- इंटरनेट बैंकिंग के जरिए फॉर्म 15G और फॉर्म 15H को ऑनलाइन जमा कर सकते हैं
- फॉर्म 15G या फॉर्म 15H खुद से की गई घोषणा वाला फॉर्म हैं
दैनिक भास्कर
Jun 30, 2020, 02:29 PM IST
नई दिल्ली. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने ग्राहकों को 30 जून तक फॉर्म 15G और फॉर्म 15H जमा करने को कहा था। 30 जून तक यह फार्म जमा नहीं करने पर एफडी या सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस के रूप में टैक्स कट सकता है। अगर आपने अब तक ये फॉर्म जमा नहीं किया है तो आज ही कर दे क्योंकि आज इसकी आख़िरी तारीख है। हाल ही में SBI इंटरनेट बैंकिंग के जरिए फॉर्म 15G और फॉर्म 15H को ऑनलाइन जमा करने की सुविधा दी है। हम आपको बता रहे हैं कि आप कैसे ऑनलाइन फॉर्म जमा कर सकते हैं।
ऐसे भर सकते हैं ऑनलाइन फॉर्म
- सबसे पहले एसबीआई खाताधारकों को ऑनलाइन अपने खातों में लॉग इन करना होगा।
- इसके बाद ई-सेवाओं के तहत फॉर्म जमा किया जा सकता है।
- लॉग इन करने के बाद ‘E-services’ के ’15G / H’ ऑप्शन को चुनना होगा।
- इसके बाद फॉर्म 15G या फॉर्म 15H को चुनना होगा।
- Customer Information File (CIF) Number पर क्लिक कर ‘Submit’ पर क्लिक कर दें।
- इतना करते ही आपके सामने एक नया इंटरफेस खुलकर आएगा जहां अन्य जानकारियां मांगी जाएंगी।
- इन जानकारियों को भरने के बाद इसे सबमिट कर दें।
- इसके बाद एक नया टैब खुल जाएगा जहां आपको एक बार फिर से जानकारियां भरकर ‘कन्फर्म’ पर क्लिक करें।
- आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजा जाएगा। ओटीपी दर्ज करें और ‘कन्फर्म’ पर क्लिक करें।
- एक बार फॉर्म सफलतापूर्वक जमा हो जाने के बाद, UIN नंबर जेनरेट होगा। हाइपर लिंक कंप्यूटर स्क्रीन पर फॉर्म की एक प्रति डाउनलोड करने के लिए दिखाई देगी।
फॉर्म 15G या फॉर्म 15H फार्म भरना जरूरी क्यों है?
फॉर्म 15G या फॉर्म 15H खुद से की गई घोषणा वाला फॉर्म हैं। इसमें आप यह बताते हैं कि आपकी आय टैक्स की सीमा से बाहर है। जो इस फॉर्म को भरता है उसे टैक्स की सीमा से बाहर रखा जाएगा। इसे नहीं भरने पर मान लिया जाता है कि आप टैक्स के दायरे में हैं और फिर ब्याज से होने वाली आय पर जरूरी टीडीएस काट लिया जाएगा। फॉर्म 15G या फॉर्म 15H एक साल के लिए होता है। हालांकि फॉर्म नहीं भरने पर जो टीडीएस काटा जाएगा उसे वापस भी पाया जा सकता है।
क्या होता है टीडीएस?
अगर किसी की कोई आय होती है तो उस आय से टैक्स काटकर अगर व्यक्ति को बाकी रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को टीडीएस कहते हैं। सरकार टीडीएस के जरिए
टैक्स जुटाती है। यह अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि पर। कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो
भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है।