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सैकड़ों सालों से दोनों देशों में सेनकाकु को लेकर दुश्मनी, स्ट्रैटिजकली अहम इस द्वीप पर कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस का भंडार

  • जापान इसे अपने ओकिनावा प्रांत का हिस्सा बताता है तो चीन ताइवान का
  • कुल सात वर्ग किलोमीटर के इलाके का यह आईलैंड अभी जापान के पास

दैनिक भास्कर

Jul 07, 2020, 06:04 AM IST

बीजिंग. चीन और जापान की दुश्मनी बहुत पुरानी है। वर्ल्ड वॉर-2 के समय यह दुश्मनी और ज्यादा बढ़ी। मौजूदा समय में भी दोनों देशों के बीच तनाव है। तनाव एक आईलैंड को लेकर है। यह है प्रशांत महासागर में जापान के दक्षिण में स्थित सेनकाकु आईलैंड। जापान इसे सेनकाकू तो चीन इसे दियाआयू नाम देता है। अभी ये आईलैंड जापान के पास है, लेकिन चीन इस पर अपना हक जताता है।

अभी चर्चा में क्यों है सेनकाकु आईलैंड?
घटना बहुत सामान्य है। तीन जुलाई को चीन के दो कोस्ट गार्ड शिप यहां से गुजरे और जापान की मछली पकड़ने वाली नाव को डुबाने की कोशिश की। जापान के पेट्रोलिंग जहाजों ने चीनी शिप्स की कोशिश को नाकाम कर दिया। जापान के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी योशिदी सुगा ने इस चीन को चेतावनी भी दी। यहां चीनी घुसपैठ की कोशिश की एक और वजह है कि 22 जून को एक बिल के जरिए जापान ने इस सेनकाकू आईलैंड के प्रशासनिक व्यवस्था भी बदली है।
दोनों देशों में इस आईलैंड को लेकर सबसे ज्यादा तनाव तब बढ़ा था, जब जापान ने एक प्राइवेट ऑनर से इसके तीन द्वीप खरीद लिए थे।

दोनों देशों के लिए क्या अहमियत रखता है सेनकाकु?
यह आईलैंड ताइवान के उत्तर-पूर्व और जापान के दक्षिण में पड़ता है। इसमें आठ अलग-अलग आईलैंड हैं। कुल इलाका करीब सात वर्ग किलोमीटर का है। यहां आबादी नहीं रहती, लेकिन स्ट्रैटिजकली और बिजनेस के लिहाज से यह बहुत अहम है। यह दुनिया के उन इलाकों में हैं, जहां बड़ी तादाद पर मछलियां पाई जाती हैं। साथ ही यहां मौजूद कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार भी है।

आईलैंड पर दोनों देशों का दावा

आईलैंड पर जापानी दावे के तीन आधार

  • जापान इसे अपने ओकिनावा प्रांत का हिस्सा बताता है। इसके मुताबिक उसने 19 वीं सदी में 10 सालों तक इस आईलैंड का सर्वे किया और 1895 में इसको अपने देश में शामिल किया।
  • 1945 में वर्ल्ड वॉर-2 में जापान की हार के बाद 1951 में हुई एक संधि से ओकिनावा पर अमेरिका का कब्जा हो गया।
  • 1971 में अमेरिका ने जापान को ओकिनावा लौटाया, तब सेनकाकुस भी वापस जापान के पास आ गया, तब से ही इस पर जापान का अधिकार है।

चीन के दावे के तीन आधार

  • चीन के मुताबिक बहुत पुराने समय से यह आईलैंड उसके ताइवान प्रांत का हिस्सा है।
  • 1895 में जापान ने चीन को हराकर ताइवान को अपने कब्जे में ले लिया।
  • वर्ल्ड वॉर-2 के बाद 1951 में एक संधि के तहत चीन को ताइवान वापस मिल गया, ऐसे में सेनकाकु भी उसका हो गया।

2012 से विवाद ज्यादा बढ़ा

2012 में जापान की सरकार ने प्राइवेट ऑनर से सेनकाकु आईलैंड के तीन आईलैंड खरीद लिए। इन कारोबारियों ने ये आईलैंड 1932 में खरीदे थे। इसको लेकर दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। इस पर चीन ने पूर्व चीन सागर में सेनकाकू आईलैंड के ऊपर आकाश में अपना एक हवाई जोन बना दिया। इस जोन से गुजरने वाले विमानों को चीन की परमीशन लेनी पढ़ती है। इस पर जापान ने विरोध भी जताया है। 

हर जगह की तरह यहां भी अमेरिका शामिल 
अमेरिका और जापान में 1960 में एक सिक्युरिटी एग्रीमेंट हुआ था, जिसके तहत अमेरिका ने जापान के कई ठिकानों पर अपने मिलिट्री बेस बनाए हैं। बदले में जापान की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है। इसी एग्रीमेंट के तहत अमेरिका भी चीन को धमकी देता है कि अगर युद्ध किया तो अमेरिका, जापान का साथ देगा। 

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