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नई दिल्ली11 घंटे पहले
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भारत के एफटीए पार्टनर देश में यदि किसी उत्पाद में कम से कम एक निश्चित सीमा तक वैल्यू एडिशन होगा, तभी उस देश को उस उत्पाद के लिए स्रोत देश माना जाएगा
- राजस्व विभाग ने कस्टम्स (एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ रूल्स ऑफ ओरिजिन अंडर ट्रेड एग्रीमेंट्स) रूल्स 2020 को नोटिफाई किया
- रूल्स ऑफ ओरिजिन का नया प्रावधान 21 सितंबर 2020 से लागू होगा
- यह प्रावधान एफटीए के तहत कम सीमा शुल्क का दावा करने वाले आयात पर लागू होगा
सरकार ने रूल्स ऑफ ओरिजिन के प्रोविजन को लागू करने के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया है। इसके तहत भारत का कोई भी एफटीए पार्टनर देश सिर्फ अपना लेवल लगाकर किसी तीसरे देश का माल भारत में डंप नहीं कर पाएगा। यह दिशानिर्देश मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) के तहत कम सीमा शुल्क का दावा करने वाले आयातों पर लागू होगा।
राजस्व विभाग ने कस्टम्स (एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ रूल्स ऑफ ओरिजिन अंडर ट्रेड एग्रीमेंट्स) रूल्स 2020 को नोटिफाई कर दिया है। यह नियम 21 सितंबर 2020 से लागू होगा। रूल्स ऑफ ओरिजिन प्रावधान के तहत भारत का जिस भी देश के साथ एफटीए है, वहां उत्पाद में एक निश्चित सीमा तक वैल्यू एडिशन होना चाहिए, तभी उस देश को उस उत्पाद का स्रोत देश माना जाएगा।
भारत का कई देशाों के साथ है मुक्त व्यापार समझौता
भारत ने जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और आसियान के सदस्यों सहित कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते किए हैं। इस तरह के समझौतों में दो व्यापारिक भागीदार देश आपसी व्यापार वाले अधिकतर उत्पादों पर आयात/सीमा शुल्क को काफी घटा देते हैं या पूरी तरह से हटा देते हैं। अधिसूचना के अनुसार व्यापार समझौते के तहत तरजीही शुल्क दर का दावा करने के लिए आयातक या उसके एजेंट को बिल जमा कराते समय यह घोषणा करना होगा कि संबंधित उत्पाद तरजीही शुल्क दर के लिए ओरिजिनेटिंग गुड्स का पात्र है। उसे संबंधित उत्पाद सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन भी देना होगा।
दिशानिर्देश के कुछ प्रावधान
बिना वैरिफिकेशन भी निरस्त हो सकेगा तरजीही दर का दावा : यदि सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन अधूरा है या उसमें किसी भी बदलाव का इशुइंग अथॉरिटी से सत्यापन नहीं हुआ है या यदि वैलिडिटी पीरियड एक्सपायर होने के बाद सर्टिफिकेट जारी हुआ है, तो ऐसी स्थितियों में प्रावधान के मुताबिक योग्य अधिकारी बिना वैरिफिकेशन के ही तरजीही दर के दावे को निरस्त कर सकता है।
आयातक को कंट्री ऑफ ओरिजिन शर्त से जुड़ी सभी जानकारियां भी रखनी होंगी : आयातक को कंट्री ऑफ ओरिजिन शर्त से जुड़ी सभी जानकारियां भी रखनी होंगी। इसमें रीजनल वैल्यू कंटेंट भी शामिल होगा। ये सूचनाएं उसे मांगे जाने पर योग्य अधिकारी को देनी होंगी।
सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन का हो सकता है वैरिफिकेशन : निर्यात करने वाले देश से मिले सील और हस्ताक्षर के नमूने के साथ यदि सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन के सील और हस्ताक्षर का मिलान नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में सर्टिफिकेट के योग्यता पर संदेह होने पर अधिकारी कस्टम क्लियरेंस के दौरान या उसके बाद भी वैरिफिकेशन अधिकारी से सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन का वैरिफिकेशन कराने का अनुरोध कर सकता है।
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