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विश्वामित्र, कश्यप, वसिष्ठ सहित सात ऋषियों के नामों का जाप रोज करने की है परंपरा, विश्वामित्र ने की थी गायत्री मंत्र की रचना

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एक दिन पहले

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  • मत्स्य अवतार की कथा में भी है सप्त ऋषियों का उल्लेख, मान्यता है कि इनके नामों का जाप करने से दूर होता है पाप कर्मों का प्रभाव

भगवान विष्णु के दस अवतार बताए गए हैं। इनमें पहला अवतार मत्स्य का था। कथा प्रचलित है कि मत्स्य अवतार के समय इस धरती जल प्रलय आया था। उस समय राजा मनु के साथ सप्तऋषि एक विशाल नाव में सवार थे और मत्स्य अवतार में भगवान विष्णु ने इन सभी के प्राणों की रक्षा की थी। सप्तऋषियों के नाम का जाप रोज करना चाहिए, ऐसी परंपरा प्रचलित है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहा जाता है। इस बार ये तिथि रविवार, 23 अगस्त को है। इस दिन व्रत-उपवास करने और सप्तऋषियों की पूजा करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों का प्रभाव खत्म होता है। शास्त्रों में सप्तऋषियों के संबंध में कई श्लोक प्रचलित है। उनमें से एक श्लोक ये है-

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।

जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥

दहंतु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥

इस श्लोक में कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वसिष्ठ ऋषियों के नाम बताए गए हैं। इनके नामों के जाप से सभी पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं।

पहले ऋषि हैं कश्‍यप। कश्यप ऋषि की 17 पत्नियां थी। अदिति नाम की पत्नी से सभी देवता और दिति नाम की पत्नी से दैत्यों की उत्पत्ति मानी गई है। शेष पत्नियों से भी अलग-अलग जीवों की उत्पत्ति हुई है।

दूसरे ऋषि हैं अ​त्रि। त्रेतायुग में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता वनवास समय में अत्रि ऋषि के आ़़श्रम में रूके थे। इनकी पत्नी अनसूया थी। अत्रि और अनसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय हैं।

तीसरे ऋषि हैं भारद्वाज। इनके पुत्र द्रोणाचार्य थे। भारद्वाज ऋषि ने आयुर्वेद सहित कई ग्रंथों की रचना की थी।

चौथे ऋषि हैं विश्वामित्र। इन्होंने गायत्री मंत्र की रचना की थी। भगवान श्रीराम और लक्ष्‍मण के गुरु थे। विश्वामित्र ही श्रीराम और लक्ष्मण को सीता के स्वयंवर में ले गए थे। विश्वामित्र जब तप कर रहे थे तब मेनका ने इनका तप भंग किया था।

पांचवें ऋषि हैं गौतम। अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं। गौतम ऋषि ने ही शाप देकर अहिल्या को पत्थर बना दिया था। श्रीराम की कृपा से अहिल्या ने पुन: अपना रूप प्राप्त किया था।

छठे ऋषि हैं जमदग्नि। जमदग्नि और रेणुका के पुत्र हैं भगवान परशुराम। परशुराम ने पिता की आज्ञा से माता रेणुका का सिर काट दिया था। इससे जमदग्नि प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा था। तब परशुराम ने माता रेणुका का जीवन मांग लिया। जमदग्नि ने अपने तप के बल से रेणुका को फिर से जीवित कर दिया था।

सातवें ऋषि हैं वशिष्ठ। त्रेता युग में ऋषि वसिष्ठ राजा दशरथ के चारों पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के गुरु थे।

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