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इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- बालिग लड़की को अपनी मर्जी से शादी करने और रहने का अधिकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक लव मैरिज के मामले में बड़ा फैसला दिया है.  (File photo)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक लव मैरिज के मामले में बड़ा फैसला दिया है.

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि 18 वर्ष से अधिक आयु की बालिग लड़की को अपनी मर्जी से किसी के साथ रहने और शादी करने का अधिकार है. इसके साथ लड़की के पिता की तरफ से लड़के खिलाफ दर्ज की गई अपहरण की एफआईआर को भी रद्द करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार शादी के लिए लड़की की आयु 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष होनी चाहिए. लड़की की उम्र 18 से ज्‍यादा है, तो लड़का 21 साल से कम का है, लेकिन फिर भी शादी मान्‍य है.

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने लव मैरिज (Love Marriage) करने वाली एक लड़की की याचिका पर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि 18 वर्ष से अधिक आयु की बालिग लड़की को अपनी मर्जी से किसी के साथ रहने और शादी करने का अधिकार है. साथ ही कहा कि अपनी इच्छा से लड़के के साथ जाने के कारण अपहरण करने का अपराध नहीं बनता है. इसी के साथ कोर्ट ने पिता द्वारा अपनी बेटी के अपहरण के आरोप में लड़के के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर (FIR) को रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि लड़के की आयु 21 वर्ष से कम है, तो शादी शून्य नहीं होगी. हालांकि यह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 18 के तहत दंडनीय हो सकती है, लेकिन विवाह पर सवाल नहीं उठाए जा सकते. यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ ने प्रतीक्षा सिंह व अन्य की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है.

जानें क्‍या है पूरा मामला
दरअसल यूपी के चंदौली के थाना कंडवा में लड़की के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई और आरोप लगाया कि लड़की का अपहरण कर लिया गया है. साथ ही कहा कि उसे बेच दिया गया है या तो उसको मार डाला गया है. इसे प्रतीक्षा सिंह व उसके पति करण मौर्य उर्फ करन सिंह की तरफ से चुनौती दी गई. लड़की का कहना था कि वह बालिग है और उसने अपनी मर्जी से शादी की है. वह अपने पति के साथ रह रही है. उसका अपहरण नहीं किया गया है, लिहाजा एफआईआर निराधार है. अपहरण का कोई अपराध नहीं बनता है, इसलिए एफआईआर रद्द की जाए.

कोर्ट ने कही ये बात
वहीं, लड़की की चुनौती के बाद कोर्ट ने नोटिस जारी कर उसके पिता से जवाब मांगा था. पिता की तरफ से कहा गया कि लड़के की आयु 21 वर्ष से कम होने के कारण शादी अवैध है. एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार शादी के लिए लड़की की आयु 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष होनी चाहिए. हाईस्कूल रिकॉर्ड के अनुसार लड़की की आयु 18 वर्ष से अधिक है, लेकिन लड़के की 21 वर्ष से कम है. जबकि दोनों अपनी मर्जी से शादी कर साथ में शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे हैं. इसमें अपहरण का अपराध नहीं बनता है.

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