- श्रीरामचरित मानस में मंदोदरी ने रावण को समझाया था कि वह श्रीराम से युद्ध न करें, लेकिन रावण ने नहीं मानी मंदोदरी की सलाह
दैनिक भास्कर
Jun 26, 2020, 01:51 PM IST
श्रीरामचरित मानस में कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें सुख, शांति और सफलता पाने के सूत्र बताए गए हैं। रावण और मंदोदरी के प्रसंग से समझ सकते हैं कि अगर पति-पत्नी एक-दूसरे की सलाह नहीं मानते हैं तो परिवार में कैसी परेशानियां आ सकती हैं। जानिए ये प्रसंग…
श्रीरामचरित मानस में जब श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ समुद्र पार कर लंका पहुंच गए थे, तब मंदोदरी समझ गई थी कि लंकापति रावण की पराजय तय है। इस वजह से मंदोदरी ने रावण को समझाने का बहुत प्रयास किया कि वह श्रीराम से युद्ध ना करें। सीता को पूरे सम्मान के साथ वापस लौटा दें। श्रीराम स्वयं भगवान का अवतार हैं।
मंदोदरी ने कई बार रावण को समझाने का प्रयास किया कि श्रीराम से युद्ध करने पर कल्याण नहीं होगा, लेकिन रावण नहीं माना। श्रीराम के साथ युद्ध किया और अपने पूरे कुल, सभी पुत्रों और भाई कुंभकर्ण के साथ ही स्वयं भी मृत्यु को प्राप्त हुआ।
रावण और मंदोदरी के प्रसंग से हम सीख सकते हैं कि पति-पत्नी के जीवन में यह बात भी महत्वपूर्ण है कि एक-दूसरे को गलत काम करने से रोकना चाहिए। गलत काम का बुरा नतीजा ही आता है। वैवाहिक जीवन में आपसी तालमेल की कमी होने से पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है। सही-गलत को समझते हुए एक-दूसरे को सही सलाह देनी चाहिए। दोनों को ही एक-दूसरे की सही सलाह माननी भी चाहिए। पति-पत्नी ही एक-दूसरे के श्रेष्ठ सलाहकार होते हैं।