तहत पहले ही एक लाख करोड़ रुपए का खर्च किया है। इस योजना में ग्रामीण इलाकों के कामगार प्रति दिन कम से कम 202 रुपए पाते हैं। साल में कम से कम 100 दिन उन्हें काम मिलता है। शहरी इलाकों में इसे लागू किए जाने से कोरोना में बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार मिल सकेगा।

जीडीपी में पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट

बता दें कि हाल में जीडीपी के आंकड़े से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को ऐतिहासिक रूप से बड़ा झटका लगा है। जीडीपी की वृद्धि दर पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत गिरी है।मनरेगा के तहत जो काम मिलते हैं उसमें ज्यादातर ऐसे काम होते हैं जिनके लिए किसी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती है। इसमें रोड बिल्डिंग, तालाबों या कुओं की खुदाई और अन्य काम होते हैं। इसके तहत इस समय 27 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। इसमें से ज्यादातर वे लोग हैं जो कोरोना की वजह से शहरों से अपने गांव लौट गए हैं।

शहरों इलाकों में ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी

कोविड-19 ने पहले ही शहरी इलाकों में लोगों पर बहुत ज्यादा असर डाला है। इससे कामगारों के लिए बेरोजगारी की समस्या आ गई है। अप्रैल में 12.1 करोड़ से ज्यादा लोगों के रोजगार चले गए। इससे बेरोजगारी की दर बढ़कर 23 प्रतिशत पर पहुंच गई है। हालांकि जब से अनलॉक शुरू हुआ है, तब से बेरोजगारी की दर में गिरावट आ रही है।

अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार

विश्लेषकों का मानना है कि शहरों में मनरेगा चालू होने से अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिल सकेगी। साथ ही उन लोगों को फिर से जीवन जीने के लिए सहारा मिल जाएगा जो लोग अभी तक बेरोजगार हैं। दरअसल अभी भी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से चालू नहीं हुई हैं। इसलिए गांवों से शहरों की और लौट रही आबादी अभी भी काम की तलाश में है।

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