May 20, 2024 : 5:17 AM
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एलएसी पर चीन के 7 एयरबेस पर भारत की नजर, यहां पक्के शेल्टर बनाए गए, रन-वे और मैनपावर भी बढ़ाई गई

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नई दिल्लीएक दिन पहले

लद्दाख सेक्टर और अन्य अहम इलाकों पर चीन ने अपने एयर बेस पर सुखोई-30, जे सीरीज के फाइटर जेट, बॉम्बर प्लेन तैनात किए हैं। -फाइल फोटो

  • चीन के 7 एयरबेस होतान, गारगुंसा, काशघार, हॉपिंग, धोनका जॉन्ग, लिंझी और पैनगैट पर भारतीय एजेंसियों की नजर
  • इन एयर बेसों पर सुखोई-30, जे सीरीज के फाइटर जेट, बॉम्बर प्लेन तैनात, सैटेलाइट से नजर रख रही भारतीय एजेंसियां

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव के बीच भारतीय एजेंसियां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की एयर फोर्स (पीएलएएएफ) के 7 एयरबेस पर नजर रख रही हैं। एलएसी के दूसरी ओर लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक स्थित चीन के ये एयरबेस हाल के कुछ दिनों में काफी एक्टिव रहे हैं।

न्यूज एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि इन एयरबेस पर चीन ने पक्के शेल्टर बनाए हैं। यहां रन-वे की लंबाई भी बढ़ाई गई है। इसके अलावा अतिरिक्त मैनपावर तैनात की गई है, ताकि ज्यादा ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सके।

नॉर्थ ईस्ट में निगरानी के लिए पीएलएएएफ ने नेटवर्क बनाया
सूत्रों के मुताबिक, चीन के 7 एयरबेस होतान, गारगुंसा, काशघार, हॉपिंग, धोनका जॉन्ग, लिंझी और पैनगैट पर भारतीय एजेंसियां करीब से नजर रख रही हैं। नॉर्थईस्ट के दूसरी ओर स्थित लिंझी एयरबेस मुख्य तौर पर एक हेलिकॉप्टर एयर बेस है। यहां पर पीएलएएएफ ने हेलिपैड का नेटवर्क डेवलप किया है ताकि इस इलाके में निगारनी के ऑपरेशन को बढ़ाया जा सके।

सूत्रों ने बताया कि लद्दाख सेक्टर और अन्य अहम इलाकों पर चीन ने अपने एयर बेस पर सुखोई-30, जे सीरीज के फाइटर जेट, बॉम्बर प्लेन तैनात किए हैं और भारतीय एजेंसियां इन पर सैटेलाइट और दूसरे माध्यमों से नजर रख रही हैं।

चीन के लड़ाकू विमानों पर भारी हैं भारतीय फाइटर जेट
चीन की एयरफोर्स की एक्टिविटी को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने भी ऊंचाई वाले इलाकों में अपनी एक्टिविटी बढ़ा दी है। इस इलाके में सुखोई- 30एमकेआई, मिग-29 और मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात किए गए हैं ताकि चीन की किसी भी हरकत का जवाब दिया जा सके।

इसके अलावा चीन की एयरफोर्स पर भारतीय वायुसेना को बढ़त हासिल है। इसकी वजह यह है कि चीन के फाइटर जेट्स को बेहद ऊंचाई वाले इलाकों से टेकऑफ करके उड़ान भरनी होगी, जबकि भारतीय फाइटर जेट जमीनी इलाकों से उड़ान भर कर बिना वक्त गंवाए फॉरवर्ड लोकेशन पर पहुंच सकते हैं।

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