May 4, 2024 : 1:50 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

अमावसु नाम के पितर से पंचदशी तिथि बनी अमावस्या, इस दिन चंद्रमा से अमृतपान करते हैं पितृ

  • रविवार को अमावस्या होना अशुभ, सोमवार और गुरुवार को पड़ने वाली अमावस्या देती है शुभ फल

दैनिक भास्कर

Jun 19, 2020, 08:21 PM IST

21 जून को आषाढ़ महीने की अमावस्या है। अमावस्या को धर्म ग्रंथों में पर्व कहा गया है। इस तिथि पर पितरों की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिष के नजरिये से इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते हैं। इन दोनों के ग्रहों के बीच का अंतर 0 डिग्री हो जाता है। हर महीने की अमावस्या पर कोई न कोई व्रत या पर्व मनाया जाता है। ये तिथि पितरों की पूजा के लिए खास मानी जाती है। इसलिए इस दिन पितरों की विशेष पूजा करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।
 
मत्स्य पुराण: अमावसु पितर के कारण अमावस्या नाम पड़ा
मत्स्य पुराण के 14वें अध्याय की कथा के अनुसार पितरों की एक मानस कन्या थी। उसने बहुत कठीन तपस्या की। उसे वरदान देने के लिए कृष्णपक्ष की पंचदशी तिथि पर सभी पितरगण आए। उनमें बहुत ही सुंदर अमावसु नाम के पितर को देखकर वो कन्या आकर्षित हो गई और उनसे विवाह करने की इच्छा करने लगी। लेकिन अमावसु ने इसके लिए मना कर दिया। अमावसु के धैर्य के कारण उस दिन की तिथि पितरों के लिए बहुत ही प्रिय हुई। तभी से अमावसु के नाम से ये तिथि अमावस्या कहलाने लगी।

सूर्य की अमा नाम की किरण में रहता है चंद्रमा
विष्णु, मत्स्य और गरुड़ पुराण में बताया गया है कि कृष्णपक्ष की द्वितिया से चतुर्दशी तिथि तक देवता चंद्रमा से अमृतपान करते हैं। इसके बाद चंद्रमा सूर्य मंडल में प्रवेश करता है और सूर्य अमा नाम की किरण में रहता है। तो वो अमावस्या तिथि कहलाती है। इस तिथि में पितृ अमृतपान कर के एक महीने तक संतुष्ट रहते हैं। इसके साथ ही पितृगण अमावस्या के दिन वायु के रूप में सूर्यास्त तक घर के दरवाजे पर रहते हैं और अपने कुल के लोगों से श्राद्ध की इच्छा रखते हैं। इस दिन पितृ पूजा करने से उम्र बढ़ती है। परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है।

अमावस्या से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

  1. ज्योतिष में अमावस्या को रिक्ता तिथि कहा जाता है यानी इस तिथि में किए गए काम का फल नहीं मिलता।
  2. अमावस्या को महत्वपूर्ण खरीदी-बिक्री और हर तरह के शुभ काम नहीं किए जाते हैं। इस तिथि में पूजा पाठ का विशेष महत्व है।
  3. ज्योतिष में अमावस्या को शनिदेव की जन्म तिथि माना गया है।
  4. इस तिथि में पितरों के उद्देश्य से किया गया दानादि अक्षय फलदायक होता है।
  5. सोमवार या गुरुवार को पड़ने वाली अमावस्या को शुभ माना जाता है।
  6. रविवार को अमावस्या होना अशुभ माना जाता है।
  7. इस तिथि पर भगवान शिव और पार्वती देवी की विशेष पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।

Related posts

जनवरी के सितारे: इस महीने 3 ग्रहों की चाल में होगा बदलाव, शनि और मंगल रहेंगे अपनी ही राशि में

Admin

एक व्यक्ति का घर हमेशा गंदा रहता था, उसे उपहार में मिला एक गुलदस्ता, कुछ ही दिनों में बदल गया उसका घर, एक अच्छी आदत हमारी सोच बदल सकती है

News Blast

कोट्स:भगवान का नाम लेने से कोई धार्मिक नहीं हो जाता, जो धर्म के अनुसार कर्म करता है, वही धार्मिक है

News Blast

टिप्पणी दें