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शहर में कई जगह पानी की किल्लत कारण: 8-10 दिन में खराब हो रहे पंप

  • कर्मचारी खुला छोड़कर चले जाते हैं मोटर पंप, इसलिए जल्द हो रहे खराब

दैनिक भास्कर

Jul 06, 2020, 07:17 AM IST

भिंड. भीषण गर्मी के दिनों में शहर के कई इलाकों में लोगों को पेयजल किल्लत का  सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है। इन दिनों हालात यह हो गए हैं कि कहीं नलों के पानी के साथ रेत आ रहा है तो कहीं बदबू युक्त गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। यह समस्या शहर में सीवर और नलजल की नई लाइन डाले जाने के कारण भी उपज रही है। इस प्रकार की स्थिति में उन इलाकों में समस्या और अधिक गहरा गई है जहां हैंडपंप भी पहले से ही खराब पड़े हुए हैं। इस प्रकार के हालात में लोगों को पानी ढोकर लाने में पसीने- पसीने होना पड़ रहा है। 
शहर के भवानीपुरा, बीटीआई रोड, हाउसिंग कॉलोनी, वनखंडेश्वर रोड, शिवाजी नगर, पुरानी बस्ती आदि इलाके ऐसे हैं जहां कभी एक पखवाड़े तो कभी महीने भर में पेयजल समस्या उपज रही है। इसका कारण कभी डीपी का खराब हो जाना तो कभी पंप का फुंक जाना रहता है। 

भवानीपुरा और बीटीआई रोड के पंप हो रहे खराब 
शहर में भवानीपुरा और बीटीआई रोड पर पंप आए दिन खराब हो रहा है। बताया गया है इन इलाकों में मोटर 8- 10 दिन खराब हो रही है। इसके बाद लोगों को दूर- दूर से पानी भरकर लाना पड़ रहा है। हैंडपंपों की भी हालत अच्छी नहीं है। किसी में गंदा पानी निकल रहा है तो किसी में पानी निकल ही नहीं रहा है। पिछले दिनों पंप खराब हुआ तो लोगों को निजी बोर से पानी भरकर लाने को मजबूर होना पड़ा। 
हाउसिंग कॉलोनी में पानी के साथ आ रही रेत 
शहर के मध्य की हाउसिंग कॉलोनी में पंप महीने भर में एक बार खराब हो ही जाता है। कभी इसकी केबल कट जाती है तो कभी यह फुंक जाती है। इसके बाद तीन-चार दिन तक पानी संकट रहता है। पिछले दिनों इसमें आई खराबी तो दुरुस्त करा दी गई है पर अब पानी के साथ रेत आ रहा है। इससे लोगों के घरों में लगी मोटरें खराब हो रही हैं। इसमें कंप्रेशर लगवाया जाना है लेकिन यह नहीं लगवाया गया है। 
पुरानी बस्ती व शिवाजी नगर में स्कीम बोर चालू नहीं
शहर के पुरानी बस्ती, शिवाजी नगर सहित कई अन्य इलाकों में स्कीम बोर साल भर पहले करा दिए गए हैं लेकिन इन्हें अब तक शुरू नहीं कराया गया है। इसके लिए वार्डवासियों द्वारा लंबे अर्से से मांग की जा रही है पर अब तक एक भी बोर को चालू नहीं कराया गया है। नागरिकों का कहना है कि जब परिषद अस्तित्व में रही तब भी यह बोर चालू नहीं कराए जा सके अब तो अधिकारी- कर्मचारी सुनवाई कर ही नहीं रहे हैं।

कर्मचारी कर रहे मनमानी
पंपों पर तैनात कर्मचारियों के मनमाने रवैए की वजह से भी उपज रही है। नियमानुसार पंप के शुरू होने से इसके बंद होने तक कर्मचारी को इलेक्ट्रिक बोर्ड पर नजर रखना चाहिए कि वोल्टेज कितने मिल रहे हैं। अगर सप्लाई में उतार चढ़ाव की स्थिति बन रही है तो पंप बंद कर देना चाहिए लेकिन हालात यह हैं कर्मचारी मोहल्ले वालों के भरोसे पंप छाेड़कर अपने काम धंधे निपटाने चले जाते हैं। 

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