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- Bahula Chaturthi Vrat: Bahula Chauth On 7th August, Women Observe This Fast For A Long Life, It Is Worshiped In Cow And Calf
4 घंटे पहले
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- गुजरात में खासतौर से किया जाता है ये व्रत, यहां बोल चौथ कहा जाता है इस पर्व को
हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को बहुला चौथ कहा जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन गाय और उसके बछड़े की पूजा की जाती है। इस दिन गाय के दूध और उससे बनी चीजों का उपयोग नहीं किया जाता है, सिर्फ बछड़े को ही दूध पिलाया जाता है। इस बार ये व्रत शुक्रवार, 7 अगस्त को किया जाएगा। महिलाएं अपने अपने बच्चों की अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं। इस व्रत में भगवान कृष्ण की पूजा भी की जाती है। इस दिन व्रत और पूजा करने से परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
गुजरात में इस व्रत का नाम है बोल चौथ
ये पर्व गुजरात में खासतौर से मनाया जाता है। यहां इसे बोल चौथ कहा जाता है। अमावस्यांत कैलेंडर के कारण गुजरात में ये व्रत सावन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी पर किया जाता है। नागपंचमी पर्व से एक दिन पहले मनाया जाता है। अन्य जगहों पर इसे बहुला चतुर्थी कहा जाता है। गुजरात में बोल चौथ के दिन उपवास किया जाता है और भगवान कृष्ण के साथ गाय और बछड़ों की पूजा की जाती है।
संतान की लंबी उम्र के लिए गाय और बछड़े की पूजा
बहुला चतुर्थी संतान देने वाला और ऐश्वर्य बढ़ाने वाला व्रत है। वेद और पुराणों में गाय का महत्व बताते हुए इस दिन गाय की विशेष पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस चतुर्थी तिथि पर श्रीकृष्ण ने शेर बनकर बहुला गाय की परीक्षा ली थी। इसलिए इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है। मिट्टी की गाय, शेर और बछड़ा बनाकर इनकी भी पूजा की जाती है। सुबह जल्दी उठकर महिलाएं तीर्थ स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करती हैं। इसके बाद पूरे दिन श्रद्धा के अनुसार व्रत या उपवास का संकल्प लेती हैं। इसके बाद संतान की लंबी उम्र के लिए गाय और बछड़े की पूजा करती हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन खासतौर से गाय के दूध पर बछड़े का ही अधिकार होता है।
पूजा विधि: मिट्टी से बने शेर, गाय और बछड़े की पूजा करनी चाहिए
- इस दिन उपवास रखकर मिट्टी से बने शेर, गाय और बछड़े की पूजा की जाती है।
- दूर्वा से पानी के छींटे मारें, तिल के तेल का दीपक जलाएं और चंदन की धूप जला कर रखें।
- चंदन का तिलक, पीले पुष्प अर्पित कर गुड़ और चने का भोग लगाएं।
- बहुला चतुर्थी के दिन श्रीकृष्ण की कथा सुनने से यश और सौभाग्य मिलता है।
- शाम को भगवान गणेश, गौरी, भगवान शिव, श्रीकृष्ण और बछड़े के साथ गाय की भी पूजा करें।
- इसके बाद चावल, फूल, दूर्वा, रोली, सुपारी और दक्षिणा दोनों हाथों में लेकर भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाएं।
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