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Hindi NewsJeevan mantraDharmAaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Story Of Manu And Shatrupa, Daughters In Home, We Should Love Daughters
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4 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
कॉपी लिंकब्रह्माजी के शरीर से मनु और शतरूपा उत्पन्न हुए थे, ये दोनों ही सृष्टि के पहले माता-पिता थे
कहानी- जब ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण कर लिया, तब उनके शरीर से मनु और शतरूपा पैदा हुए। बाद में इन दोनों के मिलन से पांच बच्चों का जन्म हुआ। इनमें तीन बेटियां थीं और दो बेटे थे। बेटियों के नाम थे आकूति, देवहुति और प्रसूति। बेटों के नाम उत्तानपाद और प्रियव्रत।
ये पांच बच्चे दुनिया की पहली संतानें थीं। इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि पहले पांच बच्चों में तीन बेटियां थीं। इसका मतलब यही है कि प्रकृति और परमात्मा बेटियां अधिक देते हैं।
बेटियों को भी उतना भी मान-सम्मान करना चाहिए, जितना बेटों का किया जाता है। भगवान ने भी कभी बेटों और बेटियों में भेद नहीं किया है, ये भेद इंसानों ने बनाया है। कुछ लोग गर्भ में पल रही संतान का लिंग मालूम कर लेते हैं और अगर गर्भ में लड़की होती है तो उस भ्रूण की हत्या करवा देते हैं। ये बहुत गलत है। जो लोग भ्रूण हत्या करते हैं, वे परमशक्ति के आदेश के विरुद्ध काम करते हैं।
सीख- जब हमारे घर में बेटी पैदा हो तो हमें उतना ही प्रसन्न होना चाहिए, जितना बेटे के जन्म से प्रसन्न होते हैं।
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