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दुनियाभर में 4.7 करोड़ महिलाएं अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी की शिकार; प्रीमैच्योर डिलीवरी दोगुनी हो सकती है, भारत में 10% एबॉर्शन के मामले बढ़ेंगे

  • 8% नवजात बच्चे मां की वजह से कोरोना का शिकार हुए, 26% महिलाओं की प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है
  • भारत में लॉकडाउन के चलते 14 लाख एबॉर्शन के मामले बढ़ेंगे, जिनमें 8 लाख से ज्यादा अनसेफ एबॉर्शन की आशंका
इंद्रभूषण मिश्र

इंद्रभूषण मिश्र

Jun 27, 2020, 12:11 PM IST

नई दिल्ली. कोरोनावायरस प्रेग्नेंट महिलाओं पर कहर बनकर बरपा है। पिछले दिनों दिल्ली के बिजेंद्र सिंह अपनी प्रेग्नेंट पत्नी को लेबर पेन होने के बाद एक-एक करके 8 अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन किसी ने कोरोना की वजह से भर्ती नहीं किया। आखिरकार 15 घंटे बाद उनकी पत्नी की मौत हो गई।

कुछ ऐसा ही पापुआ न्यू गिनी में भी हुआ था। वहां एक प्रेग्नेंट महिला इलाज के लिए अस्पताल पहुंची, उसे ब्लड प्रेशर की शिकायत थी। अस्पताल वालों ने कोरोना के डर से उसे भर्ती ही नहीं किया। कुछ दिनों बाद वह अंधी हो गई और उसका बच्चा भी नहीं बच सका। 

कोरोनाकाल में इस तरह के कई वाकये सामने आए हैं। संक्रमण के डर से कई महिलाओं ने अस्पताल जाने की बजाए घर में ही डिलिवरी का प्लान बनाया जो बाद में उनके लिए मुसीबत साबित हुआ। हाल ही में बांग्लादेश के ढाका में इस तरह का मामला सामने आया था।

यह फोटो पापुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेस्बी जनरल अस्पताल की है, जहां कोरोना संक्रमित प्रेग्नेंट महिलाएं भर्ती हैं।

गावों अौर झुग्गीबस्तियों में रहने वाली महिलाओं को इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वजह, सरकारी अस्पतालों में कोरोना के कारण जगह नहीं मिलना या बेड उपलब्ध नहीं होना है। यहां तक कि उन्हें लोकल ट्रीटमेंट भी नहीं मिल सका।

संक्रमण के डर से दुनिया के कई विशेषज्ञ कुछ समय के लिए प्रेग्नेंसी अवॉयड करने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि, संक्रमण का खतरा तो है ही साथ ही इस समय प्रॉपर इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। इस समय पैदा होने वाले ज्यादातर बच्चों को टीका भी नहीं लग पा रहा है।

प्रेग्नेंट महिलाओं को इंटेंसिव केयर की जरूरत 
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान ब्लड फ्लो, मेटाबोलिज्म और हार्ट रेट बढ़ जाता है। इसके साथ ही इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। इस वजह से सांस लेने में तकलीफ, रेस्पिरेटरी डिसीज और इनफ्लुएंजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

इस वजह से महिलाओं को इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है। एक इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक 96% कोरोना पॉजिटिव महिलाओं में निमोनिया के लक्षण पाए गए।

जन्म के समय या उसके बाद मां से संपर्क में आने के कारण कई बच्चे पैदा होते ही संक्रमण का शिकार हो गए।

भारत में करीब 11 फीसदी प्रेग्नेंट महिलाएं आईसीयू में

सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने हाल ही में अमेरिका में कोरोना संक्रमित प्रेग्नेंट महिलाओं पर एक रिसर्च की है। इसके मुताबिक, 31% प्रेग्नेंट महिलाओं को कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इनमें से 1.5 % आईसीयू में और 0.5 फीसदी महिलाओं को वेंटिलेटर पर रखा गया। वहीं, इसके मुकाबले सिर्फ 6 फीसदी नॉन प्रेग्नेंट महिलाएं ही अस्पताल में दाखिल हुईं। अगर भारत की बात करें तो करीब 11 फीसदी प्रेग्नेंट महिलाओं को आईसीयू में रहना पड़ा।

प्रीमैच्योर डिलीवरी

कोरोना की वजह से ज्यादातर महिलाओं को प्रीमैच्योर डिलीवरी फेस करना पड़ेगी। कोरोनाकाल से पहले दुनियाभर में करीब 13.6 फीसदी प्रीमैच्योर डिलीवरी होती थीं, लेकिन अब यह आंकड़ा दोगुना यानी 26% हो गया है।

11.6 करोड़ बच्चों का जन्म कोरोनाकाल में हुआ

संक्रमित महिलाओं के बच्चों पर भी कोरोना का असर देखने को मिला है। जन्म के समय या उसके बाद मां से संपर्क में आने के कारण कई बच्चे पैदा होते ही संक्रमण का शिकार हो गए। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक 11.6 करोड़ बच्चों का जन्म कोरोनाकाल में हुआ है। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्मल डिलिवरी वाले 2.7 फीसदी बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जबकि जिन बच्चों का जन्म सिजेरियन के जरिए हुआ, उनमें 5% संक्रमित हुए। यानी लगभग 8 फीसदी बच्चे अपनी मां की वजह से कोरोना का शिकार हुए।

कोरोना का असर ब्रेस्ट फीडिंग पर भी हुआ है। संक्रमण के डर से मांएं अपने बच्चे को दूध नहीं पिला रहीं। इससे बच्चों के इम्यून सिस्टम पर असर पड़ सकता है। हालांकि, सीडीसी के अध्ययन के मुताबिक सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखकर ब्रेस्ट फीडिंग कराई जा सकती है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोनाकाल में पैदा होने वाले करीब 8 % बच्चे रेस्पिरेटरी डिसीज का शिकार हुए हैं।

दुनियाभर में 4.7 करोड़ से ज्यादा अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी 

कोरोनावायरस और लॉकडाउन के चलते कई महिलाएं अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी की शिकार हो गईं। यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 4.7 करोड़ से अधिक महिलाएं लॉकडाउन के कारण अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी की शिकार हुई हैं। 

एफआरएचएस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 23 लाख महिलाओं को अनचाहा गर्भधारण करना पड़ा है। इसके पीछे मुख्य वजह लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को बर्थ कंट्रोल और कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 2 करोड़ कपल को इन मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

एफआरएचएस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 23 लाख महिलाओं को अनचाहा गर्भधारण करना पड़ा है।

भारत में 10 फीसदी एबॉर्शन बढ़ेगा

भारत में हर साल करीब 1.5 करोड़ एबॉर्शन होते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के चलते 14 लाख एबॉर्शन के मामले बढ़ेंगे। जिसमें 8 लाख से ज्यादा अनसेफ एबॉर्शन होंगे। करीब 18 सौ प्रेग्नेंट महिलाओं की जान भी जा सकती है। वहीं दुनियाभर में करीब 17 फीसदी मैटरनल डेथ बढ़ने की आशंका है।

ऑनलाइन मेडिकल चेकअप

कोरोना की वजह से ज्यादातर गर्भवती महिलाएं ऑनलाइन मेडिकल चेकअप करा रही हैं। लॉकडाउन के दौरान वाहन नहीं मिलने से कई प्रेग्नेंट महिलाएं रेगुलर चेकअप के लिए अस्पताल नहीं पहुंच पाईं। उन्होंने ऑनलाइन मेडिकल सहायता और फोन पर डॉक्टरों की सलाह ली।

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