मंदसौर. मंदसौर के पशुपतिनाथ महादेव मंदिर (Pashupatinath Mahadev Temple Mandsaur) पर 3700 किलो वजनी एक महा घंटा लगाया गया है. इसकी कई खासियत हैं. जितना बड़ा यह घंटा है उतनी बड़ी कहानी इसे बनाने ओर स्थापित करने की है. महाघंटा (Mahaghanta) घर घर से पीतल और तांबे के बर्तन इकट्ठा करके अहमदाबाद की एक कंपनी ने बनाया है. जितनी बड़ी विशाल प्रतिमा यहां पर पशुपतिनाथ की है उतना ही विशाल यह घंटा है.मंदसौर के भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर पर यह तीन हजार सात सौ किलो वजन का महा घंटा लगाया गया है. पशुपतिनाथ महादेव की प्रतिमा लगभग 47 क्विंटल वजनी,11 फ़ीट गोलाई ओर सात फीट ऊंची है. मंदसौर की सामाजिक संस्था श्रीकृष्ण कामधेनु संस्था के पदाधिकारी 2015 में जब पशुपतिनाथ के दर्शन करने आये तो उनके मन में अचानक विचार आया कि जितनी बड़ी विशाल प्रतिमा पशुपतिनाथ की है उतना ही बड़ा घंटा क्यों न लगाया जाए.इतना बड़ा घंटा बनाने के लिए पीतल और तांबा कहां से आए ये एक समस्या थी. इसलिए सदस्यों ने विचार किया कि आजकल घरों में तांबे और पीतल के बर्तनों का चलन बंद हो गया है. इसलिए घर घर जाकर तांबे और पीतल के बर्तन इकट्ठे किए जाएं. लगभग ढाई साल तक गांव-गांव घर-घर जाकर 114 यात्राओं के माध्यम से श्री कृष्ण कामधेनु संस्था के सदस्यों ने 3700 किलो तांबा और पीतल के पुराने बर्तन इकट्ठे कर लिए. बाद में यह बर्तन अहमदाबाद भेजे गए जहां एक कंपनी ने इस महा घंटे को डिजाइन किया.
फिर काम आए नाहरू भाई
महा घंटा जब बनकर तैयार हुआ तो उसे मंदसौर लाया गया. मंदसौर के नागरिकों ने महा घंटे की पूरी यात्रा शहर में निकाली. इसमें क्षेत्र के सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक यशपाल सिसोदिया, जनप्रतिनिधि गण और तमाम लोग शामिल हुए और घंटे को पशुपतिनाथ मंदिर लाकर व्यवस्थित रखा गया. महा घंटे को जब स्थापित करने की बारी आई तो फिर समस्या थी. जब सब फेल हो गए तब शहर के जाने माने मुस्लिम समाजसेवी नाहरू भाई की मदद ली गई. नाहरू भाई केवल कक्षा दूसरी तक पढ़े लिखे हैं. लेकिन उन्होंने इस 3700 किलो वजनी महा घंटे को अपनी सूझबूझ से स्थापित कर ही दिया.
एक परिसर में तीन अजूबे
कलेक्टर गौतम सिंह ने बताया कि जब मैं मंदसौर आया तो महा घंटे को देखकर आश्चर्य चकित था. घंटे को परिसर में स्थापित करने का काम बहुत मुश्किल था लेकिन नाहरू भाई ने इस काम को बहुत ही आसान कर दिया. मंदसौर की भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा भी विशाल है. इस मंदिर की ख्याति दूर तक फैली हुई है. मंदिर के विस्तारीकरण की दिशा में शिवना नदी से ही निकली सहस्त्रेश्वर महादेव की प्रतिमा भी मंदिर परिसर में स्थापित होने जा रही है. पशुपतिनाथ महादेव के अलावा सहस्त्रेश्वर महादेव के दर्शन करने का भी सौभाग्य मिलेगा और महा घंटा के दर्शन और घंटा बजाने का भी लोग आनंद उठा सकेंगे.