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दूसरों का बोझ उठाने वाले कुलियों को काम का संकट, पहले नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 1237 कुली थे, अब 250 ही बचे हैं

  • लॉकडाउन से ज्यादातर कुली घर चले गए थे, अब वे धीरे-धीरे लौट रहे, पर उन्हें काम नहीं मिल रहा
  • कुली शाहिद बताते हैं- मैं 3 दिन पहले ही घर से आया हूं, सुबह से अभी तक बोहनी नहीं हो पाई है
  • संक्रमण से बचने के लिए अब यात्री अपना सामान खुद ही उठा रहे, वे कुलियों की मदद नहीं ले रहे

दैनिक भास्कर

Jul 02, 2020, 02:01 PM IST

नई दिल्ली. यह कहानी देश की राजधानी दिल्ली में लोगों का बोझ उठाने वाले मेहनतकश कुलियों की है। दिल्ली में अभी रोजाना कोरोना संक्रमण के दो हजार से ज्यादा नए मामले आ रहे हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि कुली अभी तक इससे बचे हुए हैं। पर बुरी बात है कि उन्हें अब काम नहीं मिल रहा है। इसके चलते उनके सामने खाने का संकट पैदा हो गया है। 
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 1237 कुली काम करते हैं, जिसमें से फिलहाल 250 से 300 कुली ही इस वक्त मौजूद हैं। लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर कुली अपने घर चले गए थे, लेकिन अब धीरे धीरे वे स्टेशन पर फिर से काम करने के लिए लौट रहे हैं।
12 मई को नई दिल्ली स्टेशन पर सिर्फ 12 कुली थे
लाइसेंस पोर्टर इंस्पेक्टर (एलपीआई) पवन सांगवान कहते हैं कि मैं हर तीसरे दिन इनके पास सैनिटाइजर और साबुन चेक करता हूं। हमने सभी कुलियों को निर्देश दिए हैं कि सामान उठाने के बाद सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। मैं इन सभी का धन्यवाद करता हूं कि इस महामारी में भी किसी ने कोई शिकायत नहीं की। 12 मई को नई दिल्ली स्टेशन पर सिर्फ 12 कुली मौजूद थे, लेकिन अब स्टेशन पर इनकी संख्या बढ़ गई है। किसी कुली के बीमार होने की स्थिति में रेलवे ने ओपीडी की सुविधा दी है।
सामान उठाने से पहले सैनिटाइजर लगाते हैं
कुली शाहिद अहमद कहते हैं कि मैं 3 दिन पहले ही अपने घर से वापस आया हूं, सुबह से अभी तक बोहनी नहीं हो पाई है। रेलवे स्टेशन पर यात्री न होने की वजह से बहुत दिक्कत हो रही है। नई दिल्ली आने वाले यात्रियों की संख्या बहुत घट गई है। यहां से यात्री सिर्फ वापस ही जा रहे हैं। हम जब भी किसी यात्री का सामान उठाते हैं, उससे पहले हम सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं और सामान रखने के बाद साबुन से हाथ धोकर फिर प्लेटफार्म पर आते हैं।
40 किलो वजन के 100 रुपए मिलते हैं
शाहिद कहते हैं कि लॉकडाउन और कोरोना से पहले वे रोजाना 500 से 800 रुपए तक कमा लेते थे, लेकिन अब सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक 400 रुपए भी नहीं कमा पा रहे हैं। पूरा-पूरा दिन निकल जाता है, तब जाकर कुछ कमा पाते हैं। 40 किलो वजन के 100 रुपए मिलते हैं, ये सरकार की तरफ से निर्धारित है, बाकी यात्री के ऊपर है, अपनी तरफ से ज्यादा भी दे जाते हैं।

स्टेशन के आधुनिकीकरण से भी दिक्कत

  • हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का आधुनिकीरण भी हुआ है। ऐसे में कुलियों का यह भी मानना है कि यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर लिफ्ट और एस्कलेटर की सुविधा दिए जाने की वजह से भी उनकी आमदनी पर पड़ा है। फिलहाल तो कोरोना के चलते ये लोग मुश्किल में हैं। संक्रमण से बचने के लिए यात्री अब अपना सामान खुद उठा कर ले जा रहे हैं।
  • स्टेशन पर मौजूद एक अन्य कुली बताते हैं कि कितनी बार ऐसा होता है कि यात्री के पास पैसे नहीं होते, हम फिर भी उनका सामान उठाकर मदद करते हैं। हमें भी यात्रियों का दर्द समझ आता है, बस हमारा दर्द किसी को समझ नहीं आता।

कुलियों को रेलवे हर साल 120 रुपए का ट्रैवलिंग पास देता है

  • कुलियों को रेलवे की तरफ से 120 रुपए का एक ट्रैवलिंग पास दिया जाता है, जिससे वे साल में एक बार अपने परिवार को कहीं भी यात्रा करा सकते हैं। इस पास की वैधता 5 महीने की होती है।
  • इसके साथ ही उन्हें 3 वर्दियां भी दी जाती हैं। पूरे देश में 20 हजार से 23 हजार कुली हैं, जिसमें से दिल्ली में ही दो से तीन हजार कुली काम करते हैं। कोरोना महामारी के चलते इनके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया है.

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